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    Bihar Assembly Election : यहां वोट वाली बोट से पहुंचते हैं मतदाता, गंगा पार पहुंचना चुनौती

    By Deepak Prakash Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Fri, 31 Oct 2025 07:18 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में, गंगा पार हरदासपुर के मतदाता नाव से नदी पार कर मतदान केंद्र पहुंचते हैं। कटाव के कारण गांव विलीन हो गया, जिससे वोटर इस पार बस गए। मतदान केंद्र तक पहुंचने में पानी और कीचड़ की चुनौती है। प्रशासन ने पोलिंग पार्टी के लिए नाव की व्यवस्था की है, लेकिन मतदाताओं के लिए संशय बरकरार है।

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    मतदान कर्मियों और मतदाताओं के जाने के लिए ऐसे ही नाव का प्रयोग किया जाता है। फाइल फोटो

    संवाद सहयोगी, शाहपुर पटोरी (समस्तीपुर) । विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में होने वाले मतदान में अब कुछ ही दिन शेष रह गया है। प्रत्याशियों की धड़कनें तेज हो गई हैं। प्रत्याशियों के साथ-साथ गंगा पार स्थित हरदासपुर के मतदाताओं की भी धड़कनें तेज हैं। हो भी क्यों नहीं, सैकड़ों ऐसे मतदाता है जिनका मतदान केंद्र गंगा के उस पर हरदासपुर गांव में है। उन्हें अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए गंगा नदी बड़े नाव से पार करनी पड़ती है। उसके बाद लगभग चार किलोमीटर तक लंबी दूरी पैदल तय कर मतदान केंद्र पहुंचते हैं। गांव की कहानी भी कुछ अजीब है। यह मोहिउद्दीननगर विधानसभा क्षेत्र के हरपुर सैदाबाद पंचायत में आता है। कटाव के कारण हरदासपुर गांव पूरा विलीन हो गया और वहां के लोग गंगा के इस पार आकर बस गए। जब कटाव की गति थमी तो कुछ लोग अपने मवेशियों के पालन के लिए उस पार गांव में बस गए। नतीजा यह है कि उस पार के मतदान केंद्र पर कई ऐसे वोटर हैं जो इस पार में रहते है।

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    गंगा पार कर कैसे जाएंगे मतदाता :

    मोहिउद्दीननगर विधानसभा क्षेत्र के गंगा पार के इलाके हरदासपुर में चार मतदान केंद्रो का निर्माण किया गया है। जहां लगभग 3700 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। मतदान केंद्र संख्या 94, 95, 96 व 97 उत्क्रमित मध्य विद्यालय हरदासपुर नवीन के भवन में बनाए गए हैं। यहां पर जाने का एकमात्र साधन नाव है। विशाल गंगा को मोटर बोट से पार कर मतदाता और मतदान कर्मी हर बार यहां आते हैं, किंतु इस बार स्थिति विपरीत है। नाव से पार करने के बाद भी सरिसावा के समीप रास्ते में काफी अधिक दूरी में पानी और कीचड़ है। जिससे मतदाता और मतदान कर्मियों का जाना मुश्किल होगा। सड़क मार्ग से पहुंचने के लिए वहां लगभग चार किलोमीटर से अधिक दूरी तय करनी पड़ सकती है।

    'वोट वाली बोट' का बैनर लगा कर नाव से जाते थे मतदाता और कर्मी

    हरदासपुर के इस बूथ पर जाने के लिए मतदाता तथा मतदान कर्मी नाव का सहारा लेते हैं। लगभग 45 मिनट की लंबी दूरी तय करने के बाद कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। पिछले चुनावों तक तो इन नावों पर 'वोट वाली बोट' का बैनर लगा कर इनका उपयोग किया जाता था। मतदाताओं के मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए कोई ऐसी समुचित व्यवस्था नहीं की गई है।

    पोलिंग पार्टी के लिए मोटर चालित नौका प्रबंध

    पोलिंग पार्टी को पहुंचाने के लिए सरकार ने व्यवस्था कर ली है। इसके लिए मोटर चालित नौका का प्रबंध किया गया है। दोनों ओर से एसडीआरएफ की टीम भी साथ-साथ पानी में चलेगी। मतदान के बाद उन्हें सुरक्षित गंगा घाट तक लाया जाएगा और वहां से सुरक्षित उन्हें गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा। हालांकि, प्रशासन दावा करता है कि मतदाताओं को जाने के लिए भी नाव की व्यवस्था रखी जाएगी। किंतु एक नाव के जाने के बाद वहां से लौटने में दो घंटा समय लग जाता है। ऐसी स्थिति में क्या सभी मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। यह मतदाताओं के समक्ष संशय की स्थिति है। पिछले कई चुनाव में सभी मतदाता अपने मतदाता अधिकार का प्रयोग चाह कर भी नहीं कर पाते थे।