Banmankhi Constituency: बनमनखी विधानसभा क्षेत्र बन चुका है BJP का मजबूत गढ़, इस सीट से जीते विधायक बन चुके हैं CM
बनमनखी विधानसभा क्षेत्र भाजपा का मजबूत गढ़ बन गया है। 2000 से विपक्षी दल इसे भेदने का प्रयास कर रहे हैं पर सफलता नहीं मिली। 2005 से भाजपा लगातार जीत रही है। 1962 में पहले विधायक भोला पासवान शास्त्री बने जो तीन बार मुख्यमंत्री रहे। क्षेत्र कभी अपराध और पिछड़ेपन से त्रस्त था पर अब विकास हो रहा है।

प्रकाश वत्स, पूर्णिया। सन 1962 में गठित जिले का बनमनखी विधानसभा क्षेत्र भाजपा का अभेद्य दुर्ग बन चुका है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस विधानसभा क्षेत्र में सन 2000 से अब तक विपक्षी भाजपा के इस दुर्ग को भेदने में पूरी ताकत झोंक रहे हैं, लेकिन इसका अपेक्षित परिणाम उन्हें मिल पा रहा है।
सन 2005 से उप चुनाव सहित वे अब तक लगातार विजयी रहे हैं। भाजपा यहां 2000 के चुनाव में भी विजयी रही थी और देवनारायण रजक विधायक चुने गए थे।
बाद में सन 2005 के चुनाव में यहां से पार्टी ने देवनारायण रजक की बजाय कृष्ण कुमार ऋषि को मैदान में उतारा और तब से वे लगातार विजयी रहे हैं।
भाजपा यहां सन 1990 के चुनाव में भी जीत दर्ज करने में सफल रही थी और वह जीत का पार्टी के लिए खास मायने भी था। वह एक ऐसा दौर था, जिसमें भाजपा के लिए एक अदद जीत भी मायने रखता था। पार्टी ने यहां से चुन्नी लाल राजवंशी को मैदान में उतारा था और वे चुनाव जीतने में सफल रहे थे।
तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री बने थे पहले विधायक
बनमनखी विधानसभा क्षेत्र के लिए गौरव की बात है कि यहां के पहले विधायक ऐसे शख्स रहे थे जो राजनीतिक सुचिता के लिए अब भी पूजे जाते हैं। बिहार के तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रहे स्व. भोला पासवान शास्त्री सन 1962 में हुए प्रथम चुनाव में कांग्रेस की टिकट से विधायक चुने गए थे।
सन 1967 में कांग्रेस के बलदेव सर्राफ व फिर 1969 एवं 1972 के चुनाव में कांग्रेस की ही टिकट पर रशिकलाल ऋषिदेव विजयी रहे।
सन 1977 में जनता पार्टी के बालबोध पासवान के सिर जीत का सेहरा बंधा था। यद्यपि सन 1980 के चुनाव में कांग्रेस के जयकांत पासवान व 1985 में कांग्रेस की टिकट से रशिकलाल ऋषिदेव चुनाव में विजयी हुए थे।
सन 1990 में भाजपा के चुन्नी लाल राजवंशी ने विजय पताका फहरा राजनीतिक प्रेक्षकों को भी चौका दिया था। यद्यपि वे सन 1995 के चुनाव में पाला बदल राजद में शामिल हो गए और फिर राजद से ही विजयी भी हुए।
सन 2000 के चुनाव में भाजपा के देवनारायण रजक विजयी रहे। सन 2005 के चुनाव में पार्टी ने यहां कृष्ण कुमार ऋषि को मैदान में उतारा और तब से उनकी वंशी ही यहां बज रही है।
कभी अपराध व पिछड़ेपन का दंश झेल रहे थे लोग
अररिया व मधेपुरा सीमा से जुड़े यह विधानसभा कभी अपराध से लहूलुहान था। विकास की रोशनी से भी इलाका कोसो दूर था। पहले यहां कांग्रेस फिर राजद को भी लोगों ने मौका दिया। भाजपा के कृष्ण कुमार ऋषि इस क्षेत्र से लगातार पांच जीत दर्ज कर चुके हैं।
कहीं न कहीं तेज विकास व फिर अपराध शमन की धारा लोगों को पसंद आयी और यह अपेक्षा पूरी होने का मजदूरी लोग देते रहे। यद्यपि इस बार महागठबंधन भाजपा के इस विजय रथ को रोकने के लिए अभी से जोर लगा रही है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।