Auspicious Time for Marriage: चार माह बाद करीब आई शहनाई बजने की घड़ी, दिसंबर में फिर लग जाएगा विराम
कार्तिक शुक्ल एकादशी के बाद शुभ कार्य शुरू हो गए हैं। 16 नवंबर को सूर्य के राशि परिवर्तन से विवाह का मौसम शुरू होगा, जिसका शुभ मुहूर्त 18 नवंबर से शुरू होगा। पंडित राकेश झा के अनुसार, नवंबर और दिसंबर में विवाह के कई शुभ मुहूर्त हैं। 11 दिसंबर को शुक्र के अस्त होने से विवाह पर विराम लगेगा, जो 1 फरवरी को फिर से शुरू होगा। विवाह के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना आवश्यक है।

नवंबर में विवाह के कई मुहूर्त।
जागरण संवाददाता, पटना। शुभ मुहूर्त: कार्तिक शुक्ल एकादशी एक नवंबर शनिवार को श्री हरि विष्णु के चार माह बाद योग निद्रा से जागृत होने के बाद मांगलिक कार्य आरंभ हो गया है।
16 नवंबर को सूर्य के तुला राशि से निकल कर वृश्चिक राशि में आने से शादी-ब्याह का दौर आरंभ हो जाएगा। शुभ मुहूर्त 18 नवंबर से आरंभ होगा। फिर छह दिसंबर के बाद शादी-ब्याह पर विराम लग जाएगा।
पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि मिथिला पंचांग के अनुसार 10 तो बनारसी पंचांग के अनुसार 13 मुहूर्त हैं।
बनारसी पंचांग के अनुसार नवंबर में नौ तथा दिसंबर में चार वैवाहिक लग्न हैं। मिथिला पंचांग के अनुसार नवंबर में सात एवं दिसंबर में तीन दिन शुभ विवाह मुहूर्त हैं।
नववर्ष में चार फरवरी से शुरू होगा विवाह
11 दिसंबर गुरुवार को पूर्व दिशा में शुक्र ग्रह के अस्त होने तथा वृद्धत्व दोष के कारण 8 दिसंबर सोमवार से विवाहादि शुभ कार्य नहीं होंगे।
2026 के पहले मास जनवरी में खरमास की समाप्ति के बाद एवं शुक्र ग्रह के अस्त होने से शादी-ब्याह नहीं होंगे। एक फरवरी की शाम छह बजे शुक्र के उदित होने के साथ शादी-ब्याह का सिलसिला आरंभ होगा।
शादी में ग्रहों की शुभता जरूरी
शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है।
रवि गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभ फलदायी होते हैं । इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है।
ऐसे तय होते है शुभ लग्न-मुहूर्त
शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है।
वहीं नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति,श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक को होना चाहिए। रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है।
पटना के प्रमुख ज्योतिष विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कहा कि यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा।
तीन ज्येष्ठ होने पर विषम योग बनता है और ये वैवाहिक लग्न में निषेद्ध है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।
वैवाहिक शुभ मुहूर्त:
बनारसी पंचांग के अनुसार:
- नवंबर: 18, 19, 21, 22, 23, 24, 25, 29, 30
- दिसंबर: 1,4,5,6
- फरवरी: 4,5,6,7,8,10,11,12,13,14,15,19,20,21,24,25,26
- मार्च: 2,4,5,7,8,9,10,11,12,13,14
- मिथिला पंचांग के मुताबिक
- नवंबर: 20, 21, 23, 24, 26,27,30
- दिसंबर : 1, 4, 5
- जनवरी: 29
फरवरी: 5,6,8,15,19,20,22, 25, 26
मार्च: 4, 9,11,13

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