Bihar Chunav: क्या कसबा विधानसभा सीट पर फिर दोहराई जाएगी 2020 की कहानी? बगावत के स्वर से NDA की बढ़ी मुश्किलें
पूर्णिया जिले के कसबा विधानसभा सीट पर राजग में सीटों के बंटवारे से पहले ही बगावत शुरू हो गई है। भाजपा के पूर्व विधायक प्रदीप कुमार दास ने लोजपा-आर को सीट मिलने की खबर के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। इससे एनडीए में 2020 की स्थिति दोहराने की आशंका है, जब बगावत के कारण कांग्रेस की जीत हुई थी।

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)
प्रकाश वत्स, पूर्णिया। राजग में सीटों को लेकर अभी औपचारिक घोषणा भले ही नहीं हुई है, लेकिन इसको लेकर आ रही अंदरुनी सूचना से ही बगावत के स्वर फूटने लगे हैं।
कसबा विधानसभा सीट इस बार लोजपा-आर के खाते में जाने की सूचना के साथ ही भाजपा से तीन-तीन बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने पूर्व विधायक प्रदीप कुमार दास ने निर्दल ही मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है।
एक बार फिर एनडीए में वर्ष 2020 के चुनाव की पटकथा दोहराने की आशंका बढ़ गई है। एनडीए में बगावत के चलते गत चुनाव में कांग्रेस की राह आसान हो गई थी।
बगावत के बाद हुई थी घर वापसी, फिर उसी राह पर पूर्व विधायक
भाजपा के पूर्व विधायक सन 1995, वर्ष 2000 एवं अक्टूबर 2005 के चुनाव में यहां से विजयी पताका फहराया था। बाद में वर्ष 2010 एवं वर्ष 2015 के चुनाव में वे कांग्रेस प्रत्याशी अफाक आलम के हाथों मात खा गए थे। वर्ष 2020 में सीट शेयरिंग में यह सीट हम के खाते में चली गई थी।
हम से राजेंद्र यादव मैदान में थे। ऐसे में पूर्व विधायक प्रदीप कुमार दास बागी के रुप में लोजपा-आर से मैदान में उतर गए थे। प्रदीप कुमार दास 60 हजार से अधिक मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे और हम प्रत्याशी को लगभग 24 हजार मत मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी लगभग 77 हजार मत प्राप्त करते हुए चुनाव में बाजी मार ली थी।
बगावत के चलते उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। चुनाव बाद पार्टी में उनकी वापसी हुई थी और इस बार आलाकमान के आश्वासन के बाद वे चुनाव तैयारी में जुटे हुए थे। इसी बीच इस बार लोजपा के खाते में सीट जाने की सूचना मात्र से प्रदीप कुमार दास ने अपने फेसबुक पेज के जरिए निर्दल ही मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है। निश्चित रुप से यह एनडीए के मुश्किल बढ़ाने वाली स्थिति है।
लोजपा प्रत्याशी पर टिकी है नजर, जनसुराज के दाव पर भी दारोमदार
सीट शेयरिंग की औपचारिक घोषणा से पहले ही एनडीए में उठे इस बवंडर के बीच अब सभी की निगाहें लोजपा-आर के प्रत्याशी पर सभी की निगाहें टिकी हुई है, जिसकी घोषणा भी अभी नहीं हुई है। बागी उम्मीदवार के बीच निश्चित रुप से लोजपा-आर या फिर एनडीए के लिए यह सीट निकालना मुश्किल होगा।
दूसरी तरफ एनडीए के चुनावी नैया का दारोमदार अब जनसुराज के दाव पर भी निर्भर करेगा। जनसुराज ने यहां से इत्तेफाक आलम उर्फ मुन्ना को अपना प्रत्याशी बनाया है। इत्तेफाक आलम उर्फ मुन्ना गत चुनाव में निर्दल प्रत्याशी के रुप में मैदान में थे और कुल आठ हजार मत उन्हें मिले थे। चुनाव के बाद से भी वे लगातार मैदान में डटे हुए थे।
कसबा में वोटों का ध्रुवीकरण यहां के चुनाव परिणाम को प्रभावित करता रहा है और इस लिहाज से एनडीए के लिए जनसुराज का दाव थोड़ी राहत देने वाली है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।