Bihar Chunav 2025: राजनीतिक दलों के कप्तानों की किस्मत भी दांव पर, होगी अग्निपरीक्षा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कई राजनीतिक दलों के प्रदेश अध्यक्ष अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। जदयू के उमेश कुशवाहा महनार से, लोजपा रामविलास के राजू तिवारी गोविंदगंज से चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस के राजेश राम कुटुम्बा से और वीआईपी के संतोष सहनी गौड़ाबोराम से मैदान में हैं। भाजपा ने अपने विधायकों का टिकट काटकर सहयोगी दलों के अध्यक्षों को मौका दिया है, जिससे कई सीटों पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा व लोजपा रामविलास के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी। जागरण आर्काइव
कुमार रजत, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार आधा दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय एवं प्रदेश अध्यक्ष भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा महनार से, लोजपा रामविलास के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी गोविंदगंज से, हम के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार टिकारी से, रालोमो के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मदन चौधरी पारू से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं महागठबंधन के दलों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम कुटुम्बा से, वीआइपी के अध्यक्ष संतोष सहनी गौड़ाबोराम से और इंडियन इंक्लूसिव पार्टी के अध्यक्ष आइपी गुप्ता सहरसा से चुनावी मैदान में हैं।
वैशाली की महनार सीट से जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा एक बार फिर किस्मत आजमा रहे हैं। वह 2015 से इस सीट से विजयी रहे थे मगर पिछली बार राजद की बीना सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। पिछले चुनाव में एनडीए से अलग लड़ रहे लोजपा से 20 प्रतिशत वोट पाने वाले रवीन्द्र कुमार सिंह इस बार महनार से राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं और उमेश कुशवाहा को चुनौती दे रहे हैं।
औरंगाबाद की कुटुंबा सीट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं वर्तमान विधायक राजेश राम को हम के ललन राम चुनौती दे रहे हैं। राजेश राम लगातार दो चुनावों से कुटुम्बा की सुरक्षित सीट से जीतते आ रहे हैं। इसके पहले 2010 में यह सीट जदयू के ललन राम ने जीती थी जो इस बार हम के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। ललन राम पिछले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार थे जो करीब 15 प्रतिशत वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।
दरभंगा की गौड़ाबोराम सीट परिसिमन के बाद 2010 के विधानसभा चुनाव में अस्तित्व में आई तब से यह सीट एनडीए के खाते में है। पिछली बार इस सीट से मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी के स्वर्ण सिंह विजयी रहे थे जो बाद में भाजपा में शामिल हो गए। इस बार वीआइपी महागठबंधन का हिस्सा है जिसने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के सुजीत कुमार सिंह उन्हें चुनौती दे रहे हैं।
गया की टिकारी सीट से हम के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार पिछले तीन में दो चुनाव जीत चुके हैं। पिछली दफा वह करीब तीन हजार वोट से कांग्रेस के सुमंत कुमार से विजयी रहे थे। इस बार यह सीट महागठबंधन में कांग्रेस की जगह राजद को मिली है। राजद ने टिकारी से अनिल कुमार के विरुद्ध अजय दांगी को अपना उम्मीदवार बनाया है।
महागठबंधन में शामिल हुए नए दल इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (आइआइपी) के मुखिया आइपी गुप्ता सहरसा सीट से चुनावी मैदान में हैं। यह सीट भाजपा विधायक आलोक रंजन झा के पास है, जो इस बार भी खम ठोक रहे हैं। पिछली बार राजद की ओर से लवली आनंद ने इस सीट से चुनाव लड़ा था मगर 20 हजार वोट से हार गई थी।
भाजपा विधायकों का टिकट काट रालोमो और लोजपा (रा) अध्यक्ष को मिला टिकट
एनडीए के दो सहयोगी दलों के अध्यक्षों को टिकट देने के लिए भाजपा ने इस बार अपने वर्तमान विधायकों को बेटिकट कर दिया। इसमें पारू सीट पर भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह तो पिछले चार चुनावों से लगातार जीत रहे थे। पारू से रालोमो ने अपने कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मदन चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। उन्हें राजद के शंकर राय चुनौती दे रहे हैं, जो पिछली दफा निर्दलीय लड़कर दूसरे स्थान पर रहे थे। हालांकि भाजपा विधायक अशोक कुमार सिंह ने यहां से निर्दलीय ताल ठोंककर लड़ाई को रोमांचक बना दिया है। इसी तरह पूर्वी चंपारण की गोविंदगंज सीट से जीते भाजपा विधायक सुनील मणि तिवारी का टिकट काटकर यह सीट चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी को दे दी गई है। राजू तिवारी 2015 में इस सीट से विजयी रहे थे। पिछली दफा भी राजू तिवारी ने लोजपा से किस्मत आजमाई थी मगर एनडीए से अलग लड़ने के कारण उन्हें महज 21 प्रतिशत मत मिले और वह तीसरे स्थान पर रहे थे। पिछले पांच चुनावों से इस सीट पर एनडीए के प्रत्याशी लगातार विजयी होते आ रहे हैं। इस बार राजू तिवारी को कांग्रेस के शशिभूषण राय चुनौती दे रहे हैं।

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