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    Nitish Kumar: नीतीश कुमार ने शपथ तो ले ली, मगर सरकार के सामने अब क्या होगी चुनौती?

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 08:00 PM (IST)

    नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की है, लेकिन उनके सामने कई चुनौतियां हैं। गठबंधन को स्थिर रखना, विकास कार्यों को गति देना, कानून व्यवस्था को बनाए रखना, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना और जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना उनकी सरकार के लिए महत्वपूर्ण कार्य हैं। इन चुनौतियों का सामना करते हुए उन्हें राज्य के विकास के लिए काम करना होगा।

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    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। PTI

    विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। चुनावी वादों को पूरा करने की प्रतिबद्धता जता रही एनडीए सरकार को इस बार खजाने की दोहरी चिंता करनी होगी। यह चिंता पूंजीगत परिव्यय में कटौती किए बगैर राजस्व व्यय के लिए पर्याप्त राशि जुटाने की है।

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    पूंजीगत परिव्यय से विकास दर का सीधा संबंध है, जबकि बिहार के अपने राजस्व के स्रोत (लगभग 22 प्रतिशत) सीमित हैं। दूसरी ओर प्रतिबद्ध व्यय (वेतन-पेंशन आदि) तेजी से बढ़ रहा और अब तो चुनावी वादों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 65,000 करोड़ रुपये का प्रबंध भी करना है।

    देश में तेज गति से बढ़ रहे बिहार में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। यहां बजट का बड़ा हिस्सा प्रतिबद्ध व्यय पर जा रहा, जो कुल राजस्व प्राप्ति का लगभग 42 प्रतिशत है। खजाने की हालिया हकीकत यह है कि राजकोषीय घाटा 9.2 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जिसे तीन प्रतिशत के भीतर होना चाहिए।

    राजकोषीय घाटा वस्तुत: कल्याणकारी खर्चों के कारण बढ़ा है, जबकि योजनाओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त ऋण की आवश्यकता भी पड़ सकती है। बिहार पहले से ही 2,80,084 करोड़ रुपये के ऋण से दबा हुआ है। ऐसे में विकास व्यय (दो नए शहरों का निर्माण का वादा आदि) पर प्रतिकूल प्रभाव के बिना चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती है।

    एनडीए के संकल्प-पत्र के प्रमुख वादों को पूरा करने के लिए नई सरकार को लगभग 37,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त चाहिए। इसमें किसानों को सहायता, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, मुफ्त बिजली और अन्य योजनाओं का समावेश है। पहले से जारी 28,000 करोड़ की कल्याणकारी योजनाओं को जोड़ने पर यह राशि 65,000 करोड़ रुपये बनती है, जो 2025-26 के बजट का लगभग 20 प्रतिशत होगी।

    अभी केंद्रीय करों में हिस्सेदारी और अनुदान के भरोसे बिहार का काम चल रहा। कर्ज जीएसडीपी के 37 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जबकि राजस्व व्यय पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत कम अनुमानित है, क्योंकि प्रतिबद्ध व्यय बढ़ता ही जा रहा। नई नौकरियों का वादा पूरा होने पर इस मद के खर्च का ग्राफ सीधा खड़ा हो जाएगा।

    वादों पर अनुमानित लागत:

    योजना का नाम राशि (करोड़ रुपये में) विवरण
    किसान सम्मान निधि 2,500 74 लाख किसानों को पीएम-किसान के अंतर्गत 6,000 से बढ़ाकर 9,000 रुपये प्रति वर्ष के साथ पीएम मत्स्य संपदा योजना भी
    सामाजिक सुरक्षा पेंशन 9,400 लगभग 1.12 करोड़ बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों की पेंशन 400 से बढ़ाकर 1,100 रुपये मासिक
    मुफ्त बिजली 3,797 हर परिवार को प्रति माह 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली
    स्कूल बच्चों के लिए नाश्ता 1,225 मिड-डे मील से अलग प्राथमिक स्कूलों में पोषण युक्त नाश्ता
    महिला उद्यमी योजना 15,000 1.21 करोड़ महिलाओं को 10,000 रुपये अनुदान (विस्तार के साथ दो लाख तक)
    10,000 करोड़ एकमुश्त दिए गए
    वार्षिक विस्तार लगभग 5,000 करोड़ रुपये
    रोजगार सृजन 5,000 सरकारी एवं निजी क्षेत्र में एक करोड़ अवसर, कौशल विकास केंद्र आदि
    अन्य योजनाएं 10,000 एससी-एसटी छात्रवृत्ति, ईबीसी को आर्थिक सहायता, ग्रीनफील्ड शहर आदि
    पहले से जारी योजनाएं 28,000 जीविका दीदी, फ्री राशन, पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा आदि
    कुल बजट 74,922 करोड़ रुपये  

     

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