बिहार में किसकी होगी सरकार; दूसरे चरण के मतदान में छिपा है उत्तर, 2020 चुनाव की क्यों हो रही चर्चा?
बिहार में किसकी सरकार बनेगी, इसका उत्तर दूसरे चरण के मतदान में छिपा है। 2020 के चुनाव के नतीजों की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि वे इस बार भी महत्वपूर्ण संकेत दे सकते हैं। दूसरे चरण का मतदान सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएगा। सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण निर्णायक। सांकेतिक तस्वीर
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Assembly Elections 2nd Phase की 122 विधानसभा सीटों पर मंगलवार को हो रहे मतदान और उसके परिणाम से तय होना है कि सत्ता की चाभी किस गठबंधन के हाथ लगेगी।
2020 के परिणाम को याद करें तो इस चरण में पहले की जीती सीटें बचाने और उसे बढ़ाने की चुनौती एनडीए के सामने है। महागठबंधन की सरकार बनने की संभावना भी इन्हीं क्षेत्रों के परिणाम से बन या बिगड़ सकती है।
2020 के Bihar Mahasamar में बराबरी का था मुकाबला
पहले चरण की जिन 121 सीटों पर मतदान हुआ, उन पर 2020 के चुनाव में दोनों गठबंधनों के बीच लगभग बराबरी का मुकाबला था। एनडीए 60 और महागठबंधन को 61 सीटें मिली थी।
एनडीए की सरकार दूसरे चरण वाले क्षेत्रों के परिणाम पर ही बन पाई। इस चरण में एनडीए को 66 सीटें मिली थी। अकेले भाजपा के हिस्से 42 सीटें आई थी। इसके अलावा जदयू की 20 और हम को चार सीटें मिली थीं।
बसपा और निर्दलीय की एक-एक सीट पर जीत हुई थी। दोनों विधायक-जमा खांन और सुमित कुमार सिंह सरकार में शामिल हुए। उधर महागठबंधन को 45 सीटों (राजद 29, कांग्रेस 11 और भाकपा माले-पांच)।
एआइएमआइएम के पांच में से चार विधायक राजद में शामिल हो गए। इस तरह महागठबंधन कुल 49 सिटिंग विधायकों के साथ मैदान में है। महागठबंधन के लिए सीमांचल में आधार बढ़ाने की चुनौती है।
ध्रुवीकरण का प्रयास कितना होगा सफल
शाहाबाद और दक्षिण बिहार में पुरानी सीटों को कायम रखना महत्वपूर्ण कार्यभार है। सीमांचल भाजपा और जदयू के लिए भी महत्वपूर्ण है। भाजपा ने नियोजित ढंग से इस इलाके में ध्रुवीकरण का प्रयास किया है।
उसके प्रयास की भी परख होगी। क्या एनडीए और खासकर नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के प्रति अति पिछड़े वोटर पहले की तरह समर्पित हैं? इस प्रश्न का उत्तर मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और भागलपुर के परिणाम में मिलेगा।
महागठबंधन ने इन क्षेत्रों परम्परागत माय समीकरण से अलग अति पिछड़ी बिरादरी से आने वाले कई उम्मीदवार खड़े किए हैं। जदयू के लिए जहानाबाद और घोसी सीट भी प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है।
घोसी में पूर्व सांसद अरुण कुमार के पुत्र ऋृतुराज और जहानाबाद में पूर्व सांसद चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी जदयू के उम्मीदवार हैं।

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