पितृपक्ष की शुरुआत चंद्रग्रहण से होगी जो बेहद खास रहने वाला है: पंडित नीलकमल उपाध्याय
पितृ पक्ष बेहद खास रहने वाला है। शताब्दी बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है जब इसकी शुरुआत चंद्र ग्रहण से होगी और समापन सूर्य ग्रहण से। पितृ पक्ष का आरंभ 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण के साथ होगा और समापन 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण से। हालांकि सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन इसका ज्योतिषीय महत्व बना रहेगा।

संवाद सूत्र, दिघवारा (सारण)। इस बार का पितृ पक्ष बेहद खास रहने वाला है। शताब्दी बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है जब इसकी शुरुआत चंद्र ग्रहण से होगी और समापन सूर्य ग्रहण से। पितृ पक्ष का आरंभ 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण के साथ होगा और समापन 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण से। हालांकि सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा लेकिन इसका ज्योतिषीय महत्व बना रहेगा।
इस संयोग में किए गए श्राद्ध, दान और तर्पण का फल कई गुना बढ़कर मिलता है। उन्हचक निवासी पंडित नीलकमल उपाध्याय के अनुसार पितृ पक्ष में ग्रहण का आना शुभ माना जाता है। ग्रहण काल के दौरान किए गए दान, मंत्र-जप और संकल्प से पितरों की आत्मा तृप्त होकर आशीर्वाद देती है और पितृदोष शांत होता है।
पंडित नीलकमल उपाध्याय ने बताया कि तिथि क्षय के कारण इस बार श्राद्ध पक्ष 15 दिन का होगा। षष्ठी और सप्तमी तिथि का श्राद्ध एक ही दिन 13 सितंबर को होगा। हालांकि षष्ठी का श्राद्ध 12 सितंबर को सुबह 10 बजे के बाद भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चंद्र ग्रहण का सूतक 7 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से लगेगा। ऐसे में उस दिन सभी श्राद्ध कर्म दोपहर पूर्व ही पूरे करने होंगे।
चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात 9.56 बजे से शुरू होकर 1.27 बजे तक चलेगा। वहीं सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को रात 10.59 बजे से शुरू होकर 22 सितंबर की सुबह 3.23 बजे तक रहेगा। चूंकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक प्रभाव भी मान्य नहीं होगा।
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