NDA में बागियों-विरोधियों से निपटने का चक्रव्यूह हुआ तैयार, सबक लेकर एक-एक सीट को साधने में जुटे दिग्गज
राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने आगामी चुनावों में बागियों और विरोधियों से निपटने के लिए रणनीति बनाई है। पिछले चुनावों से सबक लेते हुए, राजग के नेता हर सीट को जीतने के लिए मेहनत कर रहे हैं। वे स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और बागियों को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। राजग एकजुट होकर चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

सबक लेकर एक-एक सीट के समीकरण को साधने में जुटे दिग्गज
जागरण संवाददाता, पटना। आठ जिलों में पिछली बार एक भी प्रत्याशी के नहीं जीतने से सबक लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने इस बार नया चक्रव्यूह तैयार किया है। रणनीति के पीछे दूरगामी लक्ष्य है। राजग के शीर्ष नेताओं एवं रणनीतिकारों को आशंका है कि टिकट बंटवारे के उपरांत विपक्षी दलों की तुलना में एनडीए के बागी व विरोधी ज्यादा घातक हो सकते हैं।
इसे ध्यान में रखते हुए एक-एक सीट पर प्रत्याशी चयन से लेकर नामांकन एवं चुनाव प्रचार तक की पटकथा लिख दी गई है। दरअसल, राजग में टिकट बंटवारे एवं प्रत्याशियों के नाम की घोषणा में विलंब भी सोची-समझी रणनीति का एक कोण है।
पिछली बार हुआ था नुकसान
पिछले चुनाव में बागियों-विरोधियों के कारण ही आठ जिलों (बक्सर, कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, अरवल, जहानाबाद, शिवहर, किशनगंज) में राजग का सुपड़ा साफ हो गया था। हालांकि, किशनगंज और कैमूर की पराजय में महागठबंधन की तुलना में तीसरे मोर्चा के दलों की भी बड़ी भूमिका रही थी।
ऐसे विभिन्न पहलुओं पर गौर करते हुए राजग ने इस बार फुलप्रूफ प्लान तैयार किया है। इसमें सीट बंटवारे व प्रत्याशी चयन के अतिरिक्त नामांकन के साथ ही चुनाव प्रचार तक को सम्मिलित किया गया है। सत्ता विरोधी लहर और परिवारवाद-वंशवाद के आरोप को झेलने के साथ ही सामाजिक समीकरण साधने की चुनौती है।
इसका दायित्व वरिष्ठ नेताओं, पार्टी पदाधिकारियों और कई जगह कार्यकर्ताओं को भी दिया गया है। उल्लेखनीय है कि पिछली बार विपक्ष से कहीं अधिक राजग के बागियों-विरोधियों ने राजनीतिक समीकरण को बदल दिया था। इस कारण कई दिग्गज अपने ही क्षेत्रों में धराशायी हो गए थे।
उनमें शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा, समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह, सहकारिता मंत्री जयकुमार सिंह, परिवहन मंत्री संतोष निराला, अनुसूचित जाति व जनजाति कल्याण मंत्री रमेश ऋषिदेव, आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय, ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेष कुमार, अल्पसंख्यक कल्याण एवं गन्ना उद्योग मंत्री खुर्शीद अहमद और नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश शर्मा जैसे दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा था।
गुटबाजी से निपटना अब भी बड़ी चुनौती
वर्तमान परिदृश्य में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विकास योजनाओं, केंद्र एवं राज्य की संयुक्त रणनीति तथा सही-सशक्त प्रत्याशी से चयन से सत्ता पक्ष को बड़ी बढ़त मिलेगी। वहीं, विपक्ष के भीतर गुटबाजी, नेतृत्वहीनता एवं स्थानीय स्तर पर समन्वय की कमी उसे भारी नुकसान पहुंचा सकती है।
कई जगहों पर कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी एवं प्रत्याशियों के प्रति असंतोष भी देखने को मिला। इसके अलावा पाला बदलने वाले विधायकों का क्रम थम नहीं रहा है। इसे भी राजग की दूरगामी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। टिकट बंटवारे के उपरांत भितरघातियों पर भी पैनी नजर रखने की व्यवस्था है।
ठोस रणनीति के अंतर्गत संगठन के स्तर पर अंसतोष से निपटने के लिए संतुलित योजना पर दिग्गज काम कर रहे हैं। पहली प्राथमिकता यह है कि किसी भी तरह से विपक्ष को इसका लाभ नहीं मिले। इसके साथ ही राजग के लिए सबसे बड़ी चुनौती दूसरे दलों से आए विधायकों को समायोजित करने और पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ उनके समन्वय की है।
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