Sonpur Mela 2025: सोनपुर मेला में कम हुई बैल बाजार में रौनक, सरकारी शुल्क मुक्त होने के बावजूद नहीं आ रहे व्यापारी
सोनपुर मेला के लोअर बैलहट्टा में सरकारी शुल्क मुक्त होने के बावजूद बैलों की आवक में कमी आई है। कभी यह बाजार बिहार के किसानों के लिए प्रमुख केंद्र था, लेकिन आधुनिक खेती के कारण बैलों की मांग घट गई है। लोअर बैलहट्टा में सफाई और सड़क की समस्या है, जबकि घुड़दौड़ और एडवेंचर स्पोर्ट्स का आयोजन होता है।

सोनपुर मेला में कम हुई बैल बाजार में रौनक
जागरण संवाददाता, हाजीपुर। सोनपुर मेला का लोअर बैलहट्टा सरकारी शुल्क से मुक्त होने के बावजूद यहां हर साल बैलों की आमद में गिरावट दर्ज की जा रही है। देवोत्थान एकादशी के तीसरे दिन सोमवार को इस ऐतिहासिक बैल बाजार में मात्र एक दर्जन बैल पहुंचे, जबकि कभी यही वह दिन होता था, जब देवोत्थान के साथ ही बाजार की रौनक बढ़ जाती थी और बिक्री शुरू हो जाती थी।
सरकारी तौर पर मेला उद्घाटन से इस बैल बाजार का सीधा संबंध नहीं रहता था। कभी यह बाजार बिहार भर के किसानों के लिए बैलों की खरीद-बिक्री का प्रमुख केंद्र हुआ करता था।
फिलहाल लोअर बैलहट्टा में सफाई का कार्य अब तक शुरू नहीं हुआ है। यहां पहुंचने के लिए एकमात्र मार्ग है, जो वर्तमान में क्षतिग्रस्त है। घुड़दौड़ मंच तक जाने वाली ईंट-सोलिंग सड़क जंगलों से पटी पड़ी है। पास ही शौचालयों का निर्माण कार्य जारी है और सीटें लगा दी गई हैं।
गीली मिट्टी और जलजमाव बनी परेशानी
मही नदी के उत्तरी किनारे स्थित इस बैलहट्टा की मिट्टी अब भी गीली है और किनारों पर जलजमाव है। नदी में फिलहाल लबालब पानी भरा हुआ है और नावों का परिचालन जारी है।
सारण जिला प्रशासन को मुख्य सड़क से बैल बाजार तक पहुंचने के लिए कई स्थानों पर मिट्टी भरकर सड़कें तैयार करनी होंगी, क्योंकि सड़क किनारे अभी भी नदी के बाढ़ का पानी जमा है। जहां पानी सूख चुका है, वहां से रास्ते निकाले जा सकते हैं।
लालू प्रसाद यादव ने किया था सरकारी बैल बाजार को शुल्क मुक्त
सोनपुर मेला 1995 में छह नवंबर को उद्घाटन समारोह के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने मेला परिसर के मुख्य जनसंपर्क पंडाल से पशुओं की खरीद-बिक्री पर लगने वाला शुल्क समाप्त करने की घोषणा की थी। यह आदेश उसी वर्ष लागू हो गया था।
तब लोअर बैलहट्टा की बंदोबस्ती रद्द कर ठेकेदारों को जमा की गई राशि वापस करनी पड़ी थी। तब से लोअर बैलहट्टा में पशुओं की खरीद-बिक्री पूरी तरह शुल्क मुक्त है।
आधुनिक खेती से बैलों की मांग घटी
किसान नेता ब्रज किशोर शर्मा बताते हैं कि वैज्ञानिक और तकनीकी आधारित खेती ने परंपरागत कृषि पद्धतियों को प्रभावित किया है। ट्रैक्टर से खेतों की जुताई होने लगी, जिससे मेले में बैलों की आमद धीरे-धीरे घटती चली गई। अब अधिकांश किसानों के घरों से बैल गायब हो गए हैं, और इस बाजार में बैलों की संख्या बेहद कम रह गई है।
सोनपुर मेला का बैल बाजार दो हिस्सों में बंटा है। सरकारी लोअर बैलहट्टा और निजी भूमि पर लगने वाला अपर बैलहट्टा। अपर बैलहट्टा सोनपुर गांव की निजी जमीनों पर लगता है, जबकि लोअर बैलहट्टा पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में है।
कभी यही लोअर बैलहट्टा न केवल देश, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी बैल बाजार माना जाता था। यह हरिहरनाथ-पहलेजा निचली पथ के दक्षिणी किनारे मही नदी के तट पर 52 बीघा में फैला हुआ है।
घुड़दौड़ और एडवेंचर स्पोर्ट्स का भी होता आयोजन
लोअर बैलहट्टा में हर साल घुड़दौड़ के साथ-साथ एडवेंचर स्पोर्ट्स और हाट एयर बैलून शो का आयोजन किया जाता है। मेला यात्री इन कार्यक्रमों में भाग लेकर रोमांच का अनुभव करते हैं। यहां घुड़दौड़ के लिए सड़क और मंच भी बनाए गए थे।
इस वर्ष भी जिला प्रशासन द्वारा घुड़दौड़ आयोजित किए जाने की घोषणा की गई है। कई बार एयर एडवेंचर स्पोर्ट्स के तहत निशानेबाजी और तीरंदाजी प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई है।
अमरनाथ मूर्ति के पास से बैलहट्टा में जाने वाला पुराना मार्ग इस समय जलमग्न और बदहाल स्थिति में है। यहां तक कि इस बार छठ पूजा में भी सड़क की मरम्मत नहीं की गई।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।