Bihar Politics: मिथिलांचल में आसान नहीं कांग्रेस की राह, राहुल गांधी की यात्रा और मीठे बोल का भंवर-जाल समझें
पटना से फुलपरास में वर्षा के बावजूद खेत सूखे हैं नल में जल नहीं। राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में दरभंगा से सीतामढ़ी तक लोगों ने इशारों में राजनीतिक संदेश दिए। मुजफ्फरपुर में बाइकों की भीड़ और नारों के बीच महिलाओं ने राहुल के काफिले को देखा। समर्थकों का उत्साह और जातिगत समीकरणों पर चर्चा रही।
विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। वर्षा-ऋतु में भी फुलपरास की कई पंचायतों (गोरियारी, सैनी, धनौजा आदि) में खेत प्यासे हैं और नल-जल की पाइपें सूखी हुई। गर्मी तो तड़पते बीती है। इस पानीदार इलाके को इसका बड़ा मलाल है। सरकार की मेहरबानियां उस तक मुकम्मल नहीं पहुंच रहीं, लेकिन अब वैसा भी दुर्दिन नहीं कि कोई जब-तब औकात बता जाए।
हजार आफत झेलकर अब अपने होने का गुमान हुआ है, तो कथनी और करनी में फर्क किए बिना मिथिलांचल इधर-उधर नहीं होने वाला। सुपौल से लेकर सीतामढ़ी तक यह बात लोग जुबान से कम, इशारों से अधिक समझा रहे। इशारों में ही वे राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के हाव-भाव की तुलना भी कर रहे, जिनकी 'वोटर अधिकार यात्रा' बुधवार को दरभंगा से सीतामढ़ी के बीच रही।
माछ-मखाना के साथ मिथिलांचल की एक खूबी मीठी बोली भी है। अब अगर इस पर राहुल मुग्ध हैं, तो यह उनकी राजनीतिक समझ है! इस हास्य के साथ मुजफ्फरपुर में गायघाट पर महिलाओं की एक टोली कतार में खड़ी लगभग 4000 बाइकों की ओर इशारा कर रही, जिन पर सवार नई उम्र के लड़के मच-मच किए हुए हैं। यह विधायक निरंजन राय का जुटान है।
राहुल की नजर डेढ़-दो किलोमीटर लंबी उस कतार पर ठहर-सी गई है। नारों की गूंज के बीच प्रियंका गांधी वाड्रा फ्लाइंग किस उछाल रहीं। बाइक सवार हो-हो करने लगे हैं और दूसरी ओर महिलाएं आवाक। कइसा सुथ्थर रंग-रूप है! राहुल का काफिला चार किलोमीटर दूर तक धूल उड़ाते जा रहा। इतने वाहन हैं।
ठेकेदार रजनीश कुमार सिंह के लिए यह मात्र हुड़दंग है। होना-जाना कुछ नहीं, क्योंकि भाड़े की भीड़ है। फर्जी वोट हैं तो भाजपा उसे ठीक करके ही रहेगी। उनसे 10-12 किलोमीटर दूर भराठी में ललित यादव और गणेश पासवान तो इस सरकार की सूरत वैसे ही बिगाड़कर रहेंगे, जैसे अपने ट्रैक्टर से मिट्टी को उलट-पलट देते हैं।
उनके ट्रैक्टर अभी राहुल की अगुवानी में उन 300 ट्रैक्टरों की कतार में हैं, जिनपर राजद के बड़े-बड़े झंडे लहरा रहे। प्रति ट्रैक्टर 3000 रुपये के हिसाब से खालिद अजीम भुगतान करेंगे।
सीतामढ़ी जाने वाली सड़क से तो उत्साही समर्थक हटने का नाम ही नहीं ले रहे। कोरलिहया में शीला देवी और सुनीता देवी भुनभुना रही हैं। अभी से धमक दिखा रहे। दरभंगा में घोड़ों से अधिक घुड़सवार हुमक रहे। आगे सिमटी चौक पर सिद्धांत कुमार की चाय जिसने एक बार पी, याद रखेगा। कुरेदिए तो वे दिल की बात बताते हैं।
लोग इसलिए चिढ़ते हैं, क्योंकि यादवों में एकता है, जैसे कि पासवानों में। एकता नहीं हो तो कोई भी चढ़ बैठेगा। हमारा वोट बोल रहा तो किसी को एतराज क्यों है!
बरुआरी की निपढ़ लीला देवी एतराज की सच्चाई अपभ्रंश में समझा रहीं। बाबू, यहां बारहों बरन (आशय सभी जात-जमात से) के लोग हैं और अब सबकी अपनी कमाई और अपनी इज्जत है। जिसको जहां मन, वहां वोट दे। कोई जबरदस्ती नहीं। दो-चार दिन पहले प्रशांत किशोर की रैली में भी ऐसी ही भीड़ थी।
हालांकि, मिथिलांचल में कांग्रेस के आयोजन में ऐसा जुटान इधर के वर्षों में नहीं हुआ। इसी आसरे रविशंकर झा इस बार कुछ सीटें कांग्रेस की मानकर चल रहे। पिछले चुनाव में झोली खाली रही थी।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस
वर्ष | कुल प्रत्याशी | जीती सीटें | मिथिलांचल में उपलब्धि |
2020 | 70 | 19 | 00 |
2015 | 41 | 27 | 03 |
2010 | 243 | 04 | 00 |
(नोट : 2010 में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ी थी। 2015 में जदयू और राजद के साथ कांग्रेस महागठबंधन में थी। तब वह मिथिलांचल के बेनीपट्टी, रीगा और रोसड़ा विधानसभाा क्षेत्र में वह विजयी रही थी।)
मिथिलांचल में विधानसभा की 51 सीटें हैं। जिसमें सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, मधुबनी, सीतामढ़ी, दरभंगा और समस्तीपुर जिले शामिल हैं।
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