Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Bihar: पूर्व मंत्री मोनाजिर का JDU से इस्तीफा, बोले- पार्टी में 90 प्रतिशत नेता-कार्यकर्ता घुटन महसूस कर रहे

    By Dina Nath SahaniEdited By: Prateek Jain
    Updated: Sun, 28 May 2023 09:38 PM (IST)

    Monazir Hasan Resigns from JDU पूर्व मंत्री डॉ. मोनाजिर हसन ने रविवार को जदयू को छोड़ने का एलान किया। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जदयू में हमारे जैसे निष्ठावान नेता की जरूरत नहीं है। उन्‍होंने कहा कि जदयू में मुस्लिम नेताओं को अपमानित किया जा रहा है।

    Hero Image
    Bihar: पूर्व मंत्री मोनाजिर का JDU से इस्तीफा, बोले- पार्टी में 90 प्रतिशत नेता-कार्यकर्ता घुटन महसूस कर रहे

    राज्य ब्यूरो, पटना: पूर्व मंत्री डॉ. मोनाजिर हसन ने रविवार को जदयू को छोड़ने का एलान किया। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जदयू में हमारे जैसे निष्ठावान नेता की जरूरत नहीं है।

    उन्‍होंने कहा कि जदयू में मुस्लिम नेताओं को अपमानित किया जा रहा है। ऐसे में उनके जैसे नेता का पार्टी में बने रहना मुनासिब नहीं है। उन्‍होंने जदयू की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और इससे संबंधित सूचना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को भी दे दी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नई पार्टी से जुड़ने पर जल्‍द करेंगे फैसला

    उन्होंने कहा कि अपने समर्थकों से बातचीत कर आगे की राजनीति का फैसला लेंगे। हालांकि, उनके करीबी ने दावा किया कि मोनाजिर हसन जल्द ही नई पार्टी में शामिल होंगे।

    मोनाजिर का जदयू छोड़ना जदयू के लिए बड़ा झटका है। खासकर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है। वे मुंगेर से सांसद हैं और वहीं से मोनाजिर आते हैं। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले ललन सिंह को अपने संसदीय क्षेत्र में एक बड़ा नेता खोना पड़ा है।

    मोनाजिर हसन ने बिना किसी का नाम लिये आरोप लगाया कि जदयू अपने मूल सिद्धांतों से भटक चुकी है और चंद स्वार्थी लोगो ने पार्टी को अपने कब्जे में कर लिया है, जो पार्टी को दीमक की तरह चाट रहे हैं। जदयू में 90 प्रतिशत नेता और कार्यकर्ता घुटन महसूस कर रहे हैं।

    लालू-तेजस्वी पर भी मुसलमानों को उपेक्षा करने का आरोप

    मोनाजिर ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि राजद में भी मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं बची है, उन्‍हें न तो मंच पर जगह दी जा रही है और न ही सरकार और संगठन में हिस्सेदारी दी जा रही है।

    अगर कोई हिस्सेदारी दी भी गई है तो वो भी खरीद-फरोख्‍त के माध्यम से ही, जैसा कि आम चर्चा में भी है कि राज्यसभा की कुछ सीटें पैसों के लेन-देन से ही संभव हो पाई हैं।

    धर्मनिरपेक्ष दलों से ज्यादा नुकसान मुसलमानों को ही हुआ है। ऐसे दलों को 18 प्रतिशत आबादी का सिर्फ इन्हें वोट चाहिए मुस्लिम नेता नहीं।

    पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के साथ कैसा व्यवहार हुआ, यह जगजाहिर है, उनका जनाजा तक पार्टी ने बिहार लाने का प्रयास नहीं किया। दो दिनों तक उनका पार्थिव शरीर दिल्ली के अस्पताल में पड़ा रहा और इस बीच तथाकथित सेक्युरिज्‍म का ढोंग करने वाले झांकने तक नहीं गए।