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    Sonpur Mela 2025: सोनपुर मेला में कश्मीर से हरियाणा तक की झलक, सर्दी की आहट के बीच गर्म कपड़ों की धूम

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 06:31 PM (IST)

    एशिया विख्यात सोनपुर मेला अपनी पुरानी गरिमा के साथ शुरू हो गया है। पहले ही दिन भारी भीड़ उमड़ी। गर्म कपड़ों की दुकानों पर खरीदारों की भीड़ रही। राम मंदिर और चार धाम जैसे धार्मिक मॉडल आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। आर्ट एंड क्राफ्ट ग्राम में मधुबनी पेंटिंग और बांस की कलाकृतियाँ लोगों को खूब पसंद आ रही हैं।

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    सोनपुर मेला में कश्मीर से हरियाणा तक की झलक

    राहुल, नयागांव (सारण)। एशिया विख्यात हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला इस बार अपनी पुरानी गरिमा, भव्यता और परंपरागत लोक रंग के साथ फिर से जीवंत होता दिखाई दे रहा है। उद्घाटन के अगले ही दिन सोमवार को मेला परिसर में उमड़ी विशाल भीड़ ने माहौल को पूरी तरह उत्सवमय बना दिया। 

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    चारों ओर दुकानों की चमक, लोगों की चहल-पहल और लाउडस्पीकरों पर बजते लोकगीतों ने यह साबित कर दिया कि सोनपुर मेला केवल व्यापार का केंद्र नहीं बल्कि संस्कृति और भावनाओं का उत्सव है। 

    सुबह से ही सोनपुर–हाजीपुर के दोनों गंडक पुलों पर लोगों का आना-जाना शुरू हो गया था, और दोपहर तक मेला मैदान में हजारों की संख्या में भीड़ जुट गई। बावजूद इसके प्रशासन द्वारा की गई ट्रैफिक और सुरक्षा व्यवस्था के कारण कहीं भी अफरा-तफरी या कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली।

    सर्दी की आहट के बीच गर्म कपड़ों की धूम

    मेला परिसर में इस बार सबसे अधिक भीड़ गर्म कपड़ों की दुकानों पर देखने को मिली। ऊनी शाल, जैकेट, टोपी, मफलर और दस्तानों की खरीदारी जोरों पर रही। 

    इसके साथ ही ग्रामीण जीवन से जुड़े लोहे के बर्तन — कड़ाही, तवा, हंसुआ और देसी चूल्हे — की मांग भी आश्चर्यजनक रूप से बढ़ी। सोनपुर के नखास मेला रोड, गज-ग्राह चौक, प्रदर्शनी मार्ग, लकड़ी बाजार रोड, मीना बाजार और चिड़िया बाजार में खरीदारों की लंबी कतारें लगी रहीं। दुकानदारों के चेहरे पर उत्साह साफ झलक रहा था क्योंकि एक ही दिन में बिक्री कई गुना बढ़ गई।

    धार्मिक मॉडल बने आकर्षण का केंद्र

    मेले का धार्मिक पक्ष इस बार विशेष रूप से लोगों का ध्यान खींच रहा है। राम मंदिर, चार धाम और वैष्णव मंदिर के भव्य मॉडल का निर्माण अंतिम चरण में है, जो दर्शकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र बने हुए हैं। 

    इन मॉडल्स को बनाने में स्थानीय कारीगरों के साथ-साथ कश्मीर और हरिद्वार से आए विशेषज्ञ भी शामिल हैं। आश्चर्य की बात यह है कि मंदिर निर्माण के इन जटिल और सूक्ष्म कार्यों में कई मुस्लिम कारीगर भी योगदान दे रहे हैं, जो सांप्रदायिक सौहार्द की सुंदर मिसाल पेश कर रहे हैं।

    आर्ट एंड क्राफ्ट ग्राम—रचनात्मकता का केंद्रबिंदु

    पर्यटन विभाग द्वारा बनाया गया ‘आर्ट एंड क्राफ्ट ग्राम’ इस बार मेला का सबसे व्यस्त क्षेत्र साबित हुआ। बिहार की पारंपरिक मधुबनी पेंटिंग, बांस-बेंत की कलाकृतियां, जूट के उत्पाद, मनमोहक मिट्टी के बर्तन और हस्तनिर्मित सजावटी सामानों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। 

    यहां देश के कई राज्यों की कला का संगम भी दिखा, जिससे मेला एक राष्ट्रव्यापी सांस्कृतिक परिचय स्थल जैसा प्रतीत हो रहा है। कई विदेशी पर्यटक भी यहां कला की विविधता को देखकर मंत्रमुग्ध दिखाई दिए।

    हरिहरनाथ मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़

    आस्था का केंद्र बाबा हरिहरनाथ मंदिर भी सोमवार को श्रद्धालुओं से भरा रहा। पूजा सामग्री—चूड़ी, सिंदूर, माला, प्रसाद और धूप-अगरबत्ती—की दुकानों पर महिलाओं की खरीदारी लगातार जारी रही। मंदिर परिसर में गूंजते भजनों की धुन और अगरबत्ती की सुगंध ने वातावरण को भक्ति से भर दिया।

    कश्मीर से हरियाणा तक पहुंचे व्यापारी

    देश के विभिन्न राज्यों से आए दुकानदारों ने मेले में राष्ट्रीय सुंदरता का रंग भर दिया है। कश्मीर, श्रीनगर, जम्मू, बागपत, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और हरिद्वार से आए व्यापारी ऊनी वस्त्र, हैंडक्राफ्ट, फर्नीचर, साज-सज्जा की सामग्री और विशेष उत्पादों के साथ लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। इन दुकानों पर खरीदारी करने वालों का तांता लगा रहा, जिससे मेले का माहौल बहुरंगी और जीवंत दिखाई दिया।

    स्वाद की गलियों में उमड़ा मेला

    सोनपुर मेले का जिक्र स्वाद के बिना अधूरा है। सड़क किनारे सजी खाद्य दुकानों से उठती खुशबू हर किसी को अपनी ओर खींच रही थी। खीर-चपाती, गुड़ की जलेबी, मुरब्बे, मखाना, सत्तू पेड़ा और घिरनी के स्वाद ने लोगों को रुककर चखने पर मजबूर कर दिया। 

    बच्चों की दुनिया भी पूरी तरह रंगीन दिखी—कोई गुब्बारे पर निशाना साध रहा था, तो कोई खिलौनों की दुकानों पर मोलभाव करता नजर आया। बड़े लोग मिट्टी के घड़े, सजावटी बर्तन और घरेलू सामान खरीदने में व्यस्त रहे।

    अभी बाकी हैं मेले के कई रंग

    पहले दिन झूले और थिएटर की तैयारियां पूरी न हो पाने से कुछ जगहों पर खालीपन महसूस हुआ, लेकिन आयोजकों का दावा है कि अगले दो दिनों में पूरा मेला अपने चरम पर पहुंच जाएगा। 

    सरकारी प्रदर्शनियों—ग्रामश्री मंडप, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य विभाग, कृषि एवं पशुपालन विभाग—को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सोनपुर मेला इस बार केवल व्यापार का केंद्र नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक समृद्धि का विशाल उत्सव बन चुका है। 

    परंपरा और आधुनिकता का यह संगम हर आगंतुक को अपने अनुभव का अनोखा हिस्सा बनने पर मजबूर कर रहा है।