Patna Book Fair: पैरों में सूजन बीमारी का पहला लक्षण; सीनियर डॉक्टर ने बताया चेहरे पर दिखे ऐसे लक्षण तो हो जाएं सतर्क
पटना पुस्तक मेले में एक वरिष्ठ डॉक्टर ने पैरों में सूजन को बीमारी का पहला लक्षण बताया है। उन्होंने चेहरे पर दिखने वाले कुछ लक्षणों के प्रति भी लोगों क ...और पढ़ें

परिचर्चा में शामिल पटना के स्पेशलिस्ट डॉक्टर। जागरण
जागरण संवाददाता, पटना। Patna Book Fair: गांधी मैदान में आयोजित पुस्तक मेले में पेट और किडनी विषय पर आयोजित परिचर्चा में डाॅ. मनीष मंडल, डाॅ. पंकज हंस, डाॅ. शशि, डाॅ. अवनीश एवं डाॅ. विजय कुमार गुप्ता ने भाग लिया।
डाॅ. पंकज हंस ने कहा कि हमें समय-समय पर पानी पीते रहना चाहिए। पानी कम पीना जीवन में खतरा पैदा कर सकता है। डाॅ. शशि कुमार ने बताया की पैरों में सूजन बीमारी का पहला लक्षण है।
किडनी कमजोर होती है, तो शरीर की गंदगी शरीर में रह जाती है। अगर आपके और बच्चे के चेहरे पर सूजन है, तो सतर्क हो जाना चाहिए। डाॅ. निखिल रंजन चौधरी ने बताया की प्रोस्ट्रेट के कारण पेशाब की धार कम हो जाती है। पेशाब में जलन इन्फेक्शन के कारण होती है।
वजन कम करने से फैटी लीवर में फायदा
इस दौरान डाॅ. अवनीश कुमार ने कहा कि आज फैटी लिवर की समस्या आम होती जा रही है। वजन को कम कर स्वास्थ्यबर्धक भोजन से इस समस्या से लड़ा जा सकता है।
वहीं IGIMS के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल ने कहा कि गैस की समस्या को हल्के में नहीं लेनी चाहिए। लीवर कैंसर के इलाज कई तरीके से हो रहा है। डा. बीके गुप्ता ने बताया की वायरल हेपोटाइटीस बहुत काॅमन है। इसका टीका बाजार में उपलब्ध है।
अलग-अलग आयोजन खींच रहे लोगों को
पुस्तक मेला साहित्य प्रेमियों की पहली पसंद बना हुआ है। यहां युवा, महिलाएं और बुजुर्ग उत्साह से शब्दों में खो रहे हैं। साहित्यकार विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं, जो मेले को बौद्धिक संवाद का केंद्र बना रहा है।
नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाई जा रही है, जबकि बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं। मेला न केवल किताबों का बाजार है, बल्कि संस्कृति और समाज की जीवंत झलक पेश कर रहा है। विभिन्न स्टालों पर उपलब्ध लजीज व्यंजन भी आगंतुकों को आकर्षित कर रहे हैं।
किताब के शब्द उच्चरित हुए कार्यक्रम में लेखिका डाॅ. रीता सिंह और लेखक कमलेश अपनी कहानियों के साथ उपस्थित थे। डाॅ. रीता सिंह ने कहा कि मनुष्य का जीवन अपने आप में कहानी है।

महिलाओं ने कलम उठाकर बस उस कहानी को शब्दबद्ध किया है। कमलेश ने दक्षिण टोला के लेखन से जुड़े अपने अनुभव को साझा करते हुए बताआ कि यह कहानी हमारे जीवन और समाज का वो सच है, जिससे हम मुंह नहीं मोड़ सकते।
पढ़ाई के दौरान मेरा वामपंथी आंदोलन से संबंध रहा और दलित टोला में आना-जाना भी था, तो उनके अनुभव और जीवन के देखकर ये कहानी लिखने के लिए मन उद्धत हुआ। सत्र का संचालन डां प्रिया जायसवाल ने किया।

स्वामी सहजानंद सरस्वती पर केंद्रित पुस्तकों का विमोचन
किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती के अध्येता राघवशरण शर्मा द्वारा स्वामी सहजानंद सरस्वती पर लिखित कई पुस्तकों का विमोचन बुधवार को किया गया। इसमें ''मेरा जीवन संघर्ष'', ''किसान पाठशाला'', ''क्रांति और संयुक्त मोर्चा'', ''जंगे आजादी में मुसलमानों की भूमिका'' के साथ ही एक प्रमुख पुस्तक ''भगत सिंह: अनछुए पहलू'' पुस्तक शामिल रही।
राघव शरण शर्मा ने कहा कि भारत की आजादी में किसानों की बहुत बड़ी भूमिका थी। किसानों के बगैर स्वाधीनता संग्राम की कल्पना नहीं की जा सकती। इस अवसर पर तरुण कुमार, पृथ्वी राज सिंह, कमलेश, अनिल विभाकर, शिवदयाल, गजेंद्र कांत शर्मा, अरुण सिंह आदि मौजूद रहे।
स्टार्टअप के लिए होना पड़ेगा बेशर्म
हमारे हीरो कार्यक्रम में कौशल्या फाउंडेशन के कौशलेंद्र और सत्तूज फाउंडर सचिन कुमार ने भाग लिया। डाॅ. मोनी त्रिपाठी और अमित झा ने अतिथियों को पुस्तक मेले का प्रतीक चिन्ह देखकर सम्मानित किया।
मनोज पांडेय से बातचीत में कौशलेंद्र ने कहा कि स्टार्टअप शुरू करने में सबसे अपने आइडिया पर भरोसा होना चाहिए। बिजनेस करने में साहस होनी चाहिए। अगर आपको स्टार्टअप करना है, तो आपको बेशर्म होना होगा, ताकि बेझिझक अपनी बात रख सकें।
उन्होंने दावा किया कि विभिन्न योजनाओं के तहत बिहार सरकार ने जानता के खाते में पिछले तीन महीने में लगभग चालीस हजार करोड़ डाला है। सचिन ने कहा कि सत्तूज हमारे समाज में पहले से स्थापित था। मैंने सत्तू के साथ नवाचार किया। मुझे सरकारी योजनाओं का लाभ मिला। आज सत्तू हरेक दुकान पर उपलब्ध है।

