Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar Election 2025: सीट बंटवारे पर VIP-राजद में होगी तनातनी? सिटिंग और सेकंड के दावे पर फंसेगा पेच

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 01:32 PM (IST)

    महागठबंधन में सीटों के बँटवारे को लेकर कुछ सीटों पर पेंच फंसा हुआ है। वीआईपी और राजद के बीच कुछ सीटों पर टकराव की आशंका है खासकर उन सीटों पर जहाँ 2020 में राजद या माले जीते थे और वीआईपी दूसरे स्थान पर रही थी। मुकेश सहनी सिमरी बख्तियारपुर से फिर चुनाव लड़ना चाहते हैं जहाँ वे पिछली बार कम अंतर से हारे थे।

    Hero Image
    सिटिंग और सेकंड के दावे में राजद-वीआइपी के बीच फंस सकता है पेच

    राज्य ब्यूरो,पटना। महागठबंधन के दलों के बीच सीटों के बंटवारे में सिर्फ संख्या बाधक नहीं है। चुनिंदा सीटों को लेकर भी पेंच फंसने की आशंका है।विकासशील इंसान पार्टी और राजद के बीच कई सीटों पर टकराव हो सकता है।

    ये ऐसी सीटें हैं, जहां 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद और माले की जीत हुई थी। वीआइपी दूसरे नम्बर पर थी। इनमें सिमरी बख्तियारपुर भी है, जहां वीआईपी के संस्थापक मुकेश सहनी दूसरे नम्बर पर थे। राजद के युसुफ सलाउद्दीन चुनाव जीते।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सहनी की हार केवल 1760 वोटों के अंतर से हुई थी।वे इस बार भी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। स्वयं न लड़ें तो इस सीट से किसी स्वजन को लड़़ा सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में वीआइपी का एनडीए से गंठजोड़ था। उसे 11 सीटें मिली थी। चार पर जीत हुई। पांच पर उसके उम्मीदवार दूसरे नम्बर पर थे।

    सुगौली, मधुबनी और सिमरी बख्तियारपुर तीन ऐसी सीटें हैं, जिन पर राजद की जीत हुई थी। कटिहार के बलरामपुर में भाकपा माले की जीत हुई थी। वीआईपी उम्मीदवार दूसरे नम्बर पर थे।

    वीआईपी की दूसरे नंबर की पांचवी सीट बहादुरगंज है, जहां एआईएमआईएम की जीत हुई थी। यह सीट उसे इस बार भी मिल सकती है, क्योंकि एआईएमआईएम की महागठबंधन में एंट्री नहीं मिली है।

    संयोग यह है कि वीआईपी की पिछले चुनाव में जीती हुई सीटों पर राजद दूसरे नम्बर पर था। दरभंगा के अलीनगर्, गौरा बौराम और मुजफ्फरपुर के बोचहा में वीआईपी की जीत हुई थी। इन तीनों पर राजद दूसरे नम्बर पर था।

    बोचहा में उप चुनाव हुआ। राजद जीत गया। मुजफ्फरपुर जिले के पारू में एआईएमआईएम का मुकाबला निर्दलीय शंकर प्रसाद के साथ था। शंकर राजद में हैं। उस समय भी राजद में ही थे।

    टिकट नहीं मिलने के कारण बागी बन कर मैदान में उतर गए। संयोग से वीआईपी टिकट पर पिछली बार चुनाव जीते एक भी विधायक अभी उसके साथ नहीं हैं।