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    टिकट कटा तो बागी बन जनता की अदालत में कूदे, निर्दलीयों ने बढ़ाई दलीय उम्मीदवारों की टेंशन

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 03:23 PM (IST)

    बिहार चुनाव में टिकट कटने से नाराज कई नेता बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे दलीय उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गोपाल मंडल, जय कुमार सिंह, रितु जायसवाल जैसे कई नेता निर्दलीय मैदान में हैं। इन बागियों के कारण कई सीटों पर मुकाबला रोमांचक हो गया है और दलीय उम्मीदवारों को हार का डर सता रहा है। निर्दलीय फैक्टर कई सीटों पर परिणाम बदल सकता है।

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    दलीय उम्मीदवारों के लिए मुसीबत बने निर्दलीय

    दीनानाथ साहनी, पटना। बिहार के चुनावी रण में इस बार ऐसे कई बागी खिलाड़ी हैं, जो दलीय उम्मीदवारों के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं। पार्टी के टिकट न देने या विधायक रहते टिकट काट देने के बाद भी हिम्मत नहीं टूटी। ऐसे उम्मीदवार जनता की अदालत में कूद पड़े हैं।

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    इनमें विधायक गोपाल मंडल, मोहम्मद इरफान आलम, पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह और रितु जायसवाल जैसे नेताओं के नाम प्रमुख हैं। बड़े दलों ने अंतिम समय में इन चेहरों को किनारे किया, लेकिन ये नेता टिकट कटने के दर्द को जनसमर्थन की ताकत में बदलने के इरादे से निर्दलीय ही मैदान में उतर चुके हैं। इन बागी उम्मीदवारों ने कई सीटों पर मुकाबले को रोमांचक भी बना दिया है। बड़ी पार्टियां चाहे जो दावा करें, लेकिन इस बार साफ है, चुनाव में कई सीटों पर निर्दलीय फैक्टर खेल पलट सकता है।


    चुनाव में ऐसे बागियों के आने से दलीय उम्मीदवारों को हार का डर सता रहा है, क्योंकि उनके वोट बंटने से प्रतिद्वंदी की जीत की संभावना बढ़ जाती है। भागलपुर जिले के गोपालपुर सीट से जदयू के टिकट पर लगातार तीन बार जीत चुके विधायक गोपाल मंडल को इस चुनाव में पार्टी ने किनारे कर दिया।

    जदयू ने टिकट शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल को दिया। इससे नाराज गोपाल मंडल ने बगावत का बिगुल बजा दिया। वह जनता की अदालत में बतौर निर्दलीय लड़ाई लड़ रहे हैं। इससे एनडीए के जदयू अधिकृत उम्मीदवार शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल के समक्ष असहज परिस्थिति पैदा हो गई है। वहीं दूसरी तरफ एनडीए के बीच सीट शेयरिंग में रोहतास जिले की दिनारा सीट उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के हिस्से में आ गई।

    जबकि इस सीट से जदयू के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे थे। टिकट कटने से कुपित होकर जय कुमार सिंह पार्टी के खिलाफ बागी तेवर अपनाते हुए दिनारा सीट से निर्दलीय मैदान में कूद गए। इस सीट पर एनडीए के अधिकृत रालोमो प्रत्याशी आलोक कुमार सिंह खड़े हैं। इसी तरह शेखपुरा जिले की बरबीघा सीट से जदयू ने विधायक सुदर्शन सिंह का टिकट कट गया। इस सीट पर जदयू ने कुमार पुष्पंजय को उम्मीदवार बनाया है। सुदर्शन सिंह इस सीट पर जदयू उम्मीदवार के लिए सबसे बड़ी टेंशन बने हुए हैं।


    वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत से सियासत की शुरुआत कर लोकप्रियता हासिल करने वाली रितु जायसवाल सीतामढ़ी जिले की परिहार सीट से राजद की प्रबल दावेदार थी, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इस सीट पर फैमिली पालिटिक्स को महत्व दिया और रितु को किनारे कर दिया। राजद ने पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री रामचंद्र पूर्वे की बहु स्मिता पूर्वे गुप्ता को टिकट दिया। रितु ने इसे अन्याय मानते हुए सीधे जनता के बीच जाने का फैसला किया। वे इस चुनाव की सबसे मजबूत महिला निर्दलीय उम्मीदवार मानी जा रही हैं।

    इसी तरह तेजस्वी प्रसाद यादव के नजदीकी माने जाने वाले सरोज यादव भी बेटिकट कर दिए गए तो वह भी राजद के विद्रोही हो गए। वे भोजपुर जिले की बरहरा सीट से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ने की उम्मीद पाले थे। अब सरोज यादव जनता के बीच निर्दलीय किस्मत आजमा रहे हैं और रामबाबू सिंह के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। वहीं पूर्णिया जिले की कसबा सीट पर भी कांग्रेस के विधायक मोहम्मद अफाक आलम बेटिकट होने से निर्दलीय लड़ाई लड़ रहे हैं।

    तीन बार के विधायक रहे मोहम्मद अफाक आलम का टिकट काटकर कांग्रेस ने मोहम्मद इरफान आलम को दे दिया। कसबा सीट पर कांग्रेस को अब अपने ही घर में बगावती तूफान का सामना करना पड़ रहा है। बहरहाल, बिहार चुनाव में ऐसे दर्जन से ज्यादा बागी निर्दलीय उम्मीदवार हैं, जो अपने-अपने दलों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।