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    बिहार में मतदाताओं के उत्साह ने बढ़ाई दलों की बेचैनी, विश्‍लेषक बता रहे कैसे होंगे परि‍णाम?

    By Raman Shukla Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Sat, 08 Nov 2025 10:14 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मतदाताओं ने उत्साह दिखाया है, जिसमें कई सीटों पर रिकॉर्ड मतदान हुआ है। महिलाओं और युवाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया, जो बदलाव की चाह को दर्शाता है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह मतदान राजनीतिक दलों के लिए मिश्रित संदेश है। एनडीए इसे विकास पर भरोसा मान रही है, जबकि विपक्ष इसे सरकार के प्रति नाराजगी बता रहा है।

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    मतदान के लिए पहुंच मतदाता। जागरण आर्काइव

    राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Assembly Elections: बिहार के मतदाताओं ने 2025 के विधानसभा चुनाव में इतिहास रच दिया।

    जनता इस बार सिर्फ चुनावी सभाओं में दर्शक नहीं, बल्कि जवाबदेही तय करने वाली निर्णायक ताकत बनना चाहती है। प्रथम चरण की 121 विधानसभा सीटों में 25 से अधिक सीटों पर 70 प्रतिशत से अधिक मतदान संबंधित आंकड़े इसकी पुष्टि कर रहे हैं।

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    भारत निर्वाचन आयोग के मुताबिक, कई सीटों पर अब तक का सबसे ज्यादा मतदान दर्ज हुआ, जो राजनीतिक दलों के लिए उत्साह और चुनौती दोनों है।

    सोच-समझकर मत बदल रहे मतदाता

    मतदान का मिजाज बताता है कि मतदाता अपना मत बहुत सोच-समझकर एवं परिस्थिति के अनुसार बदल रहे हैं। गांव से लेकर शहर तक महिलाएं, युवाओं एवं पहली बार वोट कर रहे मतदाताओं की लंबी कतारें आजादी के उपरांत अब तक के मतदान संबंधित रिकार्ड को तोड़ दिया।

    चंद विधानसभा क्षेत्र एवं बूथों को छोड़कर महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक रही, जो इस चुनाव में महिला मतदाता की निर्णायक भूमिका की ओर संकेत है।

    युवा मतदाताओं में बदलाव की चाह सबसे साफ दिखी। रोजगार, शिक्षा और स्थानीय विकास उनके प्रमुख मुद्दे रहे।

    25 से अधिक सीटों पर 70 प्रतिशत से अधिक मतदान दे रहे हैं मिश्रित संदेश

    राजनीतिक विश्लेषक अभय कुमार के अनुसार राजनीतिक दलों के लिए यह रिकार्ड मतदान मिश्रित संदेश देता है। एनडीए इसे अपनी विकास योजनाओं पर भरोसा बता रही हैं, जबकि विपक्ष इसे सरकार के विरुद्ध जनता के धैर्य टूटने का संकेत मान रहा है।

    एनडीए नेताओं का दावा है कि शांतिपूर्ण एवं भारी मतदान बताता है कि जनता ने स्थिरता व निरंतरता को प्राथमिकता दी है।

    दूसरी ओर महागठबंधन के नेताओं का मानना है कि अभूतपूर्व मतदान आम जनता का मौन गुस्सा है, जो नतीजों में साफ नजर आएगा।
    चुनावी रणनीतिकारों का विश्लेषण साफ है कि रिकार्ड मतदान अक्सर सत्ता विरोधी लहर को भी जन्म देता है और कभी सत्ता में बैठे दल के लिए अप्रत्याशित लाभ भी दे देता है। इस बार मुकाबले की धार तेज है और हर सीट का परिणाम बड़ा राजनीतिक संदेश देगा।