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    भोपाल में मिथिला कला की भव्य प्रदर्शनी का हुआ आगाज, पेंटिंग से लेकर टिकुली तक कई कलाकृतियों का होगा प्रदर्शन

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 12:24 AM (IST)

    भोपाल में मिथिला कला की एक भव्य प्रदर्शनी शुरू हुई, जिसमें मिथिला पेंटिंग और टिकुली कला के उत्कृष्ट नमूने प्रदर्शित किए गए हैं। इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य मिथिला की समृद्ध कला और संस्कृति को बढ़ावा देना है। यह कला प्रेमियों और कलाकारों के लिए एक शानदार अवसर है, जहाँ वे इन पारंपरिक कला रूपों की सुंदरता और बारीकियों को देख सकते हैं।

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    भोपाल के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में लगी मां सीता पर आधारित प्रदर्शनी। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, पटना। बिहार संग्रहालय की ओर से भोपाल के वीथि संकुल, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में मां सीता के जीवन पर आधारित बिहार की बेटी शीर्षक से कला प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ।

    30 नवंबर तक चलने वाली कला प्रदर्शनी कला प्रेमियों के लिए खुली रहेगी। प्रदर्शनी का शुभारंभ कलाकार साजन मिश्र, स्वरांश मिश्र, बिहार संग्रहालय के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा, उपनिदेशक नंद गोपाल, मानव संग्रहालय के निदेशक प्रो. अमिताभ पांडे ने किया।

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    प्रो. अमिताभ पांडे ने कहा कि प्रदर्शनी हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता का उत्कृष्ट उदाहरण है। मिथिला की लोक कला में निहित आध्यात्मिकता और लोक संवेदना भारतीय समाज के सांस्कृतिक ताने-बाने को सशक्त बनाती है। मां सीता पर आधारित कला प्रदर्शनी भारत की नारी शक्ति और लोक अभिव्यक्ति को बयां करती है। जो युगों से समाज को दिशा देते आई है।

    बिहार संग्रहालय के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि वर्तमान समय में महिला अधिकारों के लिए महिलाओं की चुनौतियों को कला प्रदर्शनी से प्रेरणा मिलेगी। प्रदर्शनी बिहार की समृद्ध लोक परंपराओं और मिथिला की सांस्कृतिक विरासत को समर्पित है।

    कला प्रदर्शनी में प्रदेश के पद्मश्री से सम्मानित कलाकार बौआ देवी, अशोक कुमार विश्वास, निर्मला देवी सहित राष्ट्रीय एवं राज्य पुरस्कार विजेताओं की कलाकृतियां शामिल है। प्रदर्शनी में मिथिला पेंटिंग की कलाकृतियों के अलावा सुजनी कला, टिकुली कला, टेराकोटा, लकड़ी एवं धातु शिल्प जैसी पारंपरिक कला शैलियों के उत्कृष्ट कलाकृति प्रदर्शित की गई है।

    कलाकृतियों में मां सीता के जीवन पर आधारित जन्म, स्वयंवर, वनवास, अग्नि परीक्षा, अयोध्या वापसी आदि दृश्यों को दर्शाया गया है। प्रदर्शनी का उद्देश्य भारतीय नारी की करूणा, त्याग, धैर्य और मर्यादा के प्रतीक रूप से सीता के चरित्र को आधुनिक समाज में पुनर्स्थापित करना है। लोक कलाकारों की दृष्टि में सीता केवल एक पौराणिक पात्र नहीं बल्कि भारतीय नारी की आत्म शक्ति, करुणा और संयम की प्रतिमूर्ति है।

    कलाओं से रूबरू होंगे प्रतिभागी

    कला प्रदर्शनी के साथ लोक कला कार्यशाला आयोजित की गई है। इसमें लोगों को पारंपरिक कलाओं को समझने का मौका मिलेगा। लोक कलाकारों में मिथिला कला के युवा कलाकार आयुषी प्रिया, प्रभाकर किशोर पांडे द्वारा मिथिला पेंटिंग की कृतियां प्रदर्शित की जाएगी।

    गोदना कला की दीपा कुमारी अपनी कला को प्रदर्शित करेंगे। संतोष कुमार टिकुली कला को, विभा श्रीवास्तव क्रोशिया को प्रदर्शित करेंगी। प्रदर्शनी स्थल पर प्रदेश के प्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी-चोख, बेल आदि का आनंद उठाएंगे। छह एवं सात नवंबर को बिहार संग्रहालय के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा बिहार की लोक कलाओं पर अपने विचार देंगे।