Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    सारण में भैया दूज: भाई-बहन के अटूट प्रेम का उत्सव

    By amritesh kumarEdited By: Radha Krishna
    Updated: Thu, 23 Oct 2025 12:13 PM (IST)

    सारण जिले में भैया दूज का पर्व धूमधाम से मनाया गया। बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र के लिए पूजा-अर्चना की और गोधन कूटने की रस्म निभाई। रेंगनी कांटे से श्राप देकर वापस लेने की परंपरा निभाई गई। नदी घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी और भाइयों ने बहनों के घर भोजन किया।

    Hero Image

    गोधन कूटने की परंपरा का किया निर्वाह

    जागरण संवाददाता, छपरा(सारण)। भाई-बहन के स्नेह और आत्मीयता का प्रतीक पर्व भैया दूज गुरुवार को पूरे सारण जिले में श्रद्धा और परंपरा के साथ मनाया गया। गांव से लेकर शहर तक बहनों ने अपने भाइयों के दीर्घायु और सुखी जीवन की कामना करते हुए पारंपरिक विधि से पूजा-अर्चना की। घर-घर में इस अवसर पर उल्लास और उत्सव का वातावरण दिखाई दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गोधन कूटकर मांगी भाई की लंबी उम्र

    सुबह से ही महिलाओं ने इस दिन की विशेष रस्म गोधन कूटना का निर्वहन किया। पारंपरिक रूप से बहनों ने गाय के गोबर से गोधन का विग्रह बनाया और मंगल गीत गाते हुए लकड़ी के मूसल से उसे कूटा। मान्यता है कि इस रस्म से भाई के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और उनके आयु में वृद्धि होती है।

    रेंगनी का कांटा जीभ में लगाकर दी दीर्घायु का वरदान

    परंपरा के अनुसार, बहनों ने पहले रेंगनी का कांटा जीभ में लगाकर अपने भाई को प्रतीकात्मक रूप से श्राप दिया, फिर गोधन कूटने के बाद वही कांटा लगाकर श्राप को वापस लिया और भाई के लंबी उम्र की कामना की। इस रस्म को बहन-भाई के अटूट संबंध का प्रतीक माना जाता है।

    भैया दूज के साथ शुरू होते हैं शुभ कार्य

    गोधन कूटने की रस्म पूरी होने के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत का संकेत भी माना जाता है। ग्रामीण अंचलों में कहा जाता है कि भैया दूज के बाद शादी-ब्याह और अन्य शुभ अवसरों की तैयारियां प्रारंभ हो जाती हैं।

    नदी घाटों पर उमड़ी भीड़

    पौराणिक मान्यता के अनुसार, भैया दूज के दिन भाई-बहन अगर यमुना नदी में एक साथ स्नान करें तो भाई की उम्र बढ़ती है और रिश्ता सदा अटूट रहता है। इसी मान्यता को लेकर सारण के विभिन्न नदी घाटों गंडक और घाघरा घाट समेत अन्य नदियों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

    भोजन से बढ़ती है अन्न-धन की वृद्धि

    इस दिन भाइयों ने बहनों के घर जाकर तिलक लगवाया, बजरी खाई और भोजन का प्रसाद ग्रहण किया। परंपरा है कि बहन के घर भोजन करने से घर में अन्न-धन की वृद्धि होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।भैया दूज के मौके पर पूरे जिले में भाई-बहन के स्नेह का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। शहर से लेकर गांव तक पूजा, गीत और हंसी-खुशी के साथ यह पर्व पारंपरिक श्रद्धा के भाव में डूबा रहा।