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    कार्तिक पूर्णिमा : बांसी नदी पर श्रद्धा का संगम, UP, बिहार और विदेश से आएंगे भक्त

    By Kameshwar Pandey Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Tue, 04 Nov 2025 06:16 PM (IST)

    कार्तिक पूर्णिमा पर बांसी नदी के तट पर उत्तर प्रदेश, बिहार और विदेशों से श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगेगा। इस दिन स्नान करने से पापों का नाश होने की मान्यता है। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं ताकि श्रद्धालु शांतिपूर्वक स्नान कर सकें।

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    कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले मेले में आया झूला। जागरण

    संवाद सूत्र, मधुबनी, वाल्मीकिनगर (पश्चिम चंपारण)। बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में उत्तर  प्रदेश और बिहार की सीमा को विभाजित करने वाली बांसी नदी क्षेत्र के लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र मानी जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को इस पवित्र नदी में एक लाख से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे।

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    स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रशासन की ओर से तैयारी पूरी कर ली गई है। हर वर्ष की तरह इस बार भी कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर उत्तर प्रदेश के कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, गोरखपुर और बिहार के गोपालगंज, सिवान, बेतिया, बगहा समेत पड़ोसी देश नेपालसे भी श्रद्धालु बांसी तट पर पहुंचेंगे।

    पौराणिक मान्यता से जुड़ी है बांसी नदी की पहचान

    स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, बांसी नदी का संबंध भगवान श्रीराम और माता सीता से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि जब भगवान श्रीराम जनकपुर से विवाह कर अयोध्या लौट रहे थे, तो उन्होंने इस नदी तट पर रात्रि विश्राम किया था।

    बरातियों के ठहरने वाले स्थान आज भी उन्हीं नामों से प्रसिद्ध हैं । जहां देवताओं ने निवास किया, वह स्थान देवीपुरकहलाया, और जहां बरात में सिंगा बजाने वाले रहे, वह स्थान सिंगापट्टी के नाम से जाना जाता है। जिस घाट पर श्रीराम और सीता ने विश्राम किया, वहां आज एक भव्य मंदिर स्थित है। जिसे रामघाट कहा जाता है। यह घाट आज भी लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है।

    आस्था की नदी गंदगी से बेहाल

    दुर्भाग्य यह है कि मुक्ति दायिनी कही जाने वाली यह नदी आज प्रदूषण से कराह रही है। नदी तट पर फैली गंदगी, सेवार और कूड़ा-करकट ने इसकी सुंदरता को ढक लिया है। जनप्रतिनिधियों के वादों के बावजूद अब तक सफाई या संरक्षण का कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया है।

    वाल्मीकिनगर में कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं का सैलाब

    महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि से होकर बहने वाली पवित्र गंडक नदी के तट पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मंगलवार की सुबह श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। सैकड़ों श्रद्धालु मोक्ष और ईश्वरीय कृपा प्राप्ति की कामना के साथ पवित्र धारा में बुधवार को आस्था की डुबकी लगाएंगे।


    पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन, ढाका, चिरैया, तथा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, कप्तानगंज और कुशीनगर से आए श्रद्धालु सोमवार शाम से ही वाल्मीकिनगर पहुंचने लगे थे। उन्होंने त्रिवेणी संगम तट पर परंपरा के अनुसार 365 बाती का दीप जलाकर गंगा स्नान की पूर्व संध्या पर पूजा-अर्चना की।


    पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा या पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और जीवन में शुद्धता तथा समृद्धि आती है। श्रद्धालु वशिष्ठ नारायण शुक्ला, रामाशंकर प्रसाद, अवधेश तिवारी और वैद्यनाथ सिंह ने बताया कि इस तिथि पर स्नान करने से सुख-शांति मिलती है और घर में लक्ष्मी का वास होता है। नारायणी के तट पर वातावरण पूरी तरह भक्तिमय बना हुआ है।