Patna News: अवैध हिरासत पर हाई कोर्ट सख्त, पीड़ित बंदी को दो लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश
पटना हाई कोर्ट ने अवैध हिरासत के एक मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए पीड़ित बंदी को दो लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। अदालत ने राज्य सरकार को भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं, ताकि मानवाधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।

पटना हाई कोर्ट
जागरण संवाददाता, पटना। रिहाई आदेश जारी होने के बावजूद बंदी को जेल में अवैध रूप से बंद रखने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए पीड़ित कैदी को दो लाख रुपये बतौर मुआवज़ा देने का आदेश दिया है।
न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद एवं न्यायाधीश सौरेंद्र पांडेय की खंडपीठ ने नीरज कुमार की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता जितेंद्र कुमार ने बताया कि नीरज कुमार को 23 सितंबर, 2025 को एक आपराधिक मामले में नियमित जमानत मिलने के बाद निचली अदालत ने 29 सितंबर, 2025 को रिहाई आदेश जारी किया था।
रिहाई वारंट जेल अधीक्षक को सौंपे जाने के बावजूद जेल प्रशासन ने नीरज को मुक्त नहीं किया और 18 दिनों तक उसे जेल में ही रहना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता को गयाजी केंद्रीय कारा में सरबहदा थाना कांड संख्या 91/2025, दिनांक 31 जुलाई 2025 के संबंध में बंद रखा गया था, जो कि बिहार मद्यनिषेध एवं उत्पाद अधिनियम की धारा 30(क) और धारा 37 के अंतर्गत दंडनीय अपराधों से संबंधित मामला है।
अदालत ने कहा कि रिहाई आदेश के बाद भी बंदी को जेल में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उल्लंघन के समान है।
अदालत ने इसे अवैध हिरासत मानते हुए राज्य को आदेश दिया कि एक माह के भीतर दो लाख रुपये का मुआवज़ा बंदी को दिया जाए तथा यह राशि दोषी अधिकारी से वसूल की जाए।
खंडपीठ ने कारा महानिरीक्षक को निर्देश दिया कि राज्य की सभी जेलों के अधीक्षकों को इस प्रकार की त्रुटि की पुनरावृत्ति रोकने हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश दो सप्ताह में जारी करें।

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