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    पटना IGIMS में रोबोटिक सर्जरी की तैयारियां, डाक्टरों ने सीखीं बारीकियां

    By Pawan Mishra Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Sun, 27 Jul 2025 11:48 AM (IST)

    एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया बिहार चैप्टर ने यूरोलॉजी और पित्ताशय कैंसर प्रबंधन में रोबोटिक सर्जरी पर एक सीएमई का आयोजन किया। विशेषज्ञों ने रोबोटिक सर्जरी की बारीकियों और उपयोगिता पर प्रकाश डाला। डॉ. अंशुमान अग्रवाल ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी से जटिल ऑपरेशन सटीकता से किए जा सकते हैं जिससे मरीजों को कम दर्द और जल्दी रिकवरी होती है। यह यूरोलॉजी के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव है।

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    विशेषज्ञों ने रोबोटिक सर्जरी की बारीकियों और उपयोगिता पर प्रकाश डाला। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, पटना। एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया (एएसआइ) बिहार चैप्टर ने इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सहयोग से शनिवार को यूरोलॉजी और पित्ताशय कैंसर प्रबंधन में रोबोटिक सर्जरी की उपयोगिता बताने के लिए सीएमई (सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम) कार्यक्रम का आयोजन किया।

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    एएसआइ के सचिव और आइजीआइएमएस के चिकित्सा निदेशक डॉ. मनीष मंडल ने कहा कि संस्थान के कई विभागों में रोबोटिक सर्जरी की सुविधा जल्द शुरू होने वाली है। इस सीएमई से विशेषज्ञ डॉक्टरों को नई रोबोटिक सर्जरी की उपयोगिता, बारीकियों आदि की अद्यतन जानकारी देने में मदद मिलेगी।

    मुख्य वक्ता यूरोलॉजी, एंड्रोलॉजी और रोबोटिक सर्जरी के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. अंशुमान अग्रवाल और मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. दीपांजन पांडा थे। मौके पर एएसआइ अध्यक्ष डॉ. सीता राम सिंह, आइजीआइएमएस के यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार तिवारी, जनरल सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. पीके झा, डॉ. प्रियरंजन, डॉ. संजय कुमार सिंह, डॉ. अतुल वर्मा, डॉ. मृत्युंजय कुमार आदि मौजूद थे।

    डॉ. अंशुमान अग्रवाल ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी में मशीनें डॉक्टर की गतिविधियों को इतनी बारीकी से दोहराती हैं कि प्रोस्टेट, किडनी, ब्लैडर आदि की जटिल सर्जरी अधिक सटीकता के साथ की जा सकती है। इसके 3डी हाई डेफिनिशन कैमरे से आंतरिक अंगों, यहां तक कि नसों को भी काफी गहराई से देखा जा सकता है।

    पारंपरिक सर्जरी की तुलना में छोटे चीरों के कारण रक्तस्राव, दर्द और जटिलताएं कम होती हैं और मरीजों को जल्द छुट्टी मिल जाती है। प्रोस्टेट कैंसर, किडनी ट्यूमर, ब्लैडर कैंसर, पुरुष प्रजनन संबंधी समस्याएं जैसे वासोवास्टॉमी या वासोडेफेरेंस रिवर्सल जैसी प्रक्रियाएं बांझपन की समस्या को हल करने में मददगार हैं।

    रोबोटिक सर्जरी का प्रयोग तभी सफल होता है जब सर्जन के पास उच्च स्तर का अनुभव और प्रशिक्षण हो। रोबोटिक सर्जरी ने यूरोलॉजी की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं।

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