Health : हर सिरदर्द को नहीं लें हल्के में, हो सकती है गंभीर समस्या
हर सिरदर्द को मामूली नहीं समझना चाहिए, क्योंकि यह नस फटने या ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकता है। अचानक तेज सिरदर्द नस फटने का संकेत हो सकता है, जबकि लगातार बना रहने वाला सिरदर्द ट्यूमर की संभावना दर्शाता है। ऐसे में, लगातार या गंभीर सिरदर्द होने पर डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

पीएमसीएच के न्यूरो मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डा. गुंजन कुमार ने बताए सिरदर्द के कारण व उपाय।
जागरण संवाददाता, पटना। सिरदर्द को अक्सर थकान, तनाव या नींद की कमी का दुष्प्रभाव मानकर अधिसंख्य लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन कई बार यह गंभीर रोगों का संकेत भी हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार सिरदर्द का कारण केवल माइग्रेन या टेंशन नहीं बल्कि ब्रेन ट्यूमर, एन्युरिज़्म ब्लीड (नस फटना), साइनस इंफेक्शन, सर्वाइकल स्पांडलाेसिस या अनियमित ब्लड प्रेशर हो सकता है। लगातार या असामान्य सिरदर्द को अनदेखा करने से दिमाग पर गंभीर दुष्प्रभाव हो सकता है। अगर अचानक बहुत तेज दर्द हो, उल्टी, धुंधला दिखे या बोलने में दिक्कत हो तो यह आपात स्थिति हो सकती है। ये बातें रविवार को दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो जागरण में पीएमसीएच के न्यूरो मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर व एम्स पटना में संस्थापक विभागाध्यक्ष डा. गुंजन कुमार ने कहीं। उन्होंने पाठकों को परामर्श दिया कि बार-बार या असामान्य सिरदर्द में खुद दवा लेने के बजाय न्यूरोलाजिस्ट से परामर्श लें ताकि वे जरूरी जांच कर सिरदर्द के प्रकार, समय व कारण को पहचानन उनका निवारण कर सकें। हर सिरदर्द दवा से नहीं बल्कि निदान से ठीक होता है।
लंबे समय से बार-बार सिरदर्द, कान-गले से आवाज आती है। डा. गुंजन कहते हैं, माह में दो से तीन बार सिर दर्द, दवा लेने से आराम है तो समय पर नाश्ता करें, कम से कम सात-आठ घंटे की नींद लें, आराम होगा। सिरदर्द शुरू होने का संकेत मिलते ही दवा लेने पर पूरा आराम होता है। तेज सिरदर्द या उल्टी की स्थिति आने पर दवा लेने से आराम नहीं होता। वे यह भी कहते हैं कि हर सिरदर्द माइग्रेन ही हो यह ज़रूरी नहीं है। माइग्रेन में सामान्यत: सिर के एक हिस्से में तेज़ दर्द होता है, रोशनी व आवाज़ से तकलीफ़ बढ़ती है और कभी-कभी उल्टी होती या महसूस होती है। सिर्फ भारीपन या हल्का चक्कर है तो यह ब्लड प्रेशर, तनाव या सर्वाइकल स्पान्डिलोसिस के कारण हो सकता है। पीएमसीएच आकर मिलें, बीपी, शुगर व कुछ अन्य जांच के बाद ही दवा देना उचित होगा।
ब्रेन स्ट्रोक आने से पहले कैसे लक्षण उभरते हैं?
ब्रेन स्ट्रोक के पहले कई बार शरीर चेतावनी देता है। अचानक एक तरफ हाथ-पैर में कमजोरी या सुन्नपन, बोलने या समझने में कठिनाई, एक या दोनों आंखों की रोशनी धुंधली होना, संतुलन बिगड़ना या चक्कर आने पर तुरंत अस्पताल पहुंचना चाहिए। पहले तीन घंटे गोल्डन आवर होते हैं, इस समय ब्लड क्लाटिंग को इंजेक्शन से ठीक किया जा सकता है इससे मस्तिष्क को होने वाली क्षति बहुत हद तक सीमित किया जा सकता है। इलाज में जितनी देर हाेती है, उतने की गंभीर दुष्परिणाम सामने होते हैं।
मोबाइल-लैपटाप के ज़्यादा इस्तेमाल से नुकसान होता है?
