Sonapur Mela 2025: सीतामढ़ी का सबसे बड़ा घोड़ा बना आकर्षण का केंद्र, मालिक की मूछ भी फेमस
सोनपुर मेला 2025 में सीतामढ़ी का एक विशाल घोड़ा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। घोड़े की विशालता और सुंदरता दर्शकों को मोहित कर रही है। घोड़े के मालिक की मूछें भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं। Sonpur Mela के घोड़ा बाजार में इस घोड़े की वजह से काफी रौनक है।
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सोनपुर मेला में अपने घोड़ा के साथ घोड़ा मालिक। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, हाजीपुर। विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र Sonpur Mela 2025 का सबसे बड़ा और सबसे छोटा बौना घोड़ा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह सीतामढ़ी का है। दावा किया गया है कि इस मेले में इससे बड़ा और कोई दूसरा घोड़ा नहीं है।
इस समय संपूर्ण घोड़ा बाजार घोड़ों की हिनहिनाहट से गूंज रहा है। कहीं घुड़दौड़ हो रही है तो कहीं घोड़ों के टापों की आवाज सुनाई पड़ रही है। इन्होंने कुत्ते भी एक से बढ़कर लाए हैं, जो दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।
घोड़ा बाजार में सबसे ज्यादा दर्शकों की भीड़ भी यहीं दिख रही है। इतना ही नहीं, इन घोड़ों के मालिक की मूंछों की भी तारीफ हो रही है। अभी भी मेले का घोड़ा बाजार 671 घोड़ों की उपस्थिति से गुलजार है। अब तक इस मेले में 1482 घोड़ों की बिक्री हो चुकी है।
सोनपुर मेला का घोड़ा बाजार कई भागों में विभक्त है और इसके मालिक भी अनेक हैं। पुराने बकरी बाजार से पश्चिम और नए बकरी बाजार से उत्तर की ओर घोड़ा बाजार में जाने वाली सड़क के पूर्वी किनारे सीतामढ़ी के परिहार ग्राम निवासी डा. जितेंद्र यादव का शिविर लगा हुआ है।
इस शिविर में उनका मेले का सबसे बड़ा 65 इंच का घोड़ा एवं सबसे छोटा बौना घोड़ा दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वे बताते हैं कि इसे उन्होंने 11 लाख में खरीदा था। यहां उनके तीन घोड़े, विभिन्न नस्ल के चार कुत्ते भी उपस्थित हैं, जिन्होंने मेले के कुत्ता बाजार में आए कुत्तों को भी पीछे छोड़ दिया है।

वे सबसे बड़े घोड़े के बारे में बताते हैं कि यह राजस्थानी घोड़ा है और इस मेले का सबसे ऊंचा घोड़ा भी है। थाईलैंड नस्ल का कुत्ता एवं जर्मन शेफर्ड कुत्ता भी गजब का है।
स्वयं घोड़ा मालिक डा. जितेंद्र यादव की 13 इंच की बड़ी मूंछें भी आकर्षण का केंद्र हैं। उनका बौना घोड़ा भी गजब का करतब दिखा रहा है। वे कहते हैं कि उनके पास मेले का सबसे छोटा कुत्ता और बड़ा कुत्ता भी है। किसी कुत्ते की आकृति और मुंह बाघ जैसा है।
क्या कहते हैं पशुपालन विभाग के आंकड़े
पशुपालन विभाग, बिहार के मेला शिविर में मेला प्रभारी सह अवर प्रमंडल पशुपालन पदाधिकारी, सदर छपरा के 14 नवंबर के सत्यापित दैनिक प्रतिवेदन के अनुसार उक्त तिथि को घोड़ा बाजार में 671 घोड़ों की मौजूदगी थी। साथ ही, उक्त तिथि तक 1482 घोड़े भी बिक चुके थे।
घोड़े का अधिकतम मूल्य 3.20 लाख तथा न्यूनतम 40 हजार रहा। गाय, बैल और भैंसों की बिक्री नहीं हुई। मेले में 610 बकरी और भेड़ की उपस्थिति दर्ज की गई। कुत्ता बाजार में 300 कुत्तों की मौजूदगी दर्ज की गई।

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