अनंत सिंह Vs वीणा सिंह: मोकामा में फिर आमने-सामने दो दबंग परिवार, जानें विधानसभा सीट की सियासी इतिहास
मोकामा में अनंत सिंह और वीणा सिंह के परिवार एक बार फिर आमने-सामने हैं। यह मुकाबला मोकामा विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास को दर्शाता है, जहाँ इन दो दबंग परिवारों का लंबे समय से दबदबा रहा है। जनता यह देखने के लिए उत्सुक है कि इस बार कौन विजयी होता है।

मोकामा में अनंत सिंह Vs वीणा सिंह। फाइल फोटो
विद्या सागर, पटना। मोकामा विधानसभा क्षेत्र फिर सुर्खियों में है। इस बार भी मुकाबला दो दबंग परिवारों के बीच है। एनडीए ने जदयू से पूर्व विधायक अनंत सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जबकि महागठबंधन ने राजद से पूर्व सांसद सूरजभान सिंह की पत्नी एवं पूर्व सांसद वीणा सिंह पर दांव लगाया है। दोनों ही प्रत्याशी पूरे जोर-शोर से प्रचार में जुटे हैं।
गांव-गांव प्रचार वाहन गीतों और लोकलुभावन नारों के साथ घूम रहे हैं। छोटे ट्रकों पर एलईडी स्क्रीन पर दलों के प्रमुख नेताओं के भाषण और वादे सुनाए-दिखाए जा रहे हैं। मुकाबला अनंत सिंह और वीणा सिंह के बीच कांटे का दिख रहा है।
वहीं, जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रत्यूष भी मैदान में डटे हैं। पिछले 30 वर्षों से मोकामा सीट मुख्य रूप से अनंत सिंह परिवार के प्रभाव में रही है। 1990 और 1995 में अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह जीते थे। 2000 में सूरजभान सिंह ने दिलीप सिंह को हराकर जीत हासिल की।
2005 से 2020 तक लगातार अनंत सिंह विधायक रहे, जबकि 2022 के उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी ने राजद के टिकट पर जीत दर्ज की। अब 25 साल बाद फिर वही दो परिवार एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं।
शुक्रवार को हल्की वर्षा के बावजूद चुनावी हलचल जारी रही। बाजारों में भीड़ सामान्य से कम रही, लेकिन पुलिस गश्त बढ़ी हुई थी। गुरुवार को जन सुराज समर्थक रामदुलार यादव की हत्या की चर्चा लोग आपस में कर रहे थे, हालांकि कोई खुलकर बोलना नहीं चाहता। प्रचार वाहन भी कम नजर आए जो दिखे भी, वे सिर्फ जदयू और राजद के ही थे।
सुल्तानपुर के मोहन कुमार बताते हैं, 20 साल में बहुत कुछ बदला, लेकिन मोकामा की पुरानी खुशहाली नहीं लौटी। बंद पड़ी फैक्ट्रियों के कारण लोग पलायन कर रहे हैं। शिवनार गांव के चंदन कुमार कहते हैं, मिनी कोलकाता कहलाने वाला मोकामा अब बेरोजगारी का प्रतीक बन गया है। वहीं, घोसवरी के मोहन शर्मा ने भारत वैगन फैक्ट्री की टूटी दीवारें दिखाते हुए कहा, सरकार ने सड़क-नाली तो बनाई, लेकिन रोजगार पर ध्यान नहीं दिया।
एक चाय दुकान पर मनोरमा देवी और इंदु देवी बताती हैं कि जीविका योजना से मिले दस-दस हजार रुपये से वे मुर्गीपालन शुरू करने जा रही हैं। वोट के सवाल पर हंसते हुए कहती हैं, जहां घर वाले कहेंगे, वहीं देंगे।
वही तो अच्छा-खराब जानते हैं। गोनौली गांव के किसान संगीत कुमार कहते हैं कि टाल क्षेत्र की समस्या हर चुनाव में उठती है, लेकिन समाधान कभी नहीं होता। सोच रहे हैं, क्या किया जाए।
मोकामा के प्रमुख चुनावी मुद्दे
- भारत वैगन, जूट मिल समेत बंद उद्योगों की पुनर्स्थापना
- मोकामा टाल में जलजमाव का स्थायी समाधान
- बेरोजगारी से मुक्ति
- अत्याधुनिक अस्पताल का निर्माण
- स्नातकोत्तर स्तर तक पढ़ाई की सुविधा
- मोकामा बाजार में जाम से राहत
मतदाता एक नजर में
| वर्ग | संख्या |
|---|---|
| पुरुष | 1,50,355 |
| महिला | 1,33,751 |
| अन्य | 2 |
| कुल मतदाता | 2,84,108 |
| लिंगानुपात | 890 |
मोकामा के विधायक (1990–2022)
| वर्ष | विधायक | पार्टी |
|---|---|---|
| 1990 | दिलीप कुमार सिंह | जनता दल |
| 1995 | दिलीप कुमार सिंह | जनता दल |
| 2000 | सूरजभान सिंह | निर्दलीय |
| 2005 (फरवरी) | अनंत कुमार सिंह | जदयू |
| 2005 (अक्टूबर) | अनंत कुमार सिंह | जदयू |
| 2010 | अनंत कुमार सिंह | जदयू |
| 2015 | अनंत कुमार सिंह | निर्दलीय |
| 2020 | अनंत कुमार सिंह | राजद |
| 2022 (उपचुनाव) | नीलम देवी | राजद |

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