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    Chhath Puja: छठ पर्व पर घर लौटने की होड़, खचाखच भरी हुई हैं ट्रेन

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 04:55 PM (IST)

    छठ पूजा के अवसर पर बिहार लौटने वाले प्रवासियों की भारी भीड़ ट्रेनों और बसों में देखी जा रही है। हर कोई अपने घर पहुंचकर छठी मईया की पूजा में शामिल होना चाहता है। सरकार ने स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं, फिर भी यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 

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    ट्रेन से उतरते यात्री। (जागरण)

    संवाद सूत्र, रामनगर। लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का प्रभाव पूरे देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक फैला हुआ है। सोमवार को होने वाले इस महापर्व के लिए बिहार लौटने वाले प्रवासियों की भीड़ ने ट्रेनों और बसों की स्थिति पूरी तरह बदल दी है।

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    रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की भारी भीड़ देखी जा रही है। हर कोई अपने घर पहुंचकर मां छठी मईया की पूजा में शामिल होना चाहता है। बिहार की मिट्टी से गहराई से जुड़ा यह पर्व लोगों के दिलों में भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है।

    वेटिंग और जनरल बोगियों में सफर कर रहे प्रवासी मजदूर

    छठ पर्व की महत्ता को देखते हुए देश के कोने-कोने में काम कर रहे प्रवासी मजदूर किसी भी तरह अपने घर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।

    दिवाली और भैया दूज के बाद भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ है, क्योंकि उनके लिए असली त्योहार छठ पूजा है। इस अवसर पर हर व्यक्ति अपनी माई, बाबूजी और बच्चों के साथ घाट पर पहुंचकर छठ मईया का आशीर्वाद लेना चाहता है

    सरकार ने भी यात्रियों की सुविधा के लिए हर साल की तरह इस वर्ष भी कई पूजा स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। बावजूद इसके भीड़ इतनी अधिक है कि स्पेशल ट्रेनों में भी जगह मिलना मुश्किल हो गया है। अधिकतर यात्रियों को वेटिंग टिकट या जनरल बोगी में सफर करना पड़ रहा है।

    कई लोग घंटों स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते हैं और फिर भी किसी तरह डिब्बे में जगह बना लेते हैं। कई यात्रियों ने बताया कि उन्हें जुर्माना भरकर भी किसी तरह घर पहुंचना पड़ा, लेकिन मन में केवल यही खुशी है कि वे छठ पर्व अपने परिवार के साथ मना पाएंगे।

    छठ पूजा से जुड़ी उम्मीदें और परंपराएं

    बिहार और पूर्वांचल में छठ पर्व केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, पारिवारिक मेलजोल और आत्मिक शुद्धि का भी प्रतीक माना जाता है। इस पर्व पर लोग नए वस्त्र खरीदते हैं, घरों की सफाई करते हैं और पारिवारिक रीति-रिवाजों के अनुसार व्रत का पालन करते हैं।

    घर की महिलाएं, माताएं और बच्चे बेसब्री से अपने परिजनों की राह देखते हैं जो परदेश से छठ मनाने के लिए लौट रहे हैं।कई परिवारों की आर्थिक स्थिति इस पर्व पर थोड़ा बेहतर होती है, क्योंकि परदेश से लौटे लोग परिवार को नए कपड़े और जरूरत का सामान लाकर देते हैं। यही उम्मीद घर की खुशियों में चार चांद लगा देती है।

    बोले यात्री- कठिन यात्रा लेकिन मन में अपार खुशी

    पंजाब के खन्ना से हरिनगर स्टेशन पर उतरे जुड़ा पकड़ी गांव के यात्री शशि सोनी ने बताया कि किसी भी तरह घर पहुंचना जरूरी था। उन्होंने कहा कि ट्रेन में बहुत भीड़ थी, फाइन भी देना पड़ा, पर खुशी है कि अब बच्चों के साथ छठ मनाऊंगा।

    गुजरात के वापी में काम करने वाले हीरालाल राम ने कहा कि दीपावली पर नहीं आ सके थे, लेकिन छठ पूजा के लिए किसी भी तरह घर लौट आए हैं। वहीं, सूरत से लौट रहे मुकेश पटेल ने बताया कि यात्रा कठिन रही, पर मन में छठ मईया का आशीर्वाद लेने की अपार खुशी थी।

    भीड़ और कठिन यात्रा के बावजूद लोगों के चेहरे पर घर लौटने की मुस्कान इस बात की गवाही देती है कि छठ केवल पर्व नहीं, बल्कि बिहारवासियों की आत्मा और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।