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    मधुबनी में परिवारवाद का बोलबाला: 10 में से 8 सीटों पर पारिवारिक उम्मीदवार, सभी पार्टियों ने लगाया दांव

    Updated: Mon, 20 Oct 2025 10:21 PM (IST)

    मधुबनी जिले में इस बार 10 में से 8 विधानसभा सीटों पर खानदानी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों ने इन उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी है, जिनके परिवार पहले से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं। इन खानदानी उम्मीदवारों की वजह से मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है।

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    मधुबनी जिले की 10 में आठ विधानसभा सीटों पर लड़ रहे हैं खानदानी उम्मीदवार। फोटो जागरण

    राज्य ब्यूरो, पटना। आलोचना के बावजूद राजनीति में खानदानी उम्मीदवारों की आमद कम नहीं हुई है। मधुबनी शायद बिहार का ऐसा इकलौता जिला है, जिसकी 10 में से आठ विधानसभा क्षेत्रों में खानदानी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।

    दिलचस्प यह है कि राजद, भाजपा, जदयू, भाकपा और विकासशील इंसान पार्टी सबने इस तरह के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी है। यह अलग बात है कि इनमें से कई उम्मीदवार पहले भी विधायक रहे हैं। अभी भी हैं।

    लौकहा विधानसभा क्षेत्र की लड़ाई अधिक दिलचस्प है। यहां के राजद विधायक भारत भूषण मंडल इस बार भी अपनी पार्टी के उम्मीदवार हैं। ये पूर्व राज्यपाल और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष स्व. धनिक लाल मंडल के पुत्र हैं। उनकी गिनती बड़े और प्रतिष्ठित समाजवादी नेताओं में होती थी।

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    केंद्र में मोरारजी देसाई की सरकार में उन्हें गृह राज्यमंत्री बनाया गया था। 1990-95 के बीच हरियाणा के राज्यपाल रहे। भारत भूषण का मुकाबला जदयू के सतीश साहू से है। सतीश समाजवादी नेता और पूर्व मंत्री हरि प्रसाद साहू के पुत्र हैं। एक बार विधायक रह चुके हैं।

    स्व. धनिक लाल मंडल के भाई की पतोहू शीला मंडल लौकहा से सटे फुलपरास विधानसभा क्षेत्र की जदयू विधायक और उम्मीदवार हैं। वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कैबिनेट में मंत्री भी हैं।

    झंझारपुर में राज्य सरकार के मंत्री नीतीश मिश्रा भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वह चार बार विधायक रह चुके हैं। तीन बार उनकी जीत जदयू के उम्मीदवार के रूप में हुई थी। 2020 में भाजपा टिकट पर जीते।

    नीतीश मिश्रा पूर्व मुख्यमंत्री स्व. डॉ. जगन्नाथ मिश्र के पुत्र हैं। डॉ. मिश्र ने छह बार विधानसभा में झंझारपुर का प्रतिनिधित्व किया था। इसी क्षेत्र के विधायक के नाते वे तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे।

    बाबूबरही में जदयू ने मीना कामत को उम्मीदवार बनाया है। वह विधायक कपिलदेव कामत के निधन के बाद विधायक बनी थीं। स्व. कपिलदेव कामत राज्य सरकार के पंचायती राज मंत्री थे।

    बाबूबरही में विकासशील इंसान पार्टी ने मधुबनी जिला परिषद की अध्यक्ष विंदू गुलाब यादव को उम्मीदवार बनाया है। वह पूर्व विधायक गुलाब यादव की पुत्री हैं। उनकी मां अंबिका गुलाब यादव इस समय विधान परिषद की सदस्य हैं।

    बिस्फी विधानसभा क्षेत्र से राजद के उम्मीदवार बने हैं आसिफ अहमद। ये राजद के राज्यसभा सदस्य डॉ. फैयाज अहमद के पुत्र हैं। डॉ. अहमद भी इसी क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं।

    हरलाखी में जदयू उम्मीदवार सुधांशु शेखर और भाकपा उम्मीदवार राकेश पांडेय पूर्व विधायकों के पुत्र हैं। सुधांशु के पिता वसंत कुमार 2015 में विधायक बने थे। उनके निधन के बाद सुधांशु विधायक बने। राकेश पांडेय के पिता रामनरेश पांडेय अभी भाकपा के राज्य सचिव हैं। वह भी तीन बार हरलाखी के विधायक रह चुके हैं।

    खजौली में राजद ने अपने पूर्व विधायक सीताराम यादव के पुत्र ब्रजकिशोर यादव को उम्मीवार बनाया है। मधुबनी के राजद विधायक समीर महासेठ तीसरी जीत के लिए लड़ रहे हैं। उनके पिता स्व. राजकुमार महासेठ तीन बार मधुबनी के विधायक रह चुके हैं।

    राजनगर और बेनीपट्टी दो मात्र ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां खानदानी उम्मीदवार नहीं हैं। पूर्व मंत्री स्व. युगेश्वर झा की पुत्री भावना झा यहां से कांग्रस की विधायक हुआ करती थीं।

    इस बार कांग्रेस ने राजनीति की पहली पीढ़ी वाले नलिनी रंजन झा को अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने अपने विधायक विनोद नारायण झा को एक और अवसर दिया है।