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    ED Raid: पटना के ठेकेदार रिशुश्री के ठिकानों पर ईडी का छापा, 9 जगहों पर एक साथ कार्रवाई

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 07:52 PM (IST)

    प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पटना के ठेकेदार रिशुश्री से जुड़े मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 9 अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई वित्तीय अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के सिलसिले में की गई है। ईडी की टीम ने कई ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया, जिससे पटना के ठेका कारोबार में हड़कंप मच गया है।

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    पटना के ठेकेदार रिशुश्री के ठिकानों पर ईडी का छापा

    राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव समाप्त होते ही केंद्रीय जांच एजेंसियां एक बार फिर सक्रिय हो गई हैं। इसी कड़ी में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पटना के ठेकेदार रिशुश्री से जुड़े धन शोधन मामले में मंगलवार को अहमदाबाद, सूरत, गुरुग्राम और नई दिल्ली में नौ स्थानों पर एक साथ छापा मारा।

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    छापामारी के दौरान डिजिटल उपकरण, कई डायरी और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए साथ ही जांच एजेंसी ने 33 लाख रुपये भी बरामद किए हैं।

    रिशुश्री बिहार का वह ठेकेदार है जिसकी विभिन्न फर्म बिहार सरकार के विभिन्न विभागों जैसे जल संसाधन, पीएचईडी, शिक्षा नगर विकास एवं आवास विभाग, भवन निर्माण, ग्रामीण कार्य विभाग में ठेकेदार अथवा उप ठेकेदार के रूप में काम करती हैं।

    ठेके पर काम लेने के एवज में रिशुश्री की फर्म अधिकारियों को मोटा कमीशन देती थी। इस मामले में पुख्ता सबूत मिलने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने जून महीने में उसके ठिकानों पर छापा मारा था। जिसमें अधिकारियों के साथ रिशुश्री के सांठगांठ के प्रमाण मिले थे।

    इससे पहले मार्च में कई ट्रैवल एजेंटों और पटना में कई सरकारी अधिकारियों के आवासीय परिसरों पर तलाशी अभियान चलाया गया था। इन तलाशियों में कुल 11.64 करोड़ रुपये (लगभग) नकद, विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए थे।

    बाद में इस मामले की एक अलग से जांच के लिए ईडी ने विशेष निगरानी इकाई को भी पत्र लिखा था। जांच एजेंसी ने अपनी कार्रवाई में रिशुश्री एवं उसके परिवार के सदस्यों और संस्थाओं की करीब 68.09 करोड़ की संपत्ति अगस्त महीने में अस्थायी रूप से कुर्क की थी।

    रिशुश्री का नाम पहली बार आईएएस संजीव हंस पर चल रहे मुकदमों और ईडी की कार्रवाई में सामने आया था। आरोप था कि यह अपने कई लोगों के नाम पर कंपनियां बनाकर सरकारी विभागों में टेंडर मैनेज करने का काम करता था। फिलहाल इस मामले की आगे की जांच जारी है।