Bihar Election 2025: शौचालय-पानी का अभाव, जर्जर भवनों में मतदान की तैयारी, सारण में पोलिंग बूथ की बदहाल तस्वीर
बिहार चुनाव 2025 की तैयारी सारण में शुरू हो गई है, लेकिन कई पोलिंग बूथों की हालत खराब है। शौचालय और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है, और इमारतें जर्जर हैं। प्रशासन को चुनाव से पहले इन समस्याओं का समाधान करना होगा ताकि मतदाताओं और मतदान कर्मियों को कोई परेशानी न हो।
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जर्जर भवनों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तैयारी। फोटो जागरण
संवाद सूत्र, मकेर (सारण)। सारण जिले के मकेर प्रखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच कई मतदान केंद्रों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। जागरण की पड़ताल में सामने आया कि कई बूथों पर न तो शौचालय की व्यवस्था है, न ही पीने के पानी की।
कुछ स्कूल भवन इतने जर्जर हैं कि वहां तैनात मतदान कर्मियों और मतदाताओं की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। बावजूद इसके, इन्हीं भवनों में मतदान की तैयारी पूरी कर ली गई है।
पड़ताल के दौरान सबसे खराब स्थिति प्राथमिक विद्यालय रामपुर दर्प की मिली, जहां बूथ संख्या 191 बनाया गया है। यह भवन पूरी तरह जर्जर अवस्था में है। दीवारों और छत से प्लास्टर झड़ चुका है, और किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है।
विद्यालय में शौचालय की स्थिति बेहद खराब है, वहीं हैंडपंप भी सूखा पड़ा मिला। यही हाल कन्या प्राथमिक विद्यालय मालीटोला मकेर का है, जहां बूथ संख्या 205 बनाया गया है। इस स्कूल में मात्र दो कमरे हैं, जो खुद जर्जर स्थिति में हैं।
शिक्षा विभाग ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन विद्यालयों को अन्य स्कूलों से टैग कर दिया था कि जैसे कि प्राथमिक विद्यालय रामपुर दर्प को मध्य विद्यालय विक्रम कैतुका से, और कन्या प्राथमिक विद्यालय मालीटोला को उर्दू प्राथमिक विद्यालय मकेर से जोड़ा गया है। बावजूद इसके, इन्हीं खतरनाक भवनों में मतदान केंद्र बना दिया गया है, जिससे प्रशासनिक तैयारी पर सवाल उठने लगे हैं।
बूथ पर नहीं अंकित मतदाताओं की कुल संख्या
वहीं, मध्य विद्यालय एकडेरवा मसुरिया की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर मिली। यहां बिजली, पानी, शौचालय और रैंप जैसी सभी मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं। हालांकि, यहां भी चुनाव आयोग द्वारा की गई बूथ पेंटिंग अधूरी पाई गई। बूथ संख्या 220 और 221 पर मतदाताओं की कुल संख्या अंकित नहीं की गई है।
इसी तरह, मुख्य सड़क किनारे स्थित बूथ संख्या 201, 204, 233 और 234 पर मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था तो है, लेकिन कई अन्य ग्रामीण इलाकों के बूथों पर मतदान कर्मियों को कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ेगा।
ग्रामीण इलाकों में स्थित कई बूथों तक पहुंचने के रास्ते भी कच्चे हैं, जिससे मतदान दिवस पर मतदाताओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि जिला प्रशासन ऐसे बूथों को सुरक्षित भवनों में स्थानांतरित करे, या कम से कम आवश्यक मरम्मत और साफ-सफाई का कार्य तुरंत कराए।
लोगों का कहना है कि लोकतंत्र के इस महापर्व में जब प्रशासन मतदाताओं को अधिक से अधिक मतदान के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, वहीं मतदान केंद्रों की यह स्थिति तैयारियों पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।

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