बिहार के बदमाश दिल्ली में ढेर: चुनाव में हिंसा की रच रहे थे साजिश, मोस्ट वांटेड रंजन पाठक सहित 4 का एनकाउंटर
सीतामढ़ी के मोस्ट वांटेड रंजन पाठक समेत चार बदमाश दिल्ली के रोहिणी में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए। दिल्ली और बिहार पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में रंजन पाठक का दाहिना हाथ विमलेश सहनी भी मारा गया। ये बदमाश सीतामढ़ी में कई आपराधिक घटनाओं में शामिल थे।

बिहार के अपराधियों का दिल्ली में एनकाउंटर। (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी। दिल्ली के रोहिणी सेक्टर में बुधवार और गुरुवार की दरमियानी रात पुलिस मुठभेड़ में कुख्यात ‘सिग्मा गैंग’ का अंत हो गया।
गिरोह के मुख्य सरगना रंजन पाठक समेत चार मोस्ट वांटेड बदमाश मार गिराए गए। यह संयुक्त आपरेशन दिल्ली और बिहार पुलिस ने मिलकर किया। बिहार चुनाव से पहले इस कार्रवाई ने अपराधियों में डर और जनता में भरोसा बढ़ाया है।बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के बीच दिल्ली में हुए इस मुठभेड़ ने अपराध की दुनिया में हलचल मचा दी है।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और बिहार पुलिस की संयुक्त टीम ने इस ऑपरेशन को बेहद गोपनीय तरीके से अंजाम दिया। यह मुठभेड़ 22 और 23 अक्टूबर की रात करीब 2:20 बजे रोहिणी के बहादुर शाह मार्ग से लेकर पंसाली चौक के बीच हुआ।
पुलिस के मुताबिक, अपराधियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस द्वारा भी गोली चलाई गई, जो चारों बदमाशों को लगी। बाद में उन्हें डॉ. बीएसए अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने सभी को मृत घोषित कर दिया। ऑपरेशन में पुलिस के किसी जवान को गंभीर जख्म नहीं आया।
कौन थे चारों बदमाश
एनकाउंटर में मारे गए चारों अपराधियों की पहचान हो चुकी है। सीतामढ़ी जिले के सुरसंड थाना क्षेत्र के मलाही गांव निवासी मनोज पाठक का पुत्र रंजन पाठक (25), बाजपट्टी थाना क्षेत्र के रतवारा गांव निवासी बिमलेश महतो उर्फ बिमलेश साहनी (25), शिवहर जिले के दोस्तियां गांव निवासी अमन ठाकुर (21) और दिल्ली के करावल नगर का शेरपुर गांव निवासी मनीष पाठक (33) शामिल हैं।
मृत रंजन पाठक। (फाइल फोटो)
रंजन पाठक पर बिहार पुलिस ने 50 हजार का इनाम भी घोषित कर रखा था। वही अमन ठाकुर और विमलेश सहनी पर भी 25 हजार का इनाम घोषित किया गया था।चारों बदमाशों पर हत्या, लूट, रंगदारी और अपहरण जैसे दर्जनों संगीन मुकदमे दर्ज थे।
गैंग का लीडर था रंजन
गैंग का सरगना रंजन पाठक बिहार के अपराध जगत का जाना-पहचाना नाम था। बताया जाता है कि सीतामढ़ी में एक हाई-प्रोफाइल हत्या के बाद उसने मीडियाकर्मियों को अपना ‘क्रिमिनल बायोडाटा’ तक भेज दिया था। उसका मकसद आमलोगों में डर और अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाना था।
बिहार पुलिस के मुताबिक हाल ही में इस गैंग का एक आडियो काल भी सामने आया था, जिसमें रंजन अपने साथियों से बिहार चुनाव से पहले दहशत फैलाने की बात कर रहा था। इतना ही नहीं अपने साथियों से यह भी कहते नजर आ रहा था कि इतनी हत्या करो कि चुनाव से पहले एसपी का तबादला हो जाए।
दूसरा मारा गया बदमाश बिमलेश महतो उर्फ बिमलेश साहनी रंगदारी और हथियार तस्करी में सक्रिय था। वह रंजन का दाहिना हाथ माना जाता था। तीसरा अपराधी मनीष पाठक कई हत्याओं और अपहरण के मामलों में वांटेड था।
चौथा अपराधी अमन ठाकुर दिल्ली में रहते हुए गिरोह को राजधानी से लॉजिस्टिक सपोर्ट प्रदान करता था। वह अपराधियों के ठिकाने और हथियारों की व्यवस्था करता था।
सिग्मा गैंग’ की क्राइम कुंडली खंगाल रही पुलिस
‘सिग्मा एंड कंपनी’ के नाम से कुख्यात यह गिरोह बिहार-नेपाल सीमा तक फैला हुआ था। गिरोह का सरगना और मास्टरमाइंड रंजन पाठक इंटरनेट मीडिया के जरिए भी अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करता था। गैंग के बदमाश बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में रंगदारी, सुपारी किलिंग और हथियार सप्लाई जैसे अपराधों में संलिप्त थे।
सूत्रों के मुताबिक गैंग की फंडिंग नेपाल के रास्ते होती थी और इसकी जड़ें सीमावर्ती जिलों में गहरी हो गई थीं। पुलिस के अनुसार, इस गिरोह की निगरानी पिछले कई महीनों से की जा रही थी। गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर दिल्ली में उनका ठिकाना चिह्नित किया गया।
ऑपरेशन की योजना पूरी तरह से चुनावी सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाई गई थी ताकि बिहार में चुनाव से पहले किसी बड़े अपराध को रोका जा सके। दिल्ली और बिहार पुलिस की इस संयुक्त कार्रवाई को अब तक की बड़ी सफलता मानी जा रही हैं।
अधिकारियों का कहना है कि इस आपरेशन से न सिर्फ ‘सिग्मा गैंग’ का अंत हुआ, बल्कि चुनाव के दौरान राज्य में शांति बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। पुलिस ने दावा किया है कि गैंग के बचे हुए बदमाशों की भी पहचान कर ली गई है और जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा।
सदर एसडीपीओ राजीव कुमार सिंह ने क्या कहा
घटना के बाद इलाके में सुरक्षा व्यवस्था और गश्त बढ़ा दी गई है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना दें। यह कार्रवाई अपराधियों के लिए कड़ा संदेश है कि कानून से बचना अब नामुमकिन है। एनकाउंटर ने पुलिस के दृढ़ संकल्प और त्वरित कार्रवाई की मिसाल पेश की है।
यह ऑपरेशन बिहार चुनाव से पहले अपराध के खिलाफ सरकार और पुलिस की जीरो टॉलरेंस नीति का साफ संकेत देता है। जनता में अब यह विश्वास मजबूत हुआ है कि अपराधी चाहे जहां छिप जाएं, न्याय उनका पीछा नहीं छोड़ेगा।
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