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    काराकाट में जन सुराज समेत 11 प्रत्याशियों की जमानत जब्त, पवन सिंह की पत्नी की बुरी हार

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 05:18 PM (IST)

    काराकाट विधानसभा चुनाव में, विजेता और उपविजेता को छोड़कर 11 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। माले के अरुण सिंह विजयी रहे, जबकि जदयू के महाबली सिंह दूसरे स्थान पर रहे। जमानत बचाने के लिए कुल मतों का छठा भाग प्राप्त करना आवश्यक है, जिसे 11 उम्मीदवार हासिल करने में विफल रहे। जमानत जब्त होने का अर्थ है चुनाव के लिए जमा की गई राशि का नुकसान होना।

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    मुक्तिनाथ पांडेय, काराकाट (रोहतास)। स्थानीय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे 13 प्रत्याशियों में से विजेता व उपविजेता को छोड़ शेष 11 उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके हैं। चुनाव मैदान में माले के प्रत्याशी अरुण सिंह, जदयू के महाबली सिंह, जन सुराज से योगेंद्र सिंह, बसपा से वंदना राज व निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पावर स्टार कहे जाने वाले भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह समेत कुल 13 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे थे।

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    सभी ने अपने-अपने तरीके से प्रचार-प्रसार व मतदाताओं को अपने पाले में करने का जी तोड़ प्रयास भी किया। मतगणना परिणाम के अनुसार माले प्रत्याशी अरुण सिंह 74157 मत लेकर विजयी हुए हैं, जबकि 71321 मत पाकर जदयू के महाबली सिंह दूसरे स्थान पर रहे। निर्दलीय प्रत्याशी ज्योति सिंह को 23469 प्राप्त हुए हैं।

    197715 लोगों ने किया मतदान:

    काराकाट विधानसभा में कुल 197715 मत पड़े हैं। जानकारों का कहना है कि जमानत बचाने के लिए किसी भी प्रत्याशी को उस विधानसभा में पड़े कुल मत का छठा भाग यानि 16.67 प्रतिशत वोट आना जरूरी है। अर्थात उन्हें 32959 मत अवश्य चाहिए। अब इस विधानसभा में विजयी व दूसरे स्थान पर रहे उम्मीदवार के अलावा अन्य 11 प्रत्याशी इस आंकड़े को पार नहीं कर सके हैं।

    मतगणना परिणाम आने के 50 घंटे बाद तक चौक-चौराहे व चट्टी-बाजारों पर लोगों में हार-जीत की चर्चा बनी हुई है। लोगों का कहना है चाहे कोई कितना भी प्रभाव मतदाताओं पर डालने की कोशिश कर लें, लेकिन यहां विजेता व दूसरे स्थान को छोड़ कभी-कभार ही अन्य किसी की जमानत बच सकी है।

    क्या है नियम?

    रिप्रजेंटेशन आफ द पीपुल एक्ट 1951 के मुताबिक जमानत जब्त का मतलब चुनाव के लिए राशि खोने से है। बिहार विधान सभा चुनाव में सामान्य कोटि के उम्मीदवार के लिए यह राशि दस हजार व अनुसूचित जाति के लिए पांच हजार निर्धारित है।

    जमानत क्यों होती है?

    यह राशि इस लिए नाजिर रसीद के रूप में ली जाती है, ताकि संजीदा प्रत्याशी ही मैदान में आए और केवल नाम रखने वाले या कम चांस वाले उम्मीदवारों को हतोत्साहित किया जा सके।

    जमानत जब्त का आधार:

    इस नियम के अनुसार मैदान में उतरे उम्मीदवार यदि चुनाव नहीं जीत पाता है और उसका वैध वोट कुल पड़े मतों का छठा भाग अर्थात 16.67 प्रतिशत से कम होता है तो उसकी एनआर के रूप में जमा की गई जमानत की राशि जब्त कर ली जाती है।

    कब हो सकती है जमानत राशि की वापसी?

    मैदान में उतरा प्रत्याशी का वोट प्रतिशत भले ही कम पड़ जाए, लेकिन वह चुनाव जीत जाता है तो वह अपना जमानत राशि वापस ले सकता है। अगर उम्मीदवार का नामांकन रद हो गया हो या उसने नामांकन वापस ले लिया हो, तो भी उनकी जमानत की राशि लौटाई जाती है।

    चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवार की मौत अगर मतदान से पहले हो जाती है तो ऐसी स्थिति में उसकी जमानत राशि उनके कानूनी प्रतिनिधि को वापस की जा सकती है।