सीट बंटवारे से पहले कांग्रेस में शुरू हुआ ‘टिकट पर संग्राम’, 'पैराशूट' उम्मीदवारों पर कार्यकर्ताओं ने उठाए सवाल
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हो गया है। कार्यकर्ताओं ने 'पैराशूट' उम्मीदवारों को टिकट देने पर सवाल उठाए हैं, जिससे पार्टी में असंतोष है। कार्यकर्ताओं ने टिकट वितरण में पारदर्शिता की मांग की है और वरिष्ठ नेताओं पर दबाव बढ़ गया है। उनका कहना है कि स्थानीय नेताओं को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

कांग्रेस में शुरू हुआ टिकट पर संग्राम
सुनील राज, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद एक ओर कांग्रेस महागठबंधन में सीटों के तालमेल को लेकर अपनी साख बचाने में जुटी है। वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर टिकटों को लेकर असंतोष सामने आना शुरू हो गया है।
कई विधानसभा क्षेत्रों में टिकट के दावेदार पार्टी पर मेहनत करने वाले कार्यकर्ता और पुराने दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर नए चेहरों और बाहरी उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने की आवाज उठाने लगे हैं। बड़े नेताओं इस बर्ताव को लेकर जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में नाराजगी और आक्रोश गहरा रहा है।
पैराशूट उम्मीदवारों को बढ़ावा देने का आरोप
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम तक ऐसे नेता अपनी आवाज पहुंचाने के लिए पहुंच रहे हैं। टिकट के दावेदार और उनके समर्थक आरोप लगा रहे हैं कि बड़े नेता स्थानीय समीकरणों और कार्यकर्ताओं की मेहनत को दरकिनार कर पैराशूट उम्मीदवारों को बढ़ावा दे रहे हैं।
जिन लोगों ने पिछले 10-15 सालों में पार्टी का झंडा तक नहीं उठाया, उन्हें टिकट का वादा कर दिया गया है, जबकि संगठन को मजबूत करने वाले सिपाहियों को किनारे किया जा रहा है।
टिकट बंटवारे को लेकर नाराजगी
पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि कुछ जिलों में प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व पर मनमानी के आरोप लग रहे हैं। रीगा, सिकंदरा, बाढ़ के अलावा कई और विधानसभा क्षेत्र हैं जहां स्थानीय स्तर पर टिकट बंटवारे को लेकर काफी नाराजगी है। यहां के पार्टी के कार्यकर्ता भी पार्टी विरोध का नारा बुलंद कर रहे हैं।
कुछ नेता कहते हैं दिल्ली से बिहार आकर यहां की नीति नियंता तो जरूर बन गए परंतु ऐसे नेता स्थानीय हालात और राजनीति के साथ जातीय समीकरणों से पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं। वे केवल कुछ सिफारिशों के आधार पर उम्मीदवारों के नाम सूची में शामिल रहे हैं।
दरअसल, महागठबंधन में कांग्रेस को मिलने वाली सीटों की संख्या इस बार सीमित मानी जा रही है। 2020 के चुनाव की अपेक्षा कांग्रेस को 15-20 कम सीटें मिलने की चर्चा है। ऐसे में टिकट की दौड़ में आंतरिक टकराव बढ़ना स्वाभाविक है।
कई पुराने उम्मीदवारों को इस बार टिकट से वंचित किए जाने की आशंका ने भी असंतोष को और हवा दे दी है। कुछ विधानसभा क्षेत्रों में तो स्थिति यह हो गई है कि आक्रोशित कार्यकर्ता सीधे हाईकमान तक अपनी बात पहुंचाने लगे हैं।
कुछ कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा को भी पत्र लिख टिकट में पारदर्शिता रखने और जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी न किए जाने तक की मांग की है। विश्लेषक मानते हैं कि अगर कांग्रेस असंतोष को नियंत्रित नहीं कर पाई, तो इसका सीधा असर उसके चुनावी प्रदर्शन पर पड़ेगा। पहले से सीमित सीटों पर लडऩे जा रही कांग्रेस के लिए एकजुटता बेहद जरूरी है।
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