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    नोटिस का जवाब देकर कांग्रेस के बागी नेताओं ने खोला मोर्चा, प्रदेश नेतृत्व को बताया 'RSS-भाजपा के हाथों का खिलौना'

    By Sunil RaajEdited By: Nishant Bharti
    Updated: Sun, 23 Nov 2025 02:21 PM (IST)

    कांग्रेस के बागी नेताओं ने प्रदेश नेतृत्व को कारण बताओ नोटिस का जवाब देकर उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने प्रदेश नेतृत्व को आरएसएस और भाजपा के हाथों का खिलौना बताया और पार्टी को कमजोर करने का आरोप लगाया। इस घटना से पार्टी में कलह और बढ़ गई है।

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    कांग्रेस के बागी नेताओं ने खोला मोर्चा

    राज्य ब्यूरो, जागरण, पटना। कांग्रेस में जारी अंदरूनी विवाद एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। पार्टी ने जिन 43 नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया था उन सभी ने प्रदेश नेतृत्व को औपचारिक रूप से अपने जवाब भेज दिए हैं। 

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    इन नेताओं ने जहां अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है, वहीं प्रदेश नेतृत्व की कार्यशैली और निर्णय प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। नोटिस का जवाब मिलने के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व इन पर कार्रवाई को लेकर दुविधा में फंसा हुआ है। चर्चा है कि प्रदेश नेतृत्व इस मामले में न्याय के लिए केंद्रीय नेतृत्व की मदद लेगा। 

    सामूहिक चर्चा कर विस्तृत जवाब तैयार

    सूत्रों के अनुसार, नोटिस मिलने के बाद संबंधित नेताओं ने सामूहिक चर्चा कर विस्तृत जवाब तैयार किया। जवाब में नेताओं ने कहा है कि प्रदेश नेतृत्व ने बिना किसी अनुशासनात्मक जांच या संगठनात्मक प्रक्रिया का पालन किए मनमाने तरीके से नोटिस भेजा। 

    उनका दावा है कि इस कार्रवाई से पहले राष्ट्रीय नेतृत्व से भी अनुमति नहीं ली गई, जो पार्टी के स्थापित नियमों का उल्लंघन है। बागी नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष पर संगठन को व्यक्तिगत निर्णयों से चलाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि पार्टी के भीतर संवाद और लोकतांत्रिक परंपराओं को दरकिनार किया जा रहा है। 

    जिला और प्रखंड स्तर पर कार्यकर्ताओं की शिकायतों को अनसुना किया जाता है, जिससे संगठनात्मक ढांचा कमजोर हो रहा है। बागी नेताओं ने प्रदेश नेतृत्व को आरएसएस-भाजपा के हाथों का खिलौना तक करार दिया है। 

    प्रदेश नेतृत्व अब असमंजस में

    बागी और नाराज नेताओं के जवाब मिलने के बाद प्रदेश नेतृत्व अब असमंजस में है कि आगे क्या कदम उठाया जाए। एक ओर एक खेमा नाराज नेताओं पर सख्त कार्रवाई की मांग उठा रहा है। 

    वहीं दूसरी तरफ पार्टी मान रही है कि चुनावी हार के बाद पार्टी पहले से संगठनात्मक चुनौतियों से गुजर रही है। ऐसे में किसी भी कठोर निर्णय से असंतोष और बढ़ सकता है। 

    बहरहाल प्रदेश कांग्रेस कार्यालय का कहना है कि सभी जवाबों की समीक्षा की जा रही है और अंतिम निर्णय राष्ट्रीय नेतृत्व से परामर्श के बाद ही लिया जाएगा। दूसरी ओर, नोटिस प्राप्त नेताओं ने संकेत दिया है कि उनकी आवाज दबाने की कोशिशें जारी रहीं तो वे आगे की रणनीति पर विचार करेंगे।