NMCH इमरजेंसी में 10 मिनट तक बत्ती गुल: अस्पताल में मची अफरा-तफरी, मोबाइल टॉर्च की रोशनी में हुआ इलाज
नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की इमरजेंसी में बिजली गुल होने से अफरा-तफरी मच गई। मरीजों का इलाज मोबाइल टार्च की रोशनी में किया गया। बिजली 10 मिनट तक गुल रही। अस्पताल में एलईडी की जगह पीले बल्ब जल रहे हैं, जिससे गर्मी बढ़ रही है। इमरजेंसी गेट पर सुरक्षा गार्ड नहीं होने से भी परेशानी हुई।

एनएमसीएच इमरजेंसी में मोबाइल टार्च की रोशनी में हुआ इलाज। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, पटना सिटी। नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था की खामियां लगातार सामने आ रही हैं। सोमवार की दोपहर यहां की सेंट्रल इमरजेंसी अचानक अंधेरे में डूब गयी।
रास्ते पर बेड व ट्राली लगाकर भर्ती किए गए मरीजों व स्वास्थ्य कर्मियों की बेचैनी बढ़ गयी। कई मरीज अंधेरे से डर गए। अफरातफरी की स्थिति उत्पन्न हो गई। मरीज को सूई दे रहीं नर्सों ने अपना हाथ रोक दिया।
इलाज में जुटे चिकित्सक भी बिजली आने का इंतजार करने लगे। इसी बीच लोगों ने अपने-अपने मोबाइल का टार्च आन कर इमरजेंसी में गहराया अंधेरा दूर करने का प्रयास किया।
लगभग दस मिनट तक मोबाइल के टार्च की रोशनी में मरीजों का इलाज हुआ। कर्मियों ने मोबाइल जला कर काम किया। स्वास्थ्य कर्मियों ने निजी एजेंसी के जेनरेटर ऑपरेटर को फोन किया तब जाकर बिजली बहाल हुई।
दोपहर 12:31 बजे गुल हुई बिजली से इमरजेंसी में गहराया अंधेरा लगभग 12:40 बजे आनन-फानन में जेनरेटर चालू किए जाने से दूर हुआ। कई मरीज, स्वजन व कर्मी ने बताया कि हर दिन ऐसा होता है।
बिजली जाने पर आने में इससे अभी अधिक समय लगता है। एक ओर राज्य सरकार एलइडी लाइट को बढ़ावा दे रही है वहीं एनएमसीएच की इमरजेंसी में कई पीले बल्ब जलाए जा रहे हैं।
इससे ऊर्जा की अधिक खपत के साथ ही गर्मी व उमस भी उत्पन्न हो रही है। कम जगह वाली इमरजेंसी अधिक मरीजों व लोगों से उत्पन्न उमस के कारण सभी परेशान दिखे।
इमरजेंसी गेट पर सुरक्षा गार्ड के मौजूद नहीं रहने तथा बिना टोकन व रोकटोक के अधिक संख्या में अंदर प्रवेश किए हुए थे। सफाई ठीक से नहीं होने तथा इमरजेंसी में जगह-जगह रखे कूड़ेदान से कचरा बाहर गिरा होने के कारण बदबू से भी मरीजों, चिकित्सकों व कर्मियों की परेशानी बढ़ी थी।
बिजली कटते ही जेनरेटर चालू करने का प्रावधान है। इमरजेंसी में इतनी देर बिजली कटी रहता ठीक नहीं। इस मामले की जांच की जाएगी। - डा. सरोज कुमार, प्रभारी अधीक्षक
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