जाति व्यवस्था खत्म करने को सिर्फ कानून बनाना पर्याप्त नहीं
पटना पुस्तक मेले के कश्यप मंच 'जाति क्यों नहीं जाती विषय पर लेखिका डाॅ. शांति यादव ने कहा कि जाति व्यवस्था मानव निर्मित है। इसके पोषण में धर्म और मनु स्मृति की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।
बहुत पहले ज्योति बाई फुले ने इस जाति व्यवस्था का विरोध किया। बीआर आंबेडकर ने भी जाति के उन्मूलन के लिए काम किया। लेखक अरुण नारायण ने कहा कि जाति को लेकर लोगों के विचार में भिन्नता रही है।
जाति को लेकर गांधी का मत था कि जाति व्यवस्था को खत्म करने के लिए सिर्फ कानून बनाना पर्याप्त नहीं है। इसे हटाने के लिए मनुष्य को अपने भीतर के सोच को बदलना होगा।
सहायक प्राध्यापिका कंचन ने कहा कि जाति व्यवस्था नहीं मिटने का कारण संरचना दोष है। हम अपने आपसी संबंध के प्रति सहज और अन्य जाति के लिए विरोधाभास रखते हैं और ये सोच जाति व्यवस्था को स्थायित्व प्रदान करती है। इस सत्र का संचालन डा. कंचन ने किया।
नमो-नमो शंकरा गाकर बच्चों ने किया जागरूक
पटना पुस्तक मेला के व्यास मंच स्कूल उत्सव कार्यक्रम में बुधवार को मिलेनियम वर्ल्ड स्कूल और नालेज ग्राम इंटरनेशनल स्कूल की टीम द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। पुस्तक मेला की थीम 'वेलनेस - अ वे आफ लाइफ' को केंद्र में रखकर बच्चों की एक टीम ने नमो-नमो शंकरा गाने पर योगा डांस किया और लोगों में स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने का संदेश दिया।
कार्यक्रम में प्रथम दर्शक के तौर अनुपमा कश्यप मौजूद थीं। मौके पर मिलेनियम वर्ल्ड स्कूल की प्राचार्या मिताली मुखर्जी और नालेज ग्राम इंटरनेशनल स्कूल की प्राचार्या डा. राधिका और शिक्षकों की टीम के साथ इस कार्यक्रम की संयोजिका डा. मोनी त्रिपाठी भी मौजूद थीं।
सत्र का संचालन सरिता मिश्रा ने किया। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम संयोजिका डा. मोनी त्रिपाठी तथा पुस्तक मेला के संयोजक अमित झा द्वारा बच्चों को सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। चंद्रप्रभा फाउंडेशन की तरफ से स्कूल को मोमेंटो दिया गया।
नाटक से दिखाया तकनीक का बुरा प्रभाव
नुक्कड़ नाटक में कालेज ऑफ कामर्स आर्ट्स एंड साइंस के निखिल के निर्देशन में नाटक 'तकनीकी युग में बदलता समाज' की प्रस्तुति हुई। नाटक में दिखाया गया कि तकनीक का कैसे बुरा प्रभाव पड़ा है, कैसे मनुष्य मनुष्य से दूर हो जाता है।
मोबाइल रूपी यंत्र ने इंसान को संवेदनहीन बना दिया है। प्रथम दर्शक आशीष आदर्श को मेला संयोजक अमित झा ने प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया। रंगकर्मी सुरेश कुमार हज्जू को आशीष ने सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह एवं स्टोल देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर रविकांत, नृत्यांगन सुदीप घोष आदि मौजूद रहे।
बिहार की मिट्टी से जुड़े कर्मठ संगीतकार थे चित्रगुप्त
सिनेमा उनेमा महोत्सव में संगीतकार चित्रगुप्त का सिनेमा विषय पर इतिहासकार व लेखक प्रो. नरेंद्र नाथ पांडेय कहा कि चित्रगुप्त बिहार की मिट्टी से जुड़े ऐसे कर्मठ और समर्पित संगीतकार थे, जिन्होंने लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी जैसे भिन्न पृष्ठभूमि के गायकों से भोजपुरी में गाने गवाए।
अपने समकालीन संगीतकारों की फीस के मुकाबले एक चौथाई फीस में काम करने वाले चित्रगुप्त ने एक से बढ़कर एक कालजई धुन रची। प्रथम दर्शक के रूप में निफ्ट पटना के निदेशक कर्नल राहुल शर्मा मौजूद रहे।
पुस्तक मेले की कार्यक्रम संयोजक डा. मोनी त्रिपाठी ने फिल्मकार राजेश रंजन का सम्मान प्रमाणपत्र, प्रतीक चिन्ह और स्टोल देकर किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त कला समीक्षक विनोद अनुपम, फिल्म विश्लेषक प्रो. जय देव, फिल्मकार प्रशांत रंजन, रंगकर्मी सुमन कुमार, संगीता पांडेय, आनंद कुमार, संदीप स्नेह आदि उपस्थित थे।

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