Bihar Chhath Kharna: महापर्व छठ के दूसरे दिन पटनावासियों ने ग्रहण किया खरना का महाप्रसाद
महापर्व छठ के दूसरे दिन पटनावासियों ने खरना का महाप्रसाद ग्रहण किया। इसकी तैयारी में छठव्रती सुबह से ही जुटे थे। संध्या बेला में छठी मइया की पूजा करने के बाद व्रतियों ने पहले महाप्रसाद खुद ग्रहण किया फिर घर आए मेहमानों को खिलाया।

आनलाइन डेस्क, पटना। महापर्व छठ के दूसरे दिन पटनावासियों ने खरना का महाप्रसाद ग्रहण किया। इसकी तैयारी में छठव्रती सुबह से ही जुटे थे। संध्या बेला में छठी मइया की पूजा करने के बाद व्रतियों ने पहले महाप्रसाद खुद ग्रहण किया, फिर घर आए मेहमानों को खिलाया। परंपरा के अनुसार, महाप्रसाद ग्रहण करने वाले लोग पूजनस्थल पर नमन करते हैं। इसके बाद व्रती उन्हें रोली का टीका लगाते हैं और तब महाप्रसाद देते हैं। आमतौर पर प्रसाद में घी लगी रोटी, गुड़ का खीर और केला होता है। कुछ व्रती खरना के प्रसाद में अरवा चावल का भात, चने की दाल, चावल के आटे का पिट्ठा, गुड़ और घी लगी रोटी बनाते हैं। कई व्रती गंगाजल से ही प्रसाद तैयार करते हैं।
खरना का प्रसाद बनाते समय शुद्धता का पूरा ख्याल रखा जाता है। यह भी देखा जाता है कि चावल या दाल का एक भी दाना खंडित न हो। मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी से प्रसाद बनाया जाता है। जिस कमरे में प्रसाद बनाया जाता है, वहां शुद्धता का ध्यान रखा जाता है। व्रती को सहयोग देने वाले लोग भी स्नान करने के बाद ही कमरे में प्रवेश करते हैं। कमरे की सफाई इस तरह की जाती है कि एक भी गंदा कण वहां नहीं रह सके। इस महाप्रसाद का बड़ा महत्व है। लोग बैर-दुश्मनी भूलकर एक दूसरे के घर जाते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं। प्रसाद लेने के बाद व्रती के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। व्रती स्वयं इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद निर्जला उपवास रखते हैं। वे अन्न-जल उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही ग्रहण करते हैं। मान्यता के अनुसार, खरना का प्रसाद ग्रहण करने मात्र से ही कष्टों का निराकरण होने लगता है। इच्छाएं पूर्ण होती हैं। कई प्रकार के पापों से भी मुक्ति मिलती है और व्यक्ति धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाता है।

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