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    करारी हार के बाद आत्ममंथन: 24 घंटे बाद मौन तोड़ेंगे प्रशांत किशोर, बेतिया में बैठे-बैठे काटी रात

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 10:22 AM (IST)

    जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद 24 घंटे का मौन व्रत समाप्त करेंगे। यह उपवास आत्ममंथन का हिस्सा है। बेतिया में धरना स्थल पर रात बिताई। जन सुराज 243 सीटों पर चुनाव लड़ी, पर एक भी सीट नहीं जीत पाई। प्रशांत किशोर ने हार की जिम्मेदारी ली। रितेश पांडे ने वोटों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया। प्रशांत किशोर मौन तोड़ने के बाद आगे की रणनीति बता सकते हैं।

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    प्रशांत किशोर बैठे-बैठे सोते दिखे।

    डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर आज 24 घंटे का मौन उपवास समाप्त करेंगे। पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम में गुरुवार सुबह 11 बजे शुरू हुआ उनका मौन आज शुक्रवार 11 बजे खत्म होगा। इसके बाद 11.30 बजे वे मीडिया से बातचीत करेंगे। यह उपवास विरोध नहीं, बल्कि आत्ममंथन और जनता के संदेश को भीतर से समझने की कोशिश का हिस्सा बताया जा रहा है।

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    बेतिया में गुरुवार की रात पीके पूरे समय धरना स्थल पर ही बैठे रहे। थकान के कारण वे बैठे-बैठे ही सो गए।

    सुबह भी उन्हें उसी अवस्था में झपकी लेते देखा गया। जन सुराज के नेताओं ने बताया कि चुनावी नतीजों के बाद संगठन की दिशा पर लगातार मंथन के बीच उन्होंने यह शांतिपूर्ण उपवास करने का निर्णय लिया।

    243 सीटों पर लड़ी जन सुराज चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई। इतना ही नहीं, 98% उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।

    मढ़ौरा सीट पर पार्टी दूसरे नंबर पर जरूर रही, लेकिन वहां भी जीत नहीं मिली। राज्यभर में पार्टी करीब 2% वोट शेयर पर सिमटती दिख रही है।

    रोहतास जिले की उनकी खुद की विधानसभा करगहर में भी पार्टी सिर्फ 7.42% वोट ही जुटा सकी।

    चुनावी हार के बाद मंगलवार को प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हार की जिम्मेदारी ली थी। इसी दौरान एक सवाल पर वे भड़क भी गए थे।

    रिपोर्टर ने उनके पुराने बयान, JDU को 25 से ज्यादा सीटें मिलीं तो राजनीति छोड़ देंगे, की याद दिलाई तो पीके ने कहा कि वे किसी पद पर नहीं हैं कि उसे छोड़ें।

    उधर, जन सुराज नेता और भोजपुरी अभिनेता रितेश पांडे ने आरोप लगाया कि राज्य में वोट खरीदे गए और बिहारियों की अस्मिता के साथ खिलवाड़ हुआ।

    उन्होंने कहा कि पीके ने ईमानदारी की राजनीति की कोशिश की, पर लोकतंत्र में सबसे घृणित हथकंडे अपनाए गए।

    प्रशांत किशोर अब मौन तोड़ने के बाद आगे की रणनीति पर संकेत दे सकते हैं।