Bihar News: गांवों में नहीं है पहरेदार...थानों में अटके चौकीदार; इस प्रमंडल की प्रशासनिक व्यवस्था उजागर
पूर्णिया प्रमंडल में चौकीदारों की भारी कमी के कारण गांवों की सुरक्षा खतरे में है। स्वीकृत पदों में से आधे से अधिक खाली हैं और कार्यरत चौकीदारों को थानों में ड्यूटी पर लगाया जा रहा है। इससे गांवों में अपराध की सूचना मिलने में देरी हो रही है। टेटगामा की घटना के बाद आयुक्त ने रिक्त पदों पर चौकीदारों को तैनात करने के निर्देश दिए हैं।

राजीव कुमार, पूर्णिया। चौकीदारों की कमी के कारण गांवों में सुरक्षा के लिए कोई चौकीदार नहीं बचा है। प्रमंडल के जिलों में जो चौकीदार बचे हैं, वे अपने गांव में सुरक्षा के लिए ड्यूटी करने के बजाय स्थानीय थाने में ड्यूटी कर रहे हैं। यही कारण है कि पुलिस को किसी भी बड़ी घटना की सूचना तत्काल नहीं मिल पाती है।
पूर्णिया प्रमंडल के पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज अररिया जिलों में स्वीकृत चौकीदारों के आधे से अधिक पद वर्षों से रिक्त हैं। जो चौकीदार बचे हैं, उनमें से आधे से स्थानीय थाने में 24 घंटे ड्यूटी कराई जा रही है। जबकि सरकार के निर्देशानुसार जिन टोले-टोलों में चौकीदारों के पद रिक्त हैं, वहां की जिम्मेदारी कार्यरत चौकीदारों को सौंपी जानी है।
प्रमंडल के किसी भी जिले में इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। पूर्णिया प्रमंडल में चौकीदारों के 3032 पद स्वीकृत हैं। जिसमें से 1726 चौकीदार कार्यरत हैं और 1406 चौकीदारों के पद रिक्त हैं। पूर्णिया जिले में चौकीदारों की सबसे ज्यादा कमी है। यहां चौकीदारों के 905 पद हैं, जिसमें से मात्र 384 चौकीदार ही कार्यरत हैं और प्रमंडल में सबसे ज्यादा 521 चौकीदार के पद रिक्त हैं।
अररिया जिले में सबसे ज्यादा 502 चौकीदार कार्यरत हैं और यहां चौकीदारों के कुल पदों की संख्या 734 है। बताया जाता है कि रिक्त पड़े चौकीदारों के पदों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।
रिक्त पद पर न तो लंबे समय से किसी चौकीदार की नियुक्ति हुई है और न ही किसी चौकीदार को उस टोले या गांव का प्रभार दिया गया है। टेटगामा की घटना के बाद पूर्णिया प्रमंडलीय आयुक्त ने उन सभी इलाकों की जिम्मेदारी उस थाना क्षेत्र में कार्यरत चौकीदारों को सौंपने का निर्देश दिया है, जहां चौकीदार के पद रिक्त हैं।
चौकीदार की तैनाती का मामला आया सामने
टेटगामा में डायन होने के संदेह में एक ही परिवार के पांच सदस्यों को जिंदा जलाने की घटना के बाद यह बात सामने आई कि टेटगामा में वर्षों से चौकीदार का पद रिक्त है, लेकिन किसी चौकीदार को उस गांव की जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है।
यही कारण रहा कि रात भर मौत का तांडव चलता रहा और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। हद तो यह है कि मुफस्सिल थाना के जिस थाना क्षेत्र में यह घटना घटी, वहां के चौकीदार से थाने में ही ड्यूटी कराई जा रही थी। इस थाना क्षेत्र में कुल आठ चौकीदार कार्यरत हैं, लेकिन इसके बाद भी दिलीप दास नामक चौकीदार से क्षेत्र में ड्यूटी न कराकर थाने में ही ड्यूटी कराई जा रही थी।
प्रमंडल के जिलों के थानों में कार्यरत चौकीदारों की हालत यह है कि जिन गांवों की सुरक्षा के लिए सरकार ने उन्हें ग्राम रक्षा का जिम्मा सौंपा है। कोई पुलिस वाहन चला रहा था तो कोई 24 घंटे थाने में रहकर गिरफ्तार कैदियों को कोर्ट व जेल पहुंचा रहा था।
कई थानों में चौकीदारों का इस्तेमाल मुंशी के रूप में किया जा रहा था। इससे जिस उद्देश्य के लिए चौकीदार की नियुक्ति की गई थी, वह विफल हो रहा है। गांव से कोई सूचना देने के बजाय चौकीदार थाने में ड्यूटी कर रहे हैं। कहा जाता है कि अगर टेटगामा टोला का प्रभार किसी चौकीदार के कंधों पर होता और वह अपने क्षेत्र में रहता तो यह घटना टल सकती थी।
टेटगामा में घटना से पहले कई टोले के लोगों की बैठक हुई थी, जिसके बाद जिंदा जलाने का फैसला लिया गया और फिर इस टोले में कई घंटों तक हंगामा चलता रहा, लेकिन चौकीदार के नहीं रहने के कारण पुलिस को भनक तक नहीं लगी।
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