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    Bihar Politics: कल्याणपुर में महेश्वर हजारी की हैट्रिक में जन सुराज का रोड़ा, माले भी दे रहा चैलेंज

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 09:38 PM (IST)

    समस्तीपुर के कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक मुकाबला दिलचस्प है। जदयू के महेश्वर हजारी, भाकपा माले के रंजीत राम और जन सुराज के रामबालक पासवान मैदान में हैं। क्षेत्र में यह मिथक है कि कोई भी उम्मीदवार लगातार दो बार नहीं जीता है। हजारी अपनी हैट्रिक जीत के लिए प्रयासरत हैं, जबकि अन्य उम्मीदवार भी अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में हैं।

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    रामबालक पासवान, महेश्वर हजारी और रंजीत राम। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। कल्याणपुर विधानसभा। इसकी भाैगोलिक संरचना जितनी अजीब है उतना ही यहां का राजनीतिक करियर भी। यहां की अबतक की राजनीतिक मिथक को भी महेश्वर हजारी ने तोड़ दिया है। एक ओर मुजफ्फरपुर जिले की सीमा को तो दूसरी ओर दरभंगा सीमा को छूने वाले इस विधानसभा में दो प्रखंड हैं। पूसा और कल्याणपुर। 2010 से पूर्व यहां सामान्य जाति के उम्मीदवार जीतते रहे थे। परिसीमन के बाद इस विधानसभा क्षेत्र को आरक्षित कर दिया गया। तब से यहां से अनूसुचित जाति के ही उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं।

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    इस सीट के वर्तमान जदयू प्रत्याशी महेश्वर हजारी राज्य सरकार में सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री हैं। इनके सामने महागठबंधन से भाकपा माले के उम्मीदवार रंजीत राम है तो जन सुराज से रामबालक पासवान इस लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में जुटे हैं। वैसे चुनावी मैदान में और भी प्रत्याशी दम लगा रहे हैं।

    हम भट्टी चौक पर हैं। कल्याणपुर के रमेश व्यास कहते हैं इस बार जनता आर-पार के मूड में है। वैसे वे नहीं बताते हैं कि आर किधर है और पार किस तरफ है। इस विधानसभा की विशेषता भी रही है कि कोई भी यहां से लगातार दूसरी बार चुनाव नहीं जीतता रहा है। यहां से पूर्व में राजद भी चुनाव लड़ चुका है और जीत भी हासिल कर चुका है।

    इस बार भाकपा माले प्रत्याशी महागठबंधन की ताकत के सहारे नैया पार उतारने की कोशिश में हैं। कुशियारी चौक के दिनेश पासवान बताते हैं कि हमारे यहां तो कोई लड़ाई ही नहीं है। लबोलुआब यही कि कल्याणपुर के मैदान-ए-जंग में अब लड़ाकों के चेहरे तय हैं लेकिन मतदाताओं की जुबान पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पा रही है। वोटर भी बस कयासों पर चर्चा किए जा रहे हैं।

    मंत्री महेश्वर हजारी नीतीश कुमार के विकास और स्वयं के कार्याें को आधार मानकर जनता से अपनी तीसरी जीत की दुआ मांग रहे हैं तो भाकपा माले उम्मीदवार रंजीत राम महागठबंधन की ताकत और पार्टी के जनाधार के बीच जनता से सीधा रिश्ता बनाने में जुटे हैं। इस सबके बीच जन सुराज के रामबालक पासवान स्वयं के द्वारा क्षेत्र में किये गए कार्य को आधार बनाकर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं।
    पहले था वारिसनगर विधानसभा में शामिल

    लगातार दूसरी बार किसी को नहीं मिली जीत

    इस क्षेत्र की भी अजीब विडंबना है कि यहां से किसी भी नेता को लगातार दूसरी बार जीतने का गौरव हासिल नहीं हुआ। हालांकि कुछ नेता एक बार से अधिक बार विधायक अवश्य निर्वाचित हुए. लेकिन लगातार नहीं। दो बार से लगातार चुनाव जीतकर अपनी हैट्रिक बनाने की जुगत में हैं। यहां से पूर्व के तीन चुनाव में जदयू के प्रत्याशी ही चुनाव जीतते रहे हैं लेकिन प्रत्याशी बदलते रहे हैं। यहां अबतक किसी निर्दल प्रत्याशी को चुनाव जीतने का सुअवसर नहीं मिला है।

    इस विधानसभा से पराजित हुए तो बने सांसद

    इस विधानसभा क्षेत्र का अजीब संयोग भी है कि यहां से विधानसभा में पराजित उम्मीदवार संसद तक निर्वाचित हुए। इसमें आलोक कुमार मेहता और प्रिंस राज शामिल है। आलोक कुमार मेहता 2000 ई. में इस विधानसभा में पराजित हुए। तो 2005 में समस्तीपुर से सांसद निर्वाचित हुए।

    इसी प्रकार प्रिंस राज इस विधानसभा से 2015 में पराजित हुए तो 2019 में वे समस्तीपुर सुरक्षित संसदीय क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए। इसी तरह अश्वमेघ देवी भी कल्याणपुर में उपचुनाव हार गई तो उजियारपुर संसदीय क्षेत्र की पहली सांसद निर्वाचित हुईं।

    2010 से सीट आरक्षित

    कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र पूर्व में अनारक्षित था। यहां से सामान्य उम्मीदवार चुनाव लड़ते थे। लेकिन 2010 में नये सिरे से हुए परिसीमन के बाद इस विधानसभा क्षेत्र को आरक्षित कर दिया गया। तब से यहां से अनुसचित जाति के ही उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं।

    चुनावी गणित

    2020 के विधानसभा चुनाव में 57.93 प्रतिशत मतदान हुआ। इसमें महेश्वर हजारी को 72279 तो माले प्रत्याशी रंजीत राम को 62028 मत मिले। 10251 मतों से इन्होंने रंजीत राम को पराजित कर दिया। उस समय लोजपा प्रत्याशी सुंदेश्वर राम को 23,163 मत मिले थे।

    इस बार लोजपा प्रत्याशी के नहीं रहने से जदयू प्रत्याशी की बांछे खिली है। उन्हें इन मतों को प्राप्त करने की पूरी उम्मीद है। तो इसमें जन सुराज उम्मीदवार रामबालक पासवान भी सवर्ण और जन सुराज के युवा समर्थक मतदाताओं के सहारे अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।

    माले प्रत्याशी की जीत महागठबंधन के मतों के सहारे और जन सुराज द्वारा आधार मतों को अधिकाधिक बंटोरने पर टिकी हुई है। वैसे पूसा बाजार में अमित कुमार का दावा कुछ और ही है। वे कहते हैं कि इस बार सभी जाति और धर्म का समर्थन महागठबंधन के चुनावी घोषणा पत्र के साथ है।

    भूमिहार और कुशवाहा बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र में मल्लाह, यादव और पासवानों के अतिरिक्त पचपोनिया मतों की भी बहुलता है। कुर्मी और राजपूत मतदाता की भी उपस्थिति दमदार है।

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