Rohini Acharya: 'संजय और रमीज ने मुझसे यही कहा...', तेजस्वी यादव को चुभेगी रोहिणी की ये बात!
बिहार विधानसभा चुनाव में राजद की हार के बाद लालू परिवार में कलह बढ़ गई है। रोहिणी आचार्य ने परिवार और राजनीति से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने संजय यादव और रमीज को जिम्मेदार ठहराया है। इससे पहले लालू ने तेज प्रताप को भी निष्कासित कर दिया था। रोहिणी ने 2024 में छपरा से चुनाव लड़ा था और हार गई थीं। रमीज पर हत्या के आरोप हैं।

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में राजद की शर्मनाक हार के बाद लालू परिवार में कलह बढ़ गई है। अपने पिता लालू को किडनी देने वाली रोहिणी आचार्य ने परिवार से नाता तोड़ने के साथ ही राजनीति भी छोड़ देने का एलान कर दिया है। रोहिणी ने स्वयं को परिवार और राजद से अलग कर लिया है। फिलहाल इसे खराब परिणाम का साइड इफेक्ट माना जा रहा है।
रोहिणी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि सारा दोष में अपने ऊपर ले रही हूं, संजय यादव-रमीन ने मुझसे यही करने को कहा था। दरअसल, शुक्रवार की सुबह, जब मतगणना शुरू हो रही थी, परिवार के सदस्य इस उम्मीद में बैठे थे कि शाम तक सत्ता घर में आ जाएगी। लेकिन, मतगणना में तेजी के साथ ही बुरी खबरों की बाढ़ आ गई।
मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित तेजस्वी यादव अपने क्षेत्र राघोपुर में लगातार पिछड़ रहे थे। बड़े पुत्र तेज प्रताप बड़े अंतर से चुनाव हार गए थे। महागठबंधन सत्ता से बहुत दूर हो गया था। देर रात अच्छी खबर आई कि तेजस्वी चुनाव जीत गए हैं, लेकिन हार के कारण तेज प्रताप मायूस हो गए हैं।
अब शनिवार को यह खबर आई कि रोहिणी ने परिवार और राजद से नाता तोड़ लिया है। यह परिवार के दूसरे सदस्य के अलगाव की खबर है। इससे पहले मई माह में लालू प्रसाद ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप को छह वर्ष के लिए परिवार और दल से बेदखल कर दिया था।
कहा था कि तेज प्रताप की हरकतें पार्टी की मर्यादा के खिलाफ हैं। रोहिणी के अलगाव को भी तेज प्रताप से जोड़कर देखा जा रहा है। चुनाव परिणाम से रोहिणी बेहद दुखी हैं। तेज प्रताप की तरह रोहिणी ने भी राजद की बुरी गति के लिए राज्यसभा सदस्य और तेजस्वी के सलाहकार संजय यादव को जिम्मेवार ठहराया है।
रोहिणी की राजनीतिक सक्रियता इतनी भर है कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव में छपरा से राजद की उम्मीदवार थीं। चुनाव हार गईं। विधानसभा चुनाव में वह राघोपुर गई थीं। उन्होंने तेजस्वी के लिए वोट मांगा। वह तेज प्रताप के क्षेत्र महुआ नहीं गईं। लेकिन, उन्हें जीत की शुभकानाएं दीं।
क्रिकेट खेलने के दौरान तेजस्वी के करीब आए संजय यादव
मूलरूप से हरियाणा में महेंद्रगढ़ जिले के गांव नांगल सिरोही के रहने वाले संजय यादव फिलहाल राजद से राज्यसभा सांसद के साथ ही तेजस्वी के राजनीतिक रणनीतिकार और सलाहकार भी है। संजय का कोई बड़ा राजनीतिक बैक राउंड नहीं है। 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद संजय ने तेजस्वी परिवार की एक कंपनी में गुरुग्राम में मैनेजर की नौकरी की। यहीं से उनकी दोस्ती तेजस्वी से हो गई।
संजय भी तेजस्वी की तरह क्रिकेट के दीवाने थे। दोनों दिल्ली की एक ही क्रिकेट एकेडमी में जाने लगे। लालू के चारा घोटाले में जेल जाने पर राजनीतिक बागडोर तेजस्वी के हाथों में आने पर उन्होंने संजय को पटना बुला लिया।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बिहार पहुंचने के बाद तेजस्वी को युवाओं के बीच आधुनिक नेता के तौर पर स्थापित करने में संजय का ही रोल रहा है। 2018 तक संजय तेजस्वी के साथ उनके सबसे करीबी के तौर पर काम तो करते रहे लेकिन उनका नाम इतना चर्चा में नहीं रहा। बाद में तेजस्वी ने उन्हें अपना राजनीतिक सलाहकार बनाया। तेजस्वी ने संजय को 2024 में राज्यसभा का सदस्य भी बनाया।
राजद का चुनाव प्रबंधन देख रहे रमीज, हत्या में है नामजद
बलरामपुर संवाददाता के अनुसार रोहिणी आचार्य ने जिस रमीज नेमत को निशाने पर लिया है, वह राजद का इंटरनेट मीडिया के साथ चुनाव प्रबंधन भी देख रहा था। उप्र के बलरामपुर जिले का रहने वाला रमीज ललितपुर जेल में बंद पूर्व सपा सांसद रिजवान जहीर का दामाद है। रमीज पर नगर पंचायत तुलसीपुर के पूर्व चेयरमैन फिरोज पप्पू की हत्या समेत कई मुकदमे दर्ज हैं। वह जमानत पर बाहर है।
पत्नी जेबा रिजवान दो बार विधानसभा से चुनाव लड़कर हार चुकी है। वह अपने ससुर रिजवान के आवास पर ही रहता था। उस पर एनएसए के तहत कार्रवाई हुई और गैंग्स्टर भी लगा। हत्या के एक मामले में अप्रैल, 2025 में जमानत पर जेल से छूटकर बाहर आया था।

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