Bihar Elections: रोज़गार की खोज में बाहर गए पुरुष, लोकतंत्र की डोर संभाले महिलाएं
डेहरी आन सोन में चुनावी चौपाल में महिला मतदाताओं का उत्साह देखने लायक था। राजनीतिक दल महिलाओं को लुभाने में लगे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि सत्ता की कमान आधी आबादी के हाथ में है। सरकारी योजनाओं ने महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिलाएं अब पुरुषों के कहने पर नहीं, बल्कि अपनी मर्जी से वोट देती हैं। वे विकास और महिला सशक्तिकरण की बात करने वाले उम्मीदवार को वोट देने के लिए तैयार हैं।

संवाद सहयोगी, डेहरी आन सोन(रोहतास)। सृष्टि नहीं नारी बिना, यही जगत आधार...। कुछ इसी तर्ज पर लक्ष्मण बिगहा गांव में दैनिक जागरण जागरण द्वारा चलाए जा रहे चुनावी चौपाल में शामिल महिला मतदाताओं का जोश देखने को मिल रहा। जहां जीविका दीदियां राजनीति का आधार बन गई हैं। बिहार की सभी पार्टियां महिलाओं (आधी आबादी) को साधने में जुटी हैं।
राजनीतिक दलों को यह पता है कि आधी आबादी के हाथ में सत्ता की पूरी कमान है। महिला मतदाताओं का रूख जिस तरफ हुआ सत्ता उसे ही मिलेगी। यही कारण है कि हर राजनीतिक दल की ओर से महिलाओं का मत अपने पाले में करने के लिए तरह-तरह की घोषणाएं की जा रही हैं।
कुछ माह पहले से विपक्ष माई-बहिन योजना का फार्म महिलाओं से भरा रहा था तो अभी-अभी सरकार ने खाते में रोजगार के लिए सीधे दस हजार रुपये भेज दिए। इस दस हजार रुपये भेजने का असर यह कि विपक्ष अब मासिक 2500 रुपये देने की योजना को सालाना दर से बताने लगा है 30 हजार देंगे। कुछ इसी तरह राजनीतिक दलों के रूख में यह बदलाव अचानक से नहीं आया।
डेहरी प्रखंड क्षेत्र के लक्ष्मण बिगहा गांव की रहने वाली नितू देवी ने कहा कि बीते दो ढाई दशक में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित कई योजनाओं ने महिला सशक्तीकरण में अहम भूमिका निभाई। महिलाओं के हाथ में कुछ पैसे आए तो साथ ही निर्णय लेने की स्वतंत्रता भी आ गई।
पहले पुरुषों के कहे अनुसार घर की महिलाएं मतदान कर देती थीं। अब बिहार में अधिकांश महिलाएं अपना निर्णय खुद लेती हैं। शराबबंदी, आजीविका समूह से महिलाओं के जोड़ने की पहल का सकारात्मक असर हुआ है। स्थानीय निकाय में आरक्षण मिलने के बाद महिला नेतृत्व की बड़ी फौज खड़ी हो गई है। सरकारी नौकरी में आरक्षण मिलने के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं को नौकरी मिली है।
मिनता देवी ने कहा कि हाल के कई चुनाव में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों की तुलना में बढ़ा है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि बड़ी संख्या में पुरुष रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे प्रदेश चले जाते हैं। घर पर महिलाएं ही रहती हैं और वे ही वोट डालती हैं। यही कारण है कि सभी पार्टियां महिलाओं को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही हैं।
अनिता देवी ने कहा कि जो महिला सशक्तीकरण की बात करने वाला प्रत्याशी को विधानसभा चुनाव में अपना बहुमूल्य मत देंगे जो सड़क से लेकर सदन तक महिला सशक्तिकरण की बात करता हो। महिला के उत्थान व शिक्षा को बढ़ावा देने वाले प्रत्याशी को ही मतदान करेंगे।
सविता देवी ने कहा कि क्षेत्र की बुनियादी समस्या को करें दूर तोहमलोग अपना कीमती वोट उम्मीदवार को दूंगी जो क्षेत्र की बुनियादी समस्याओं को लेकर अधिक से अधिक अपनी उपस्थिति दर्ज करता हो। इसलिए आधी आबादी की भी यह जिम्मेदारी है कि अपने मतों का प्रयोग काफी सूझबूझ के साथ करें और किसी के बहकावे में न आएं।
रिंकू देवी ने कहा कि विकास के प्रति गंभीर रहने वाला विधायक हो और महिलाओं के अधिकार की बात करने वाला उम्मीदवार को मैं अपनी वोट दूंगी। क्योंकि मेरी वोट से मेरी बात सदन तक पहुंचेगी। एवं शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में कार्य करने वाले प्रत्याशी के पक्ष में मैं मताधिकार का प्रयोग करूंगी। और अन्य महिलाओं से मेरी अपील है जो महिलाओं के हक की बात करें, उन्हीं को ही वोट दें।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।