Dev Uthani Ekadhashi: शिव से सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी लेंगे श्रीहरि, अब बजेगी शहनाई
कार्तिक शुक्ल एकादशी पर भगवान विष्णु निद्रा से जागेंगे, जिससे चातुर्मास व्रत समाप्त होगा और शुभ कार्य शुरू होंगे। भक्त प्रबोधिनी एकादशी और तुलसी विवाह मनाएंगे। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस दिन तीन शुभ योग हैं। एकादशी व्रत से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तुलसी-शालिग्राम विवाह कराने से सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है।

चातुर्मास के समापन के साथ शुरू होंगे मांगलिक कार्यक्रम। सांकेतिक तस्वीर
प्रभात रंजन, पटना। एक बार फिर शहनाई की गूंज होगी। करीब चार महीने बाद शहर से लेकर गांव तक मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। दरअसल अब सृष्टि के संचालन की जिम्मेदारी भगवान शिव से श्री हरि विष्णु लेंगे। वे चार महीने की निद्रा में थे। शहर के इस्कान मंदिर, नागाबाबा ठाकुरबाड़ी, राजापुर पुल राधा कृष्ण प्रणामी मंदिर समेत अन्य जगहों पर गोधूलि बेला में शंख, डमरू, मृदंग, झाल और घंटी बजा कर भगवान नारायण को निद्रा से जागृत किया जाएगा।
तीन शुभ मुहुर्त में मनेगी देवोत्थान एकादशी
कार्तिक शुक्ल एकादशी में शतभिषा नक्षत्र के साथ तीन शुभ योग ध्रुव योग, रवि योग व त्रिपुष्कर योग हैं। मान्यता है कि देवोत्थान एकादशी का व्रत काफी महत्वपूर्ण होता है। इस एक व्रत से एक हज़ार अश्वमेघ यज्ञ व सौ राजसूय यज्ञ के समान फल मिलता है। एकादशी तिथि का उपवास बुद्धिमान, शांति प्रदाता व संततिदायक है। एकादशी के दिन पवित्र नदियों में स्नान व भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्त्व है। इस व्रत को करने से जन्म-जन्मांतर के पाप क्षीण हो जाते हैं तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। विष्णु सहस्रनाम स्त्रोत का पाठ काफी फलदायक होता है। देवोत्थान पर बड़ी संख्या में लोग गंगा स्नान और दान करते हैं। व्रत कर श्री हरि विष्णु की आराधना की जाती है। इसको लेकर कई जगहों पर तैयारी चल रही है।
इधर अब शादी, उपनयन समेत अन्य मांगलिक कार्यों की तैयारी घरों में होने लगी है। वर-वधू ढूंढ़ने की कवायद भी तेज होगी। इधर शहर के विवाह भवन, बैंक्वेट हाल समेत होटलों की बुकिंग भी हो रही है। लोग अपना बजट देखकर खरीदारी करने लगे हैं। इससे बाजारों में रौनक दिखने लगी है। कपड़े, वैवाहिक परिधान, कैटरिंग आदि की दुकानों में भी चहल-पहल बढ़ गई है। अब आने वाले कुछ समय हर तरफ बैंड बाजा और शहनाई की आवाज सुनाई देगी।

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