Bihar Weather: उत्तर बिहार में अगले 3 दिन तक शुष्क रहेगा मौसम, 5 से 6 KM प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी हवा
उत्तर बिहार में अगले तीन दिनों तक मौसम शुष्क रहने का अनुमान है। इस दौरान बारिश की कोई संभावना नहीं है, जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिल सकती है। हवा की गति 5 से 6 किलोमीटर प्रति घंटे रहने का अनुमान है, जिससे मौसम सुहावना बना रहेगा। तापमान में विशेष बदलाव की संभावना नहीं है।

उत्तर बिहार में अगले 3 दिन तक शुष्क रहेगा मौसम
संवाद सहयोगी, पूसा। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा तथा भारत मौसम विज्ञान विभाग की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार 29 नवम्बर से 03 दिसम्बर तक उत्तर बिहार में मौसम शुष्क रहेगा। इस अवधि में आसमान साफ रहेगा। वर्षा की कोई संभावना नहीं है।
अधिकतम तापमान 26 से 28 डिग्री सेल्सियस, जबकि न्यूनतम तापमान 14 से 17 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। सुबह की आर्द्रता 85 से 90 प्रतिशत और दोपहर में लगभग 50 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पछुआ हवा 5 से 6 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलती रहेगी।
शुक्रवार को जिले में अधिकतम तापमान 27.4 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम 12.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम के इस स्थिर और शुष्क स्वरूप को देखते हुए कृषि विज्ञानियों ने किसानों को समय से खेती-किसानी के काम निपटाने की सलाह दी है।
गेहूं की सिंचित और समय कालीन बुवाई 5 दिसम्बर तक हर हाल में पूरा करने को कहा गया है। साथ ही पीबीडब्लू-178, पीबीडब्लू-252, एचडी-2967, राजेन्द्र गेहूं-3 और राजेन्द्र गेहूं-4 जैसी उन्नत किस्मों को लगाने की सिफारिश की गई है।
बीज को बेबीस्टीन से उपचारित करने और खेत में पहले से कम्पोस्ट, नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश डालने से अच्छी पैदावार मिलने की संभावना जताई गई है। रबी मक्का की खेती कर रहे किसानों को भी बुवाई में देर न करने की सलाह दी गई है, क्योंकि मौसम शुष्क रहने से बुवाई में देरी होने पर उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
विज्ञानियों ने शक्तिमान, गंगा 11 और राजेन्द्र संकर जैसी अनुशंसित किस्मों के उपयोग की सलाह दी है। आलू की रोपाई भी प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने को कहा गया है। जिन खेतों में पहले से आलू लगा दिया गया है और पौधे 15 से 20 सेंटीमीटर तक बढ़ चुके हैं, वहां निकौनी और मिट्टी चढ़ाने का काम समय पर करने पर जोर दिया गया है।
उन्नत कुफरी प्रजातियों और राजेन्द्र आलू की किस्मों को अभी लगाने के लिए उपयुक्त बताया गया है। चना की बुवाई का समय भी अभी अनुकूल बताया गया है। खेत की तैयारी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सल्फर मिलाने तथा बीज का दवा से उपचार करने की सलाह दी गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बीज को क्लोरपाइरीफॉस और राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने से फसल को रोगों से सुरक्षा मिलती है। सब्जी उत्पादक किसानों के लिए भी चेतावनी जारी की गई है। गोभी की फसल में इन दिनों पत्ती खाने वाली “डायमंड बैक माथ” कीट का प्रकोप बढ़ने की संभावना है। इस कीट के शुरुआती पिल्लू पत्तियों की निचली सतह में सुरंग बनाकर नुकसान पहुंचाते हैं। इसके नियंत्रण के लिए स्पेनोसेड दवा के छिड़काव की सलाह दी गई है।
पशुपालकों को मौसम के अनुसार पशुओं को ढके हुए और सूखे शेड में रखने, दुधारू पशुओं को तिलहन खल्ली, गुड़, खनिज मिश्रण और नमक का संतुलित आहार देने तथा खुरपका-मुंहपका, गलघोटू और लंगड़ी बीमारी से सुरक्षा के लिए टीकाकरण कराने की सलाह दी गई है।

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