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    2.15 लाख हेक्टेयर में बढ़ेगी सिंचाई क्षमता, PM Modi कर सकते हैं कोसी-मेची नदी परियोजना का शिलान्यास

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 09:12 PM (IST)

    केंद्रीय जल शक्ति मंत्री के हवाई सर्वेक्षण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना का शिलान्यास करने की संभावना बढ़ गई है। इस परियोजना से 2.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता बढ़ेगी और बाढ़ से राहत मिलेगी। बैठक में पश्चिमी कोसी नहर और बागमती तटबंध परियोजनाओं पर भी चर्चा हुई जिससे राज्य में बाढ़ सुरक्षा सुदृढ़ होगी।

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    15 को कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना का शिलान्यास भी कर सकते हैं प्रधानमंत्री

    राज्य ब्यूरो, पटना। 15 सितंबर को पूर्णिया दौरे के क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महत्वाकांक्षी कोसी-मेची नदी जोड़ परियोजना का शिलान्यास भी कर सकते हैं। गुरुवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर. पाटिल एवं केंद्रीय राज्य मंत्री राजभूषण चौधरी द्वारा परियोजना क्षेत्र के हवाई सर्वेक्षण के बाद इसकी संभावना बढ़ गई है।

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    सर्वेक्षण के दौरान बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी भी उपस्थित रहे। उससे पहले उन्होंने पटना हवाईअड्डा पर सीआर पाटिल और राजभूषण चौधरी का स्वागत किया। उसके बाद महत्वाकांक्षी कोसी-मेची लिंक परियोजना के विषय में जानकारी दी। विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया।

    चौधरी ने बताया कि इस परियोजना से 2.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजित होगी। परियोजना के अंतर्गत बाढ़ अवधि में कोसी नदी के अधिशेष जल को मेची नदी में पहुंचाया जाएगा। इसके अलावा 41 किलोमीटर क्षेत्र में पूर्वी मुख्य नहर का पुनरुद्धार और मेची नदी का विस्तारीकरण होगा। इससे बाढ़ शमन भी हो सकेगा।

    उन्होंने बिहार में बाढ़ की वर्तमान स्थिति और उससे उत्पन्न चुनौतियों का भी उल्लेख किया एवं राज्य में प्रस्तावित परियोजनाओं की आवश्यकता एवं महत्व पर बल दिया। बताया कि पिछले वर्ष सितंबर में आई बाढ़ से हमने महत्वपूर्ण सीख ली है। इस बार विभाग दोगुनी तैयारी के साथ काम कर रहा है। उन्होंने बाढ़ प्रबंधन हेतु अतिरिक्त निधि उपलब्ध कराने का आग्रह किया।

    पश्चिमी कोसी नहर व बागमती तटबंध परियोजना पर भी हुई चर्चा:

    बैठक में पश्चिमी कोसी नहर पुनर्स्थापन परियोजना एवं बागमती तटबंध परियोजना पर भी चर्चा हुई। इन परियोजनाओं के माध्यम से राज्य में बाढ़ सुरक्षा का स्तर सुदृढ़ होगा तथा तटबंधों, नहरों और रिंग बांधों की संरचनात्मक मजबूती सुनिश्चित होगी।

    साथ ही, आपदा के दौरान जीवन एवं संपत्ति की सुरक्षा में सहयोग मिलेगा और सिंचाई प्रणाली के विस्तार से किसानों को पर्याप्त जलापूर्ति प्राप्त होगी। इससे कृषि उत्पादन में सुधार होगा।

    इन परियोजनाओं का सफल क्रियान्वयन न केवल वर्तमान में बाढ़ प्रबंधन और कृषि विकास में सहायक होगा, बल्कि भविष्य के लिए एक स्थायी और दीर्घकालिक समाधान भी प्रदान करेगा।