Bihar Election 2025: सीमांचल में नए चेहरों पर दांव, मुस्लिम वोट और विकास दोनों पर फोकस
बिहार में 2025 के चुनावों के मद्देनज़र, सीमांचल क्षेत्र में राजनीतिक दल नए उम्मीदवारों को मौका दे रहे हैं। मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, क्योंकि वे यहाँ बड़ी संख्या में हैं। पार्टियाँ क्षेत्र के विकास के लिए कई वादे और योजनाएं भी पेश कर रही हैं।

सीमांचल का रण। फाइल फोटो
सुनील राज, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान आज प्रचार के साथ थम चुके हैं। अब तमाम राजनीतिक दल के प्रत्याशी अपने मतदाताओं के घर-घर जाकर मनुहार में जुटेंगे। इस काम के लिए प्रत्याशियों के पास ज्यादा समय नहीं। दूसरे चरण के चुनाव में लोगों की नजर सीमांचल के चार जिलों पर टिकी है।
सभी जानने को उत्सुक हैं कि कटिहार, अररिया, पूर्णिया और किशनगंज के नतीजे किसके पक्ष में झुकेंगे। आम लोगों के अलावा मतदाता और यहां तक की राजनीतिक दलों के लिए भी सीमांचल के यह चार क्षेत्र राजनीतिक रूप से दिलचस्प क्षेत्र बन गए हैं। जहां 11 नवंबर को दूसरे चरण में मतदान होना है।
सीमांचल के चार जिलों में तमाम राजनीतिक दलों ने पुराने की बजाय नए चेहरों पर दांव लगाना ज्यादा मुनासिब समझा है। जिसकी वजह से पुराने समीकरणों की चर्चा यहां के मतदाताओं में भी है। असल में सीमांचल जिसकी बात हम कर रहे हैं उसे राजनीतिक की जुबान में मुस्लिम बहुल इलाका माना जाता है।
बावजूद यहां की राजनीति का सर्वाधिक झुकाव जाति-धर्म पर होता है। इसके बाद के पायदान पर ही विकास मुद्दा बनता है। बावजूद इस बार का चुनाव यहां से उम्मीदवार देने वाले दलों के लिए बेहद खास है।
यही वह वजह है जिस कारण दलों ने पुराने की बजाय नए चेहरों पर किस्मत आजमाने की रणनीति बनाई। बता दें कि किशनगंज की चार में से तीन सीटों पर नए चेहरे मैदान में दिखेंगे। अररिया की छह सीटों में तीन पर नए उम्मीदवार इस बार मैदान में उतारे गए हैं।
पूर्णिया में कांग्रेस ने झोंकी ताकत
पूर्णिया जिले में कांग्रेस ने सर्वाधिक हिम्मत लगाई है और यहां की दोनों प्रमुख सीटों पर नए प्रत्याशी उतारकर अपनी जमीन तलाशने की कोशिश की है। कांग्रेस ने किशनगंज सीट से अपने मौजूदा विधायक इजहारूल हुसैन का टिकट काट कर पूर्व विधायक कमरूल होदा पर दांव लगाया है।
कोचाधामन में राजद ने इजहार असफी की बजाय मुजाहिद आलम पर भरोसा जताकर टिकट दिया है। बताएं कि मुजाहिद आलम पहले जदयू में थे और अब राजद में शामिल होकर मैदान में हैं। इसी प्रकार बहादुरगंज से कांग्रेस ने मसव्वर आलम को मैदान में उतारा है, जबकि ठाकुरगंज में जदयू ने गोपाल अग्रवाल पर भरोसा जताया है।
पिछले चुनाव पांच सीटों पर किस्मत आजमाने और जीतने वाली एआइएमआइएम ने चारों सीटों पर नए उम्मीदवार को आजमाने पर जोर लगाया है। जबकि एक को वापस मौका दिया गया है।
इसी प्रकार अररिया में भी छह विधानसभा सीटों में से तीन पर नए चेहरे मैदान में हैं। नरपतगंज में भाजपा ने अपने पुराने विधायक जय प्रकाश यादव की बजाय देवंती यादव पर दांव लगाया है। फारबिसगंज से कांग्रेस ने मनोज विश्वास को उतारा है।
जबकि जोकीहाट से राजद ने शाहनवाज आलम को टिकट दिया है, जो पहले एआइएमआइएम में थे और बाद में राजद में शामिल हो गए थे। सिकटी विधानसभा क्षेत्र में भी एक नया चेहरा मैदान में है और वह है हरि नारायण। हरि नारायण पहली बार विकासशील इंसान पार्टी के टिकट पर यहां से मैदान में हैं।
पूर्णिया का मामला भी कम दिलचस्प नहीं। पूर्णिया जिले में कांग्रेस ने दोनों प्रमुख सीटों पर नए प्रत्याशी मैदान में खड़े किए हैं। पूर्णिया सदर से जितेन्द्र यादव और कस्बा से इरफान आलम को टिकट मिला है।
इसी तरह कस्बा में भी लोजपा ने नए चेहरे नीतेश सिंह और कटिहार में वीआइपी ने सौरभ अग्रवाल जैसे नए चेहरे पर किस्मत आजमाने की रणनीति बनाई है। असल में राजद-कांग्रेस पुराने चेहरों की बजाय नए पर भरोसा कर रही है, तो वीआइपी की तो पहली कोशिश है ही। एक पहलू यह भी है कि तमाम राजनीतिक दल इस बार विरोधी लहर से बचने की कोशिश में जुटे हैं।

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