ऑस्ट्रेलिया में धूमधाम से मनाया गया छठ महापर्व, आस्था और संस्कृति का भव्य संगम
ऑस्ट्रेलिया में छठ महापर्व को धूमधाम से मनाया गया। सिडनी में विशेष आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने सूर्य देव की उपासना की और पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन किया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिली। छठ पूजा के बाद सामूहिक प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया।

आस्ट्रेलिया के मेलबर्न में धूमधाम से मनाया गया छठ
डिजिटल डेस्क, पटना। इस वर्ष भी मेलबर्न में छठ महापर्व पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ धूमधाम से मनाया गया।
Bihar Jharkhand Sabha of Australia & New Zealand – Victoria Chapter (BJSM-VIC) के तत्वावधान में यह भव्य आयोजन कडकारूक पार्क, हीथर्टन (Melbourne) में संपन्न हुआ।
सैकड़ों की संख्या में प्रवासी भारतीय परिवारों ने इसमें भाग लिया और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया।
इस अवसर पर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध लोकगायिका डॉ. एन.के. नूतन जी ने अपनी मधुर भक्ति-धुनों और गीतों से पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
कार्यक्रम में भारत के वाणिज्य दूत (Consul General of India, Melbourne) सुशील कुमार भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
उनकी सादगी और आत्मीयता ने श्रद्धालुओं का दिल जीत लिया।
घाट स्थल पर अनिल पांडेय से मुलाकात हुई, जो मेलबर्न स्थित एक बहुराष्ट्रीय पाँच सितारा होटल में Director के पद पर कार्यरत हैं। अनिल पांडेय मूल रूप से मुज़फ्फरपुर जिले के बीबीगंज के निवासी हैं। उनका मूल गाँव अहिरौलिया, बरुराज (मोतीपुर) में स्थित है। वे स्वर्गीय चन्द्रदीप पांडेय जी के सुपुत्र हैं।
वे अपने साथियों सुमित झा, राजकमल, गौतम, नीरज, रश्मि झा जी, आयुषी झा, अविनाश जी, सचिन सिंह, सनी, अतिश, चंद्रशेखर पांडेय और अन्य प्रवासी बिहारी परिवारों के साथ मिलकर पूरे उत्साह से छठ महापर्व मना रहे थे।
वे न केवल आयोजन में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे, बल्कि समाज के लोगों से लगातार मिलते-जुलते और उन्हें जोड़ने का कार्य भी कर रहे थे।
अनिल ने बताया कि “हमारा उद्देश्य केवल पर्व मनाना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि बिहार और झारखंड की संस्कृति आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रहे।” उनकी पत्नी रितु बाला पांडेय, पुत्र अर्णय पांडेय और पुत्री अरण्या पांडेय ने भी पूरे समर्पण से आयोजन में भाग लिया।
पूरा स्थल ‘छठ मइया’ के जयघोष, भक्ति गीतों और सूर्य अर्घ्य की आराधना से गूंज उठा। पारंपरिक वेशभूषा में सजे प्रवासी परिवारों ने अस्ताचल और उदयाचल सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर अपनी आस्था का परिचय दिया।
मेलबर्न में बसे प्रवासी बिहारी और झारखंडी परिवारों ने एक बार फिर यह साबित किया कि मिट्टी से दूरी भले हो, पर संस्कृति और आस्था से नहीं। ऐसे आयोजन न केवल भारतीय समुदाय को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं, बल्कि बिहार और झारखंड की गौरवशाली संस्कृति को विश्व पटल पर भी उजागर करते हैं।




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