वैशाली के राघोपुर में उफनती गंगा की लहरों पर दौड़ रही ओवरलोडेड नाव, सुरक्षा मानकों को ठेंगा दिखा रहें नाविक
राघोपुर में कच्ची दरगाह और जेठूली घाट के बीच नावों का संचालन सुरक्षा मानकों को दरकिनार करते हुए किया जा रहा है। लगभग 300 नावें प्रतिदिन 50 हजार लोगों को गंगा पार कराती हैं जिनमें छात्र मजदूर और सरकारी कर्मचारी शामिल हैं। बाढ़ के कारण सड़क मार्ग बाधित होने से नावों पर निर्भरता बढ़ी है।

संवाद सूत्र, जागरण, राघोपुर(वैशाली)। राघोपुर प्रखंड के विभिन्न घाटों से कच्ची दरगाह और जेठूली घाट के लिए नावों का परिचालन पूरी तरह सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। अधिकांश नावों पर यात्रियों की क्षमता से दोगुना-तीन गुना तक लोग सवार किए जा रहे हैं, लेकिन इस पर प्रशासन की कोई नजर नहीं है। नावों पर न तो रोशनी की व्यवस्था है और न ही सुरक्षा उपकरण उपलब्ध हैं। किसी नाव पर लाइफ जैकेट नहीं है।
हैरानी की बात यह है कि कई नावें अप्रशिक्षित नाविकों या फिर कम उम्र के लड़कों के सहारे चल रही हैं। यात्रियों को जानवरों की तरह ठूंस-ठूंसकर नदी पार कराया जाता है। न तो नावों का पंजीकरण है और न ही यात्रियों की क्षमता का उल्लेख। दोपहिया वाहन सहित अन्य सामान भी नावों पर लादे जाते हैं। प्रखंड के रुस्तमपुर, सैदाबाद, फतेहपुर और जमींदारी घाट सहित विभिन्न घाटों पर खतरों के बीच नाव संचालन हो रहा है। छोटी नावों पर 150 से 200 यात्री और बड़ी नावों पर 300 से 400 यात्री बैठाए जा रहे हैं। दुर्घटना होने पर ही प्रशासन सक्रिय होता है और कुछ दिनों तक घाटों पर सुरक्षा कड़ी की जाती है।
मालूम हो कि कच्ची दरगाह-बिदुपुर सिक्स लेन पुल जाने वाली सड़क पर बाढ़ का पानी चढ़ने से आवागमन प्रभावित है। यही वजह है कि लोग मजबूरी में रुस्तमपुर समेत अन्य घाटों से नावों के सहारे आ-जा रहे हैं।
रोजाना 50 हजार लोग पार करते हैं गंगा
प्रखंड के अलग-अलग घाटों से प्रतिदिन लगभग 300 नावें चलती हैं। इनमें से अधिकतर बिना निबंधन के हैं। इन नावों से करीब 50 हजार लोग रोज गंगा पार करते हैं। साथ ही लगभग 500 छोटी-बड़ी गाड़ियां भी नावों के जरिए नदी पार कराई जाती हैं। इन घाटों से दूध-सब्जी विक्रेता, दैनिक मजदूर, स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राएं, पटना और हाजीपुर जाने वाले सरकारी शिक्षक, बैंककर्मी, जीविका कर्मी और अंचल-प्रखंड कार्यालय से जुड़े कर्मी रोजाना नाव से आवाजाही करते हैं।
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