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    Bihar Politics: बिहार भाजपा में मुस्लिम मतदाताओं पर पकड़ रखते हैं कई हिंदू दिग्गज, ये रही पूरी लिस्ट

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 03:02 PM (IST)

    भाजपा बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन की उम्मीद कर रही है। पार्टी सबका साथ-सबका विकास और लोकप्रिय हिंदू नेताओं पर भरोसा कर रही है। दिलीप जायसवाल और अशोक अग्रवाल जैसे नेताओं की सीमांचल क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। भाजपा पसमांदा मुस्लिम महिलाओं और योजनाओं के लाभार्थियों के माध्यम से समर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है।

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    बिहार भाजपा में मुस्लिम मतदाताओं पर पकड़ रखते हैं कई हिंदू दिग्गज

    रमण शुक्ला, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) को लेकर मतों के सूक्ष्म प्रबंधन में जुटी पार्टियों में भाजपा को भी मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन की उम्मीद है। इसके पीछे भाजपा काे सबका साथ-सबका विकास आधारित योजनाओं से संबंधित उपलब्धियों के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं में मजबूत पकड़ रखने वाले हिंदू दिग्गजों पर भी भरोसा है।

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    हालांकि, विधानसभा चुनाव परिणाम बताएगा कि वोट ट्रांसफर कराने में भाजपा के दिग्गज कितना सफल होते हैं।

    ऐसे दिग्गजों में बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का नाम सबसे अव्वल हैं। जायसवाल के नाम पूर्णिया, अररिया एवं किशनगंज स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद चुनाव में सर्वाधिक मत से जीतने का रिकॉर्ड है। तीन चुनाव से लगातार स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र का जायसवाल प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

    सीमांचल में मतदान के दौरान तीनों जिले में मुस्लिम मतदाता निर्णायक हैं। सीमांचल में विशेषकर कटिहार जिले में अशोक अग्रवाल की मुस्लिम समुदाय के बीच अच्छी लोकप्रियता है। अग्रवाल लगातार तीन चुनाव से कटिहार स्थानीय प्राधिकार से चुनाव जीते रहे हैं।

    स्थानीय स्तर पर भी अच्छी पकड़ कहें या फिर कुछ और लेकिन अग्रवाल पत्नी को भी कटिहार का महापौर बनाने में सफल रहे हैं। कटिहार शहर में भी मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 26 प्रतिशत से अधिक है, जबकि कटिहार स्थानीय क्षेत्र प्राधिकार में 48 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम हैं।

    यही नहीं, तीसरी बार भाजपा में वापसी करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि की भी कुछ क्षेत्र विशेष के मुस्लिम मतदाताओं पर अच्छी पकड़ हैं। नागमणि के नाम बिहार के पहले चारों (लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा एवं विधान परिषद) सदन का प्रतिनिधित्व करने का रिकार्ड भी हैं।

    नागमणि की भी स्वीकार्यता अल्पसंख्यकों के बीच अच्छी रही हैं। मुस्लिम समुदाय का वोट भी नागमणि को मिलता रहा है। भाजपा में वापसी के उपरांत पिछले दिनों नागमणि ने मंच से भी मुस्लिम समाज के मतदाताओं में गहरी पैठ होने दावा किया था।

    इसी तरह के नेता के रूप में डॉ. सीपी ठाकुर का नाम भी सम्मिलित है। संपूर्ण बिहार के मुस्लिम मतदाताओं के बीच में पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री एवं पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहे ठाकुर की स्वीकार्यता रही है। ठाकुर की अपील पर मुस्लिम समाज भाजपा प्रत्याशी को समर्थन भी देता रहा है। लेकिन बदली हुई परिस्थिति में अल्पसंख्यक समाज कितना भाजपा को समर्थन देता है यह तो चुनाव से तय होगा।

    मुस्मिल समुदाय के लिए योजनाओं से पार्टी की उम्मीद

    तीन तलाक, वक्फ कानून, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, सौभाग्य योजना, शौचालय, उज्ज्वला, खाद्यान्न आदि योजनाओं को लेकर मुस्लिम समुदाय की महिलाओं विशेषकर पिछड़ी जातियों (पसमांदा) वोट बैंक पर भाजपा की नजर है।

    जाहिर तौर पर पसमांदा, मुस्लिम महिलाओं और लाभान्वित होने वाले मुस्लिम परिवारों के समर्थन और संगठन के मजबूत तंत्र के बल पर भाजपा यह मान कर चल रही है कि मुस्लिम वोटों के तिलिस्म को तोड़ने में इस बार उसे सफलता जरूर मिलेगी। हालांकि, भाजपा के लिए मुसलमानों को अपने साथ जोड़ना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं हैं।

    मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिशों में जुटी भाजपा सिर्फ मुस्लिम मतदाताओं को ही लुभाने की रणनीति पर काम नहीं कर रही है, बल्कि अल्पसंख्यक बहुल सीटों पर मजबूत मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी कर रही है। वर्तमान में जिन नामों की चर्चा है उनमें पूर्व मंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन का नाम सबसे आगे है।

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