Bihar: रीसाइक्लिंग से सीतामढ़ी को प्लास्टिक कचरे से मुक्त बना रहे जितेंद्र, सैकड़ों कामगारों को मिला रोजगार
पर्यावरण की चिंता ने कुछ अलग करने की चाह पैदा की तो प्लास्टिक कचरे से मुक्ति की राह तलाश ली। इसके चलते बिहार के सीतामढ़ी के रुन्नीसैदपुर निवासी जितेंद्र कुमार स्वावलंबी बनने के साथ छह दर्जन से अधिक लोगों को रोजगार दिया है। सरकारी योजना का लाभ लेकर प्लास्टिक के कचरे से घरेलू उपयोग की वस्तुओं के अलावा प्लास्टिक का दाना भी बना रहे हैं।

देवेंद्र प्रसाद सिंह, सीतामढ़ी: पर्यावरण की चिंता ने कुछ अलग करने की चाह पैदा की तो प्लास्टिक कचरे से मुक्ति की राह तलाश ली। इसके चलते बिहार के सीतामढ़ी के रुन्नीसैदपुर निवासी जितेंद्र कुमार स्वावलंबी बनने के साथ छह दर्जन से अधिक लोगों को रोजगार दिया है।
सरकारी योजना का लाभ लेकर प्लास्टिक के कचरे से घरेलू उपयोग की वस्तुओं के अलावा प्लास्टिक का दाना भी बना रहे हैं। इसकी सप्लाई राज्य के आधा दर्जन से अधिक जिलों में हो रही है।
प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर काम करने वाली संस्था एपिक इस काम के लिए उन्हें अप्रैल 2023 में मुंबई में आयोजित समारोह में सम्मानित कर चुकी है।
सेंटर फॉर इंवायरमेंट एजुकेशन से मिली प्रेरणा
एएन कॉलेज पटना सेलेबर एंड सोशल वेलफेयर मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले जितेंद्र 2008 में सेंटर फॉर इंवायरमेंट एजुकेशन, नई दिल्ली से जुड़ गए।
इसके डायरेक्टर परमजोत सिंह सोढ़ी के सानिध्य में प्लास्टिक सहित अन्य कचरे के प्रबंधन के क्षेत्र में कई वर्षों तक काम किया। लोगों को जागरूक किया।
2017 में 21 लाख के लोन से स्थापित किया रीसाइक्लिंग प्लांट
इस बीच घर आने पर यहां पर भी प्लास्टिक कचरे से हो रहे नुकसान को रोकने और स्वरोजगार के लिए रीसाइक्लिंग प्लांट लगाने का निर्णय लिया। इसका प्रोजेक्ट तैयार करने में सेंटर फॉर इंवायरमेंट एजुकेशन से मदद ली।
दो अन्य सहयोगियों पटना के राज भारती और वैशाली के राकेश पांडेय के साथ मिलकर नवंबर 2017 में केंद्र सरकार के बहु क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम के तहत चार करोड़ 21 लाख रुपये लोन लेकर रुन्नीसैदपुर में रीसाइक्लिंग प्लांट की स्थापना की।
घरेलू उपयोग की इन चीजों का होता है निर्माण
कच्चा माल मिल सके, इसके लिए जिले के छोटे-बड़े कबाड़ियों से संपर्क किया है। उनसे रोजाना तीन टन प्लास्टिक वेस्ट खरीदते हैं। इससे कुर्सी, टेबल, स्टूल, डस्टबिन सहित अन्य घरेलू उपयोग की चीजें बनाई जा रही हैं।
इसकी सप्लाई स्थानीय बाजार के अलावा मुजफ्फरपुर, पटना, बेतिया, दरभंगा, मधुबनी, शिवहर, अररिया, सुपौल, बेगूसराय सहित अन्य जिलों में की जा रही है।
रीसाइकिलिंग के बाद प्लास्टिक कचरे से तैयार उत्पाद। जागरण
चार करोड़ टर्नओवर, लोन चुकाया
जितेंद्र का कहना है कि उनके प्लांट में 75 लोग काम करते हैं। इनमें महिलाओं की संख्या 30 प्रतिशत है। वेतन मद में महीने में करीब पांच लाख रुपये खर्च होते हैं।
इसके अलावा करीब 300 स्थानीय वेंडर जुड़े हैं, जो साइकिल घूमकर उत्पाद बेचते हैं। ग्रामीण इलाके के साथ-साथ सीतामढ़ी शहर से प्लास्टिक कचरा मंगाता हूं।
इसकी छंटाई, सफाई व धुलाई में महिलाओं की भागीदारी अहम है। प्रतिदिन करीब तीन टन प्लास्टिक कचरे की रीसाइक्लिंग होती है। इसी जून लोन चुका दिया। सालाना टर्नओवर करीब चार करोड़ है।
तैयार प्लास्टिक दाना। जागरण
नगर आयुक्त ने बताया जिले के कचरे के रीसाइक्लिंग का प्लान
नगर आयुक्त प्रमोद कुमार पांडेय ने बताया कि सीतामढ़ी शहर से प्रतिदिन करीब 30 से 40 टन कचरे का उठाव होता है। इसमें 25 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा रहता है। इसकी छंटाई की व्यवस्था करने की योजना है। इसे रीसाइक्लिंग करने के लिए बेचा जाएगा।
स्वरोजगार के लिए लगातार काम किया जा रहा है। जरूरी जानकारी और सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। रुन्नीसैदपुर में चल रहा प्लास्टिक रीसाइक्लिंग प्लांट में बेहतर काम हो रहा है। इस तरह के प्लांट जिले में और भी लगे, इसके लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
-निशांत कुमार, उद्योग विस्तार पदाधिकारी, सीतामढ़ी
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