लगातार स्क्रीन देखने से मस्तिष्क कोशिकाओं को स्थायी नुकसान तो नहीं होता लेकिन नींद, आंखों-गर्दन, ध्यान व मानसिक संतुलन पर दुष्प्रभाव होता है। इसे डिजिटल फटीग कहा जाता है। नीली रोशनी से मेलाटोनिन हार्मोन का स्राव घटता है, जिससे नींद की गुणवत्ता खराब होती है। तनाव हार्मोन बढ़ने से चिंता, सिरदर्द व मूड स्विंग्स हो सकते हैं। दिमाग़ की एकाग्रता घटने से सीखने व निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। लगातार झुककर देखने से टेक नेक सिंड्रोम से गर्दन, कंधे और पीठ में दर्द बढ़ता है।इसलिए हर 30–40 मिनट पर ब्रेक लें, रात में नीली रोशनी से बचें व पर्याप्त नींद लें। बच्चों व किशोरों का स्क्रीन टाइम 2 घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए।
मिर्गी के दौरे कुछ माह बाद फिर पड़ने लगते हैं, स्थायी इलाज है?
मिर्गी का इलाज लंबा चलता है और इसकी दवाएं नियमित रूप से लेनी होती हैं। 2–3 साल तक दौरा नहीं आने पर डाक्टर धीरे-धीरे दवा कम करते हैं। लगातार दौरे आने पर दवा छोड़ने या गलत खुराक का खराब असर होता है। खुद से दवा बंद करने के बजाय हर 6 माह पर न्यूरोलाजिस्ट से परामर्श लेते रहें। 50 प्रतिशत मामलों में मिर्गी का कारण आनुवंशिक होता है अन्य में दिमाग में कीड़ा, चोट, संक्रमण या ट्यूमर होता है। ऐसे में एमआरआइ कराकर देखना जरूरी होता है।
सिरदर्द के प्रकार व कारण
- माइग्रेन से सिरदर्द : सिर के एक तरफ तेज़ धड़कता दर्द, रोशनी, आवाज़ या गंध से परेशानी, मिचली-उल्टी या महसूस होना। ऐसा हार्मोनल बदलाव, तनाव, नींद की कमी, या तेज़ रोशनी से हो सकता है।
- टेंशन यानी सामान्य सिरदर्द: पूरे सिर में कसाव या भारीपन, गर्दन या कंधे में जकड़न। यह मानसिक तनाव, लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम, नींद की कमी से होता है।
- साइनस से सिरदर्द: माथे, आंखों या गाल की हड्डियों के आसपास दर्द, नाक बंद या बहना, सिर झुकाने पर दर्द बढ़ना। लंबे समय तक सर्दी-जुकाम, संक्रमण या एलर्जी से ऐसा होता है।
- एन्युरिज़्म ब्लीड या ट्यूमर से सिरदर्द: अचानक बहुत तेज़, असहनीय सिरदर्द, उल्टी, बेहोशी, बोलने या देखने में दिक्कत, यदि 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को सामान्य से इतर सिरदर्द हो तो ट्यूमर के कारण। इसका कारण दिमाग की नस फटना या ट्यूमर से दबाव बढ़ना है। तुरंत अस्पताल जाना चाहिए जहां सीटी व न्यूरो विशेषज्ञ हों।
- ब्लड प्रेशर या सर्वाइकल सिरदर्द : सिर के पीछे दर्द या दबाव, गर्दन में अकड़न या झनझनाहट हो तो यह तेजी से बीपी ऊपर-नीचे होने से हो सकता है। हाई व लो ब्लड प्रेशर या गर्दन की नसों पर दबाव इसका कारण होता है।

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