Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र में यहां कोई नहीं खाता नमक, पूर्णिया के गांव में 41 साल से लोग निभा रहे परंपरा
बिहार के पूर्णिया जिले के सरसी थाना क्षेत्र में स्थित धनघटा गांव में चैती नवरात्र के दौरान एक अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है। इस गांव में नौ दिनों तक हर घर में नमक का उपयोग वर्जित रहता है। यह परंपरा पिछले 41 वर्षों से चली आ रही है। गांव वालों का मानना है कि इस गांव पर हनुमान जी की विशेष कृपा है।
प्रकाश वत्स, पूर्णिया। कुरसेला-फारबिसगंज स्टेट हाइवे 77 के किनारे जिले के सरसी थाना क्षेत्र में अवस्थित धनघटा गांव में चैती नवरात्र में नौ दिनों तक हर घर में नमक का उपयोग वर्जित रहता है।
लगभग दो सौ आबादी वाले इस गांव में गत 41 वर्षों से यह परंपरा पल रही है। ज्ञान के लिए हनुमान की नौ दिवसीय इस साधना का पूरा रुप ही अनूठा है। यह पूरे गांव का सामूहिक उत्सव होता है।
पंडितों की टोली से लेकर रामायण पाठ करने वालों के भोजन की व्यवस्था भी अलग-अलग दिन अलग-अलग घरों में होती है। लगातार शिक्षा के सहारे बेहतर करियर लेने वाले इस गांव के लोगों को विश्वास है कि यह हनुमान जी की कृपा से ही संभव हो रहा है।
धनघटा नाम के पीछे भी है रोचक कहानी
सरकारी दस्तावेज में इस गांव का नाम भले ही धनघटा दर्ज है, लेकिन इलाके में इसकी पहचान बुढ़िया धनघटा के रुप में है। बुढ़िया गोला और धनघटा गांव के बीच बस एक सरकारी लकीर भर का फासला है।
गांव स्थित हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना को पहुंचे ग्रामीण।
दोनों का राजस्व सीमा रेखा भले ही अलग-अलग है, लेकिन दोनों बस्तियां सदा से सटी हुई है। बुढ़िया गोला अग्रेंजी हुकूमत में भी व्यापार का बड़ा केंद्र होता था। तभी के सूबेदार का यह एक ऐसा गोला था, जहां की जरुरत की हर सामानों के साथ-साथ सोना-चादी तक का कारोबार होता था।
किसानों के अनाज की खरीद बिक्री का भी यह बड़ा केंद्र था। इसकी पहली मालकिन एक वृद्ध महिला थी और इस चलते इस गांव का नाम बुढ़िया गोला और धनघटा का नाम बुढ़िया धनघटा पड़ गया। ग्रामीणों के अनुसार धनघटा का संदर्भ धन के बादल से है।
डॉक्टर, इंजीनियर्स और प्रशासनिक पदों पर हैं कई लोग
ग्रामीणों के अनुसार बगल के बुढ़िया गोला के आर्थिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र होने के बावजूद उनके पूर्वजों ने ज्ञान को प्राथमिकता दी। गांव शैक्षिक मामले में समृद्ध हो, इस चलते यहां भगवान हनुमान की साधना के नौ दिवसीय विशेष अनुष्ठान का श्रीगणेश किया गया।
अब गांव के लोगों का विश्वास और बढ़ चुका है। इस छोटे से गांव में चार चिकित्सक, एक एडीएम स्तर के अधिकारी, इंजीनियर्स सहित कई अच्छे पदों पर यहां के लोग हैं।
इसके अलावा शिक्षा के सहारे कई अन्य क्षेत्रों में भी गांव का युवा डंका बजा रहा है। इस गांव के लोगों का मानना है कि हनुमान जी की साधना से यहां मां सरस्वती की कृपा बरस रही है।
इस नौ दिनों में नौ बार रामायण का अखंड पाठ सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। दिन और रात में लोगों की अलग-अलग टोली की जिम्मेदारी तय रहती है। महिलाएं भी इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं। किसी भी घर में नमक का उपयोग नहीं होता है। आने वाले मेहमान को भी बिना नमक वाला भोजन ही परोसा जाता है।
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