West Champaran News : ग्रासलैंड की हरियाली से लौटेगी जंगलों में जान, बढ़ेंगे शाकाहारी वन्यजीव
पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या बढ़ाने के लिए वन विभाग ने ग्रासलैंड प्रबंधन शुरू किया है। ग्रासलैंड का क्षेत्र ...और पढ़ें

पश्चिम चंपारण के मदनपुर में बना ग्रासलैंड । जागरण
संवाद सहयोगी, बगहा (पश्चिम चंपारण)। पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या बढ़ाने की योजना पर वन विभाग ने काम शुरू कर दिया है। जंगल में बड़े पैमाने पर ग्रासलैंड मैनेजमेंट पर काम हो रहा है।
वन विभाग और वर्ल्ड वाइड फंड फार नेचर ने कर्मियों को ग्रासलैंड मैनेजमेंट से संबंधित प्रशिक्षण देने के लिए कार्यशाला का भी आयोजन किया। कार्यशाला में जंगल से पुराने खरपतवार हटाने और नई उपयोगी घास लगाने पर विशेष जोर दिया गया। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में घास के मैदानों (ग्रासलैंड) का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है।
शाकाहारी वन्यजीवों और बाघों की आबादी में वृद्धि
2024 के आंकड़ों के अनुसार यह 3000 हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो 2010 में केवल 50 हेक्टेयर था, और इस विस्तार से शाकाहारी वन्यजीवों और बाघों की आबादी में वृद्धि हुई है। यह शाकाहारी वन्यजीवों के लिए उपयुक्त है। उन क्षेत्रों से अवांछित घासों को हटाने की भी योजना है, जिन्हें शाकाहारी जानवर नहीं खाते।
हिरण और नीलगाय जैसे शाकाहारी जानवर बढ़ेंगे
विभाग का मानना है कि जंगल में पर्याप्त घास और भोजन उपलब्ध होने से हिरण और नीलगाय जैसे शाकाहारी जानवर बढ़ेंगे। इससे बाघों का भोजन की तलाश में जंगल क्षेत्र से बाहर भटकाव भी रुकेगा।
बाघों का अधिवास और भी सुरक्षित और समृद्ध हो सकेगा। इसलिए अवांछित घासों को हटाने का कार्य युद्धस्तर पर शुरू किया गया है । इसमें लैंटाना, विलायती बबूल, खजुर ,माइकेनिया, गाजर घास सहित अन्य अनुपयोगी घासों को हटाने के निर्देश दिए हैं ।
वीटीआर में कैसे तैयार होता है ग्रासलैंड
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व प्रशासन का मुख्य फोकस ग्रासलैंड होता है । अगर ग्रासलैंड का क्षेत्र बढ़ेगा तो शाकाहारी वन्य जीवों की संख्या में वृद्धि होगी । मांसाहारी वन्य जीव शाकाहारी जीवों पर ही निर्भर होते हैं । यदि उन्हें जंगल में ही भोजन मिल जाएगा तो वे रिहायशी क्षेत्र के तरफ रुख नहीं करेंगे । इसलिए वन विभाग अनुपयोगी घास को हटाकर ग्रासलैंड का दायरा बढ़ाने में जुटा है ।
यहां बता दे कि ग्रास लैंड तैयार करने के लिए बाहर से किसी खास प्रजाति का घास नहीं लाया जाता है। ग्रास लैंड तैयार करने के लिए विभाग के द्वारा पहले स्थल चयन किया जाता है। उसके बाद उस एरिया के वैसे घास को वहां से हटाया जाता है। जिसे शाकाहारी जानवर नहीं खाते है।
उसके बाद उस एरिया में उगे सभी प्रकार के घास को काट कर पूरा समतल कर दिया जाता है। कारण कि पहले से उगे घास कठोर हो जाते है।जिसे शाकाहारी जानवर नहीं खा सकते है। जब पूरा क्षेत्र समतल हो जाता है और बारिश होने के साथ ही समतल क्षेत्र पर नये घास उग जाते है। जिसे शाकाहारी जानवर बड़ी चाव से खाते हैं।
वीटीआर के अंदर ग्रास लैंड लगातार बढ़ रहा है। कारण कि अभी बाघों की संख्या में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे है। जिसे देखते हुए सभी वन क्षेत्रों में ग्रास लैंड का क्षेत्रफल बढ़ रहा है। इसके लिए हाल के दिनों में वन कर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है।
डाक्टर नेशामणि के, सीएफ बेतिया ।